खनिज पोषण | विधि | खनिज तत्व | लक्षण | भूमिका | कमी से | कार्य | वर्गीकरण

खनिज पोषण : पादप अपने लिए आवश्यक तत्व मृदा , जल व वायु से प्राप्त कर उनका उपयोग अपनी वृद्धि एवं विकास के लिए करते है , इस अध्ययन को खनिज पोषण कहते है |

पादपो की खनिज अनिवार्यता के अध्ययन की विधि : जुलियान सैकस ने 1860 में जल संवर्धन तकनीक का विकास खनिक अनिवार्यता के अध्ययन के लिए किया था | पादपों को पोषक विलयन में उगाने की तकनीक जल संवर्धन कहलाती है | इस तकनीक में पादप की जडो को पोषक विलयन में डुबोया जाता है , पोषक विलयन में पादप के लिए आवश्यक सभी खनिज होते है | किसी खनिक की अनिवार्यता का अध्ययन हेतु पोषक विलयन में उस खनिज को नही मिलाया जाता है जिससे उस खनिज की कमी से पादप की वृद्धि पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है | पादप की आदर्श वृद्धि के लिए पोषक विलयन को वायवीय रखा जाता है ताकि पादप की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व पादप को मिलते है |

अनिवार्य खनिज तत्व :- प्रकृति में पाये जाने वाले 105 तत्वों में से 60 से अधिक तत्व पौधों में पाये जाते है | खनिज तत्वों की अनिवार्यता निर्धारण के मापदण्ड नियमानुसार है |

  • पादप की वृद्धि , जनन , जीवन चक्र , पुष्पसन व बीजधारण उस तत्व की अनुपस्थिति में नहीं हो तो वह अनिवार्य तत्व है |
  • तत्व की अनिवार्यता विशिष्ट हो अर्थात किसी एक तत्व की कमी को दूसरा अन्य तत्व पूरा न कर सके तो वह एक अनिवार्य तत्व है |
  • तत्व जो पादप की उपापचय को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता हो तो वह एक अनिवार्य तत्व है |

अनिवार्य तत्वों को पौधे की आवश्यकता के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा गया है –

  • वृहत पोषक तत्व : ऐसे पोषक तत्व जो पादपो के शुष्क भार का 1-10 मिली ग्राम / लीटर की सान्द्रता में विद्धमान हो तो वह वृहत पोषक तत्व कहलाते है |

उदाहरण – C, N, Mg, O,P, S, K, Ca आदि |

  • सूक्ष्म पोषक तत्व : ऐसे पोषक तत्व जो पादपों के शुष्क भार का 0.1 मिली ग्राम / लीटर की सान्द्रता में हो तो वे सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते है |

उदाहरण – Fe, Mn, Mo , Zn , B , Cl , Ni आदि |

पौधों में 17 तत्व अनिवार्य होते है –

अनिवार्य तत्वों का कार्यो के आधार पर वर्गीकरण

  • जैव अणुओं के घटक के रूप में :- C, H , O , N
  • रासायनिक यौगिको के घटक के रूप में :- Mg , P , Cu2+
  • एंजाइम को सक्रीय एवं बाधित करने में :- Mg2+ , Zn2+ , mo , Ni
  • कोशिका परासरण विभव परिवर्तन करने में :- K , Cl , Ca

वृहत एवं सूक्ष्म पोषको की भूमिका व अपर्याप्ता के लक्षण :

  1. नाइट्रोजन (N) :
  1. अवशोषण : पौधे इसको NO2 , NO3 व NH3 के रूप में अवशोषित करते है , यह पौधे की विभज्योत्तक उत्तको व उपापचयी कोशिका में आवश्यक होता है |
  2. भूमिका : यह प्रोटीन , न्यूक्लिक अम्ल , विटामिन व हार्मोन का मुख्य घटक है |
  3. कमी से : नाइट्रोजन की कमी से पत्तियाँ पिली हो जाती है तथा कोशिका विभाजन व प्रोटीन संश्लेषण की दर कम हो जाती है , अधिक मात्रा से पुष्पासन देरी से होता है |
  1. फास्फोरस (P) :
  1. अवशोषण : इसे पौधों द्वारा H2PO4 व HPO42- के रूप में अवशोषित किया जाता है |
  2. भूमिका : यह कोशिका झिल्ली , प्रोटीन , न्यूक्लिक अम्ल , न्यूक्लियोटाइड का घटक होता है तथा फास्फोराइलेशन क्रियाओं में महत्व है |
  3. कमी से : इसकी कमी से पौधे की सामान्य वृद्धि नहीं होती है |
  1. पोटेशियम (K) :
  1. अवशोषण : पौधे इसे K+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह प्रकाश संश्लेषण , एंजाइमो के संक्रियण , रन्ध्रो के खुलने व बन्द होने में , कोशिका विभाजन में भूमिका निभाता है |
  3. कमी से : पौधा हरिमाहिनता व बौनापन का शिकार हो जाता है |
  1. कैल्शियम (Ca)
  1. अवशोषण : इसे पौधे Ca2+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह कोशिका भित्ति की मध्य पट्टिलिका निर्माण में , उपापचयी कार्यो के नियंत्रण में , कोशिका झिल्ली के कार्यो में कुछ एंजाइमो के संक्रियण में सहायक होता है |
  3. कमी से : पत्तियाँ पीली हो जाती है तथा वर्धन शील शीर्ष मर जाते है |
  1. मैग्नीशियम (Mg)
  1. अवशोषित : इसे पौधे Mg2+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह क्लोरोफिल का घटक है , यह प्रकाश संश्लेषण व श्वसन सम्बन्धी एंजाइमो के संक्रियण में DNA व RNA संश्लेषण में , राइबोसोम के आकार को बनाए रखने में सहायक होता है |
  3. कमी से : पौधा हरिमाहिनता प्रकट करता है |
  1. सल्फर (S)
  1. अवशोषण : पौधे इसे SO42- के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह सिस्टिन व मिथियोनिन , विटामिन व फैरोडॉक्सिन का घटक होता है |
  3. कमी से : बौनापन , विकास देशी से व सम्पूर्ण पादप पिला हो जाता है |
  1. लोहा (Fe)
  1. अवशोषण पौधे इसे Fe3+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह पर्णहरित के निर्माण में , फेरेडॉक्सिन व साइट्रोक्रोम के घटक के रूप में , इलेक्ट्रान स्थानान्तरण में सहायक होता है |
  3. कमी से : पौधे में अन्तरशिरिय हरिमाहिनता उत्पन्न हो जाती है |
  1. मैगनीज (mn)
  1. अवशोषण : पौधे इसे mn2+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह एंजाइम के संक्रियण में , प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल का विघटन कर ऑक्सीजन मुक्त करने में सहायक होता है |
  3. कमी से : पत्तियाँ पीली हो जाती है |
  1. जिंक (Zn)
  1. अवशोषण : पौधे इसे Zn2+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : यह कार्बोक्सिलिक के संक्रियण में , ऑक्सिलेज के संक्रियण में , ओक्सिन हार्मोन के संश्लेषण में सहायक है |
  3. कमी से : पौधा बौना रह जाता है |
  1. तांबा (Cu)
  1. अवशोषण : पौधे इसे Cu2+ के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : समगत उपापचय में रेड़ोक्स एंजाइमो के संक्रियण में |
  3. कमी से : पत्तियां में हरिमाहिनता , पत्तियाँ नष्ट हो जाती है |
  1. बोरोन (B)
  1. अवशोषण : पौधे इसे BO33- व B4O72- के रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : Ca2+ के ग्रहण व उपयोग में , झिल्ली की कार्यशीलता में , कोशिका दीर्घीकरण में , विभेदन में , कार्बोहाइड्रेट के स्थानान्तरण में |
  3. कमी से : वर्धनशील शीर्ष मर जाते है , जड़ो का विकास एवं पुष्पन रुक जाता है , जड़ो में गुलिकाएँ बन जाती है |
  1. मॉलिणडेनम (mo)
  1. अवशोषण : पौधे इसे moo2- के रूप अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : नाइट्रोजिनेस , नाइट्रेट , रिद्क्टिस एंजाइमो का घटक होता है |
  3. कमी से : प्रोटीन संश्लेषण में कमी , हरिमाहिनता |
  1. क्लोरिन (Cl)
  1. अवशोषण : पौधे इसे Clके रूप में अवशोषित करते है |
  2. भूमिका : K+ व Na+ के साथ कोशिका में सान्द्रता निर्धारण में आयनों के संतुलन में , प्रकाश संश्लेषण में जल के विखंडन से O2 निकास में |

सूक्ष्म पोषको की आविषता :- किसी खनिज आयन की वह सान्द्रता जो पादप के ऊतकों के शुष्क भार में 10% प्रतिशत की कमी करे , तो उसे आविष माना जाता है , अलग अलग पादपों के तत्वों की आविषता का स्तर भिन्न होता है | इसे बार किसी तत्व की अधिकता दूसरे तत्व के अधिग्रहण को अवरुद्ध करती है |

उदाहरण – मैगनीज की अधिकता से लौह , मैग्निशियम व कैल्शियम की कमी हो जाती है |

तत्वों के अवशोषण की क्रियाविधि

पौधे खनिज तत्वों को जल में घुलित अवस्था में तथा आयनों के रूप में अवशोषण करते है , पादपों में तत्वों का अवशोषण दो अवस्थाओं के रूप में होता है |

  • निष्क्रिय अवशोषण : जब खजिन तत्व जल में घुलित अवस्था में एपोप्लास्ट पथ से होकर अवशोषित होते है तो इसे निष्क्रिय अवशोषण कहते है | इस प्रक्रिया में ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है |
  • सक्रीय अवशोषण : जब खनिज तत्व जल में घुलकर सिमप्लास्ट पथ से होकर अवशोषित होते है तो इसे सक्रीय अवशोषण कहते है | आयनों की गति को अभिवाह (flux) कहते है | आन्तरिक गति को अन्तर्वाह (Influx) तथा बाह्य गति को बाहिर्वाह (EEflux) कहते है |

विलेयों का स्थानान्तरण

खनिज लवणों का स्थानान्तरण जाइलम द्वारा किया जाता है |मृदा : आनिवार्य तत्वों के भण्डार के रूप में मुख्य स्त्रोत मृदा होती है , चट्टानों के टूटने व क्षरण से बने खनिज आयनों व अकार्बनिक तत्वों के रूप में मृदा में उपस्थित होते है | मृदा पौधों को खनिज तत्वों के अतिरिक्त नाइट्रोजन स्थिनिकरण कर भी नाइट्रोजन भी उपलब्ध कराती है | मृदा पौधों के लिए जल धारण भी करती है , जड़ो को हवा उपलब्ध कराती है |

Remark:

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