पौधों में परिवहन | परिवहन के माध्यम | विसरण | लक्षण | कारक | निष्क्रिय सिमपोर्ट तथा एंटीपोर्ट

पौधों में परिवहन :

पौधे विभिन्न अकार्बनिक पदार्थो के लवणों को अपने आस पास के पर्यावरण से हवा , जल तथा मृदा से लेते है | इन पोषक पादपों की गति पर्यावरण से पौधों में तथा पौधे की एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक आवश्यक रूप से पौधे के आर पार होता है , इस प्रक्रिया को परिवहन कहते है |

पौधों में पोषक पदार्थो की कम दूरी तक गति विसरण एवं सक्रीय परिवहन द्वारा हो सकती है , लेकिन अधिक दूरी के लिए परिवहन संवहन तंत्र (जाइलम व फ्लोएम) द्वारा होता है इसे स्थानान्तरण कहते है | पौधों में जाइलम एवं फ्लोएम द्वारा परिवहन एक दिशात्मक होता है अर्थात जड़ से तने की ओर होता है जबकि कार्बनिक पोषको का परिवहन फ्लोएम द्वारा होता बहुदिशात्मक होता है अर्थात पत्तियों से पौधे के सभी भागो में होता है | पोषक पदार्थो का स्थानान्तरण पौधों के एक भाग से दूसरे भाग में ही होता रहता है|

परिवहन के माध्यम :

विसरण (Diffusion) : गैस , द्रव या ठोस के अणुओं या आयनों के अपने अधिक सांद्रता क्षेत्र से कम सान्द्रता क्षेत्र की ओर समान वितरण तक उर्जा को विसरण कहते है |

विसरण के लक्षण

  • यह एक धीमी प्रक्रिया है |
  • यह जीवित तंत्र पर निर्भर नहीं करता है , यह भौतिक तंत्र पर भी क्रियाशील होता है |
  • पादपों में गैसों का परिवहन विसरण द्वारा होता है |
  • अणु या आयन सतत गतिशील होते है |
  • पादपों में वाष्पोत्सर्जन , निष्क्रिय परिवहन के दौरान जल का परिवहन विसरण द्वारा होता है|
  • इसमें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है |

विसरण को प्रभावित करने वाले कारक  

  • सान्द्रता : सांद्रता अधिक होने पर विसरण प्रक्रिया तेजी से होती है |
  • पारगम्य झिल्ली : कोशिका झिल्ली एवं वर्णात्मक झिल्ली पदार्थो की आवश्यकतानुसार विसरण को प्रभावित करती है |
  • ताप : ताप बढ़ाने पर विसरण की दर में वृद्धि होती है |
  • दाब : विलयन पर दाब लगाने पर विसरण को दर में कम आती है |

सुसाह्य विसरण : ऐसे पदार्थ जिनके अणु जल रागी होते है , वे कोशिका झिल्ली से आसानी से परिवहित नहीं होते है | इन अणुओं को परिवहित करने के लिए कोशिका झिल्ली एक प्रोटीन उपलब्ध करवाती है , जिसे वाहक प्रोटीन कहते है | वाहक प्रोटीन द्वारा पदार्थो के अणुओं के परिवहन की प्रक्रिया ही सुसाध्य विसरण कहलाता है |

इस प्रक्रिया में ATP का व्यय नहीं होता है , इस प्रक्रिया में अंगो को परिवहित करने के लिए झिल्ली में उपस्थित प्रोटीन रास्ता बनाती है |

पोरिन एक प्रकार की वाहक प्रोटीन है , इस प्रक्रिया में अणु प्रोटीन से बंधित हो जाते है , प्रोटीन अणुओं को कोशिका के भीतर मुक्त कर देती है |

उदाहरण – पौधों में जलमार्ग आठ तरह के विभिन्न एक्वापोरिन से बना होता है |

निष्क्रिय सिमपोर्ट तथा एंटीपोर्ट :

  • यूनिपोर्ट : जब एक अणु दूसरे अणु से स्वतंत्र होकर झिल्ली को पार करता है , तो इस विधि को यूनिपोर्ट कहते है |
  • सिमपोर्ट : जब दो अणु एक ही दिशा में झिल्ली को पार करते है तो इस विधि को सिमपोर्ट कहते है |
  • एंटीपोर्ट : जब दो अणु एक दूसरे के विपरीत गति करते हुए झिल्ली को पार करते है तो इसे एंटीपोर्ट कहते है |

सक्रीय परिवहन : जब पदार्थ के अणुओं का परिवहन सान्द्रता प्रवणता के विरुद्ध किया जाता है तो इसे सक्रीय परिवहन कहते है , इस प्रक्रिया में ऊर्जा खर्च होती है , यह प्रक्रिया झिल्ली में उपस्थित वाहक प्रोटीन द्वारा पूर्ण होती है | वाहक प्रोटीन सक्रीय व निष्क्रिय दोनों प्रकार के परिवहन में भूमिका निभाती है | इस प्रक्रिया में परिवहन की गति अधिकतम तब होती है जब सभी प्रोटीन का प्रयोग वाहक के रूप में किया जाता है |

गुणसाधारणसुसाध्य विसरणसक्रीय परिवहन
विशिष्ट झिल्ली का   प्रोटीन की आवश्यकतानहींहाँहाँ
उच्च वर्णात्मकनहींहाँहाँ
परिवहन संतृप्तनहींहाँहाँ
शिखरोंपरि परिवहननहींनहींहाँ
ATP की आवश्यकतानहींनहींहाँ

पादप जल संबंध :-

पौधे के शारीरिक क्रियाकलापों के लिए एक आवश्यक घटक है | यह एक सार्वत्रिक विलायक होता है , एक तरबूज में 92% जल होता है , शाकीय पौधे में उसके शुष्क भार का 10-15% के अतिरिक्त जल ही होता है , स्थलीय पौधे प्रतिदिन भारी मात्रा में जल ग्रहण करते है | जिसका अधिकांश भाग वाष्पोत्सर्जन द्वारा उड़ जाता है , मक्का का एक पादप प्रतिदिन 3 लीटर सरसों का पादप पांच घंटे में अपने वजन के बराबर जल अवशोषित करता है , अन्त: स्पष्ट है की पौधे की वृद्धि व उत्पादकता को सिमित करने में जल एक महत्वपूर्ण सीमाकारी कारक होता है |

जल विभव या जल अन्त: शक्ति

यदि किसी कोशिका को शुद्ध जल में रखा जाता है तो शुद्ध जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा तथा पादप कोशिका विलयन में उपस्थित जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा के अन्तर को जल विभव कहते है |

दूसरे शब्दों में जल के रासायनिक विभव को जल विभव के रूप में प्रदर्शित करते है |

जल विभव = शुद्ध जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा – विलयन में उपस्थित जल के अणुओं की मुक्त उर्जा

जल विभव को दाब इकाई के समान पास्कल में व्यक्त करते है |

सभी विलयनों में शुद्ध जल की तुलना में जल विभव निम्न होता है , इस निम्नता का परिमाण एक विलेय के द्रवीकरण के कारण होता है , इसे विलेय विभव या परासरण विभव कहते है , यह सदैव नकारात्मक होता है |

विसरण के कारण पादप कोशिका में जल प्रवेश करता है तो वह कोशिका भित्ति पर दाब डालता है जिससे कोशिका स्पित हो जाता है जिससे उत्पन्न विभव को दाब विभव कहते है | यह अधिकांशत: सकारात्मक होता है , विलेय विभव एवं दाब विभव दोनों जल विभव को प्रभावित करते है |

Remark:

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