प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया | प्रकाश तंत्र

प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया :

प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में जब का विघटन , प्रकाश का अवशोषण , ऑक्सीजन का निष्काशन तथा उच्च ऊर्जा वाले पदार्थ जैसे – ATP व NaDPH का निर्माण शामिल है |

पादपों में प्रकाश संश्लेषण के लिए वर्णको के कम से क्रम दो समूह पाये जाते है , जिन्हें प्रकाश तंत्र कहते है |

एक वह जो बड़ी तरंग दैधर्य को अवशोषित करते है , तथा दूसरा वह जो छोटी तरंगदैधर्य के प्रकाश को अवशोषित करते है | क्रमशः प्रकाश तंत्र – I व प्रकाश तन्त्र – II कहलाते है |

प्रत्येक प्रकाश तंत्र में 300-400 वर्णक अणु पाये जाते है , प्रत्येक प्रकाश तंत्र में एक अभिक्रिया केन्द्र तथा इसके चारों ओर सहायक वर्णक (एन्टीना अणु) पाये जाते है , ये सहायक वर्णक प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित कर अभिक्रिया केन्द्र को दे देते है |

प्रकाश तंत्र – I : प्रकाश तंत्र – I में फोटोन की ऊर्जा का अवशोषण क्लोरोफिल “ए” के विभिन्न अणु जैसे – क्लोरोफिल 660 , क्लोरोफिल , 6670 , 680 , 690 , क्लोरोफिल 700 व कैरोटीनॉइडस करते है |

जो भिन्न भिन्न तरंगदैधर्य वाली प्रकाश तरंगो का अवशोषण कर अभिक्रिया केन्द्र (P , 700) को स्थानांतरित कर देते है | यह प्रकाश तंत्र चक्रीय व अचक्रीय दोनों प्रकार के फास्फोरिलीकरण में भाग लेता है |

प्रकाश तंत्र – II : प्रकाश तन्त्र – II में फोटोन ऊर्जा का अवशोषण क्लोरोफिल “ए” 673 , क्लोरोफिल “बी” फाइकोबिलिन्स आदि वर्णक करते है | इस तंत्र में भी भिन्न–2 तरंगदैध्र्य की प्रकाश तरंग का अवशोषण कर अभिक्रिया केन्द्र (P , 680) को स्थानान्तरण कर दिया जाता है | यह प्रकाश तंत्र केवल अचक्रीय प्रकाश फास्फोरिलीकरण में भाग लेता है |

प्रकाश फास्फोरिलीकरण : पादप हरित लवक  में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ADP से ATP के निर्माण की प्रक्रिया प्रकाश फास्फोरिलीकरण कहलाती है | यह क्रिया दो प्रकार से होती है –

  • चक्रीय प्रकाश फास्फोरिलीकरण : प्रकाश तंत्र-I में P700 से उत्सर्जित इलेक्ट्रान प्राथमिक ग्राही आयरन सल्फर प्रोटीन (A FeS) द्वारा ग्रहण किये जाते है , जो फेरेडॉकसिन (Fd) द्वारा ग्रहण कर लिए जाते है | Fd से साइट्रोकोम b6 में पहुंचते है जहाँ से साइट्रोकोम F में स्थानान्तरित होते है , इसी दौरान ATP का निर्माण होता है तथा दोनों इलेक्ट्रान cytF से प्लास्टोसायनिन से होते हुए पुन: P700 में वापस लौट आते है अत: इसे चक्रीय फास्फोरिलीकरण कहते है |
  • अचक्रीय प्रकाश फास्फोरिलीकरण : यह दोनों प्रकाश तंत्रों द्वारा संपन्न होता है , इस क्रिया में (P680) द्वारा उत्सर्जी इलेक्ट्रान प्राथमिक ग्राही कियोफाइटिन (Pheo) के द्वारा ग्रहण किये जाते है | जहाँ से प्लास्टोक्विनोन में स्थानांतरित होते है PQ से इलेक्ट्रान साइट्रोक्रोम B6 व cytF में पहुँचते है | इसी दौरान ATP का निर्माण होता है , साइट्रोक्रोम F से दोनों इलेक्ट्रान प्लास्टोसायनिन (PC) से होते हुए प्रकाश तंत्र-I के अभिक्रिया केन्द्र P700 में पहुंचते है , पुन: तापस P680 में नही पहुंचते है |इसलिए इस प्रक्रिया को अक्रिय फास्फोरिलीकरण कहते है |

चक्रीय व अचक्रिय फास्फोरिलीकरण में अन्तर :

चक्रीय फास्फोरिलीकरणअचक्रीय फास्फोरिलीकरण
1.       जल का प्रकाशिक अपघटन नहीं होता है |जल का प्रकाशिक अपघटन होता है |
2.       ऑक्सीजन का निकास नहीं होता है |ऑक्सीजन का निकास होता है |
3.       यह केवल एक ही प्रकाश तंत्र द्वारा संपन्न होता है |यह दोनों प्रकाश तंत्रों द्वारा संपन्न होता है |
4.       इसमें NADPH3 का संश्लेषण नहीं होता है |इसमें NADPH2 का संश्लेषण होता है |

Remark:

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