Biology Notes For Class 11 in Hindi

एंजाइम की परिभाषा क्या है | उदाहरण | प्रकार | संरचना चित्र | प्रभावित करने वाले कारक

हेलो स्टूडेंट, आज हम इस लेख में एंजाइम की परिभाषा क्या है | उदाहरण | प्रकार | संरचना चित्र के बारे में पढ़ेंगे | एंजाइम  : एंजाइम एक प्रकार जैविक उत्प्रेरक होते है जो जैव रासायनिक अभिक्रियाओं की दर को बढ़ा देते है।  प्रोटीन प्रकृति के ऐसे कार्बनिक पदार्थ जो जीवित कोशिकाओं में उत्प्रेरक का …

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मोनेरा | आध बैक्टीरिया |यू बैक्टीरिया | रसायन संश्लेषी बैक्टीरिया

मोनेरा (Monera) :- सभी जीवाणुओं को मोनेरा जगत में रखा गया है।  जीवाणु संख्या में अधिक तथा सभी प्रकार के आवासों में पाए जाते है।  जीवाणुओं को उनके आकार के आधार पर चार समूहों में बांटा गया है।  गोलाकार जीवाणुओं को कोकस , घडाकर जीवाणुओं को बेसिलस , सर्पिलाकार जीवाणुओं को स्पाररिलम व कीमाकार जीवाणुओं …

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जीव जगत का वर्गीकरण | द्विजगत पद्धति | तीन जगत पद्धति | पाँच जगत प्रणाली

जीव जगत का वर्गीकरण :- सरल आकारकी लक्षणों पर आधारित जन्तुओं व पादपों के वर्गीकरण को सर्वप्रथम अरस्तु ने प्रस्तावित किया। अरस्तू ने सभी जन्तुओं को इनैइमा तथा एनेइमा में तथा पादपों को शाक , झाड़ी तथा वृक्ष में विभाजित किया। द्विजगत पद्धति :- यह वर्गीकरण की एक पद्धति है जिसमे संसार के सभी जीवों को …

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वर्गिकी सहायक साधन | हरबेरियम | वनस्पति उद्यान |संग्रालय | प्राणी उपवन

वर्गिकी सहायक साधन :- जीव वैज्ञानिको के पास सूचना , जैविक नमूने , प्रयोगशाला व संचय ग्रह होते है। जो जीव धारियों के वर्गीकरण में सहायक है।  वे वर्गिकी के सहायक साधन कहलाते है इनका उपयोग वर्गीकरण में किया जाता है। 1. हरबेरियम (Harbarium) :- पौधों के नमूनों को सुखाकर , दबाकर अभिरंजित या परिरक्षित …

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वर्गीकरण की परिभाषा | जीव विज्ञान में क्या है | वर्गक | वर्गिकी संवर्ग | वर्गीकरण के पद | जाति | गण

 वर्गीकरण  :- जीव जन्तुओं एवं पेड़ पौधों को उनकी समानता व असमानता के आधार पर विभिन्न समुदायों एवं वर्गों में रखने की विधि को वर्गीकरण कहते है , तथा विज्ञान की वह शाखा जिसमे सजीवों का वर्गीकरण किया जाता है वर्गिकी कहते है। वर्गीकरण विज्ञान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम केरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक में किया …

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जैव विविधता | नामकरण | द्विनाम पद्धति | द्विनाम पद्धति के निम्न नियम

जैव विविधता : हम अपने चारों ओर अनेक प्रकार के पेड़ पौधे , जीव जन्तु , कीट पक्षी व अन्य प्राणी देखते है , सूक्ष्म जीवाणु से लेकर गाय हाथी तथा शैवाल से लेकर विशाल वृक्षों से सहित विभिन्न परिमाण , आकार व संरचना वाले लगभग 1.8 मिलियन वाले सजीव ज्ञात होते है।  जीवों की …

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जीव विज्ञान क्या है | सजीवों के प्रमुख लक्षण | वनस्पति जगत | जन्तु विज्ञान | जीव , सजीव

जीव विज्ञान : विज्ञान की वह शाखा जिसमे सजीवों की संरचना , कार्यिकी , वृद्धि व विकास का अध्ययन किया जाता है , जीव विज्ञान कहते है। जीव विज्ञान की प्रमुख दो शाखाएं होती है – 1. वनस्पति जगत (Botany) : जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत पेड़ पौधों का अध्ययन किया जाता है …

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पत्ती / पर्ण (Leaf) क्या है | परिभाषा | पत्ती की संरचना |भाग , पत्ती के प्रकार | रूपान्तरण | कार्य

पत्ती / पर्ण (Leaf) : पर्ण स्तम्भ या शाखा की पाश्र्व अतिवृद्धि है , यह चपटी व फैली हुई पर्वसन्धि पर विकसित होती है।  ये अग्राभिसारी क्रम में व्यवस्थित होती है।  पत्ती के कक्ष में कली होती है जो शाखा बनाती है।  पत्तियाँ सामान्यतया हरी व प्रकाश संश्लेषण कर भोजन का निर्माण करती है। पत्ती …

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तना (stem) क्या है | परिभाषा | तने के लक्षण | तने के रूपान्तरण | तने के कार्य

तना : तना पादप का वायवीय भाग है , यह बीज के प्रांकुर से विकसित होता है। तने के लक्षण (properties of stem) : 1. तना ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्ती व धनात्मक प्रकाशनुवर्ती होता है। 2. सहश्व अवस्था में तना हरा होता है परन्तु बाद में कास्टीय व भूरा होता है। 3. तने पर पर्व व पर्वसंधियाँ …

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मूल की परिभाषा क्या है | मूल की विशेषताएँ | मूल के प्रकार | रूपांतरण व कार्य

मूल : मूल पादप का अन्तः भौमिक भाग है जो मूलांकुर से विकसित होता है। मूल की विशेषताएँ : 1. मूल धनात्मक गुरुत्वानवर्ती धनात्मक जलानुवर्ती व ऋणात्मक प्रकाशनुवर्ती होती है। 2. मूल में हरितलवक का अभाव होता है। 3. मूल पर पत्ती , कलिका एवं पर्ण व पर्णसंधियाँ नहीं पायी जाती है। 4. मूल पर …

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पादप जगत (प्लांटी) | जन्तु जगत (एनिमेलिया किंगडम ) | विषाणु | विरोइड क्या है

पादप जगत (प्लांटी) : 1. इस जगत में सभी बहुकोशिकीय युकेरियोरिक पादपों को रखा गया है। 2. इनमें पर्णहरित पाया जाता है। 3. कुछ सदस्य कीट पक्षी , परजीवी व विषमपोषी (अमरबेल) भी रखे गये है। 4. इनकी कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती है। 5. पादप का जीवन दो स्पष्ट अवस्था द्विगुणित बीजाणुद्धगीटु व …

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अलैंगिक जनन | फाइकोमाइसिटीज  | एस्कोमाइसिटीज | बेसिडियोमाइसिटीज | ड्यूटिरोमाइसिटीज 

अलैंगिक जनन : लैंगिक जनन समयुग्मी या विषम युग्मी प्रकार का होता है। लैंगिक जनन ऊस्पोर , ऐस्कस , बीजाणु तथा बेसिडियम बीजाणु द्वारा होता है।  बीजाणु सुस्पष्ट संरचनाओ के रूप में उत्पन्न होते हैं , जो फलनकाय बनाते है।  लैंगिक जनन निम्न तीन सोपान (चरण) में होता है। 1. दोचल अथवा अचल युग्मकों के …

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