पौधे जल को कैसे अवशोषित करते है | एपोप्लास्ट पथ | सिमप्लास्ट पथ | मूलदाब | वाष्पोत्सर्जन खिंचाव

पौधे जल को कैसे अवशोषित करते :-

पादपों में जल व खनिज लवणों का अवशोषण जड़ो पर उपस्थित ,मुलरोमो के द्वारा किया जाता है , जल , खनिज लवण विलेय के साथ मूलरोम से से विसरण प्रक्रिया द्वारा अवशोषित किये जाते है , जल , मृदा से मूलरोम में -> वल्कुट -> अन्तस्त्वचा -> जाइलम वाहिकाओं में पहुंचता है | जल जड़ की गहरी परतों में दो निम्न पथो से गति करता है |

  • एपोप्लास्ट पथ
  • सिमप्लास्ट पथ
  • एपोप्लास्ट पथ : पादपों में जब जल का प्रवाह कोशिका भित्तियों तथा कोशिकाओं के मध्य उपस्थित अन्तर कोशिकीय अवकाशों के द्वारा होता है तो इस पथ को एपोप्लास्ट पथ कहते है | एपोप्लास्ट के माध्यम से होने वाला परिवहन कोशिका झिल्ली को पार नहीं करता है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है , वल्कुट तक इस विधि द्वारा जल का प्रवाह हो सकता , परन्तु अन्तस्थत्वचा की भित्ति में कैस्परी पट्टियाँ पायी जाती है , जिनमें सुबेरिन का जमाव होता है | अन्तस्थत्वचा के आगे जल का प्रवाह इस विधि द्वारा नहीं होता है , आगे जल सिमप्लास्ट पथ में प्रवेश कर प्रवाह करता है |
  • सिमप्लास्ट पथ : जब जल व खनिज लवण एक कोशिका से दूसरी कोशिका में कोशिका झिल्ली के माध्यम से प्रवेश करता है तो इस पथ को सिमप्लास्ट पथ कहते है | इस विधि में ऊर्जा की आवश्यकता होती है , सिमप्लास्ट पथ से आया जल आगे संवहन उत्तक (जाइलम) में प्रवेश करता है |

पौधे में जल का ऊपर की ओर गमन / रसारोहण :

पौधों में जल का ऊपर की ओर गमन रसारोहण कहलाता है , जड़ो द्वारा अवशोषित जल पौधों में ऊपर की ओर दो विधियों द्वारा गमन करता है –

  1. मूलदाब (root pressure) : मूल में वल्कुट की कोशिकाओं की स्पिति दशा में अपने कोशिका द्रव्य पर पड़ने वाला वह दाब जिसके कारण जल तने में कुछ ऊंचाई तक ऊपर चढ़ता है , मूलदाब कहलाता है | अधिक ऊँचाई तक मूलदाब जल को ऊपर चढाने में असमर्थ होता है |

बिन्दु स्त्राव (Guttation) : जब वाष्पीकरण कम होता है तो शाकीय पादपों में जैसे घास , आलू , टमाटर , मटर , अरबी आदि की पत्तियों पर विशेष छिद्रों से जल की बूंदे स्त्रवित होती है | इस प्रकार जल का बाहर निकलने की प्रकिया बिन्दु स्त्राव कहलाती है जो मूलदाब के कारण होता है |

  1. वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (transpiration pull) : वाष्पोत्सर्जन के दौरान जब पत्तियों की कोशिकाओ से जल वाष्पित होकर निकल जाता है तो कोशिकाओं में परासरण सान्द्रता व जल की विसरण दाब न्यूनता अधिक हो जाती है | अत: जल जाइलम वाहिकाओ से परासरण द्वारा कोशिकाओ में प्रवेश करता है , जिससे जाइलम वाहिकाओं में एक तनाव उत्पन्न होता है जो वाष्पोत्सर्जन के कारण उत्पन्न होता है अत: इसे वाष्पोत्सर्जन खिंचाव कहते है |

जल का संसजन बल

जल के अणुओं में प्रबल पारस्परिक आकर्षण बल होता है जिसे संसजन बल कहते है | इसके कारण जल का स्तंभ (धारा) टूटता है नहीं है | इस प्रकार वाष्पोत्सर्जन खिंचाव व संसजन बल के कारण जल 130 m तक ऊपर चढ़ सकता है |

Remark:

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