सूक्ष्मकाय (microbodies) :-
ये कोशिकाद्रव्य में झिल्ली से आवरित संरचनाएँ होती है जिन्हें सूक्ष्मकाय कहते है | जिनमें एंजाइम होते है ये पादप व जन्तु दोनों कोशिकाओं में पायी जाती है |
कोशिका झिल्ली (cell membrane ): –
प्रत्येक कोशिका महीन झिल्ली द्वारा घिरी होता है जो कोशिका द्रव्य को सिमित तथा बाह्य वातावरण को प्रथक करती है जिसे कोशिका झिल्ली कहते है |
इसकी संरचना के सम्बन्ध में निम्न मत दिए गए –
- द्विआण्विक लिपिड पत्रक मॉडल : इस मत का प्रतिपादन गोरटनर व ग्रेंडल ने किया , इनके अनुसार कोशिका झिल्ली में लिपिड्स की दो परते पायी जाती है |
- लेमीलर मत : इस मत का प्रतिपादन डेनयाली व डेविडसन ने किया | इस मत के अनुसार कोशिका झिल्ली लिपो प्रोटीन की बनी होती है , इस मत के अनुसार लिपिड्स के दो स्तर पाये जाते है व इनके बाहर व भीतर की ओर प्रोटीन की परत पायी जाती है |
- मिसेली मॉडल : इस मत का प्रतिपादन हिलेरी व हाफमैन ने किया , इस मत के अनुसार फास्फोलिपिड अणु विशेष व्यवस्था द्वारा ग्लोबूलर इकाई का निर्माण करते है | इसे मिसेली कहते है , प्रत्येक इकाई का व्यास 40 से 70 अंगस्ट्रम होता है | फास्फोलिपिड इकाई के बाहर की ओर प्रोटीन अणु पाये जाते है |
- इकाई झिल्ली मत : इस मत का प्रतिपादन रोबर्टसन द्वारा किया गया , इस मत के अनुसार सभी कोशिकांग व कोशिका झिल्ली एक ही प्रकार की झिल्ली से परिबद्ध होते है | झिल्ली में 60% प्रोटीन व 40% लिपिड होती है | इस प्रकार की झिल्ली की संरचना त्रिस्तरीय होती है , तीनो परतों की मोटाई 75 से 90 अंगस्ट्रम होती है , जिसमें फास्फोलिपिड की द्विआण्विक परत की मोटाई 25 से 35 एंगस्ट्रम तथा प्रत्येक प्रोटीन की परत 20 से 25 एंगस्ट्रम की होती है |
- द्रव मोजेक मॉडल : इस मत का प्रतिपादन सिंगर व निकोलसन ने किया , इस मत के अनुसार झिल्ली में द्विआण्विक लिपिड की परत होती है | लिपिड से निर्मित इस परत के बाहर परिधीय प्रोटीन होती है तथा लिपिड परत में धंसी हुई समाकलन या आंतरिक प्रोटीन होती है , इस प्रकार लिपिड तथा समाकलन प्रोटीन मोजिक अवस्था में रहती है |
कोशिका झिल्ली के कार्य:-
- कोशिका को निश्चित आकृति एवं आकार प्रदान करती है |
- कोशिकांग की सुरक्षा करती है तथा ER का निर्माण करती है |
- पदार्थो के आवागमन में सहायक होती है |
- जब बाहरी पदार्थ की अन्दर अंतर्ग्रहण किया जाता है तो इसे एडोमाइटोसिस कहते है | यदि तरल पदार्थ का अंतर्ग्रहण होता है तो इसे पिनेकोसाइटोसिस कहते है | और यदि ठोस पदार्थ का अंतर्ग्रहण किया जाता है तो इसे पेनोसाइथोसिस कहते है |
- कोशिका झिल्ली से पदार्थो को बाहर निकालना एक्सोसाइटोसिस कहलाता है |
कोशिका भित्ति :-
पादप कोशिकाओं के चारों ओर कोशिका झिल्ली के अतिरिक्त पाये जाने वाले आवरण को कोशिका भित्ति कहते है | कोशिका भित्ति सेल्यूलोस , हेमीसेल्यूलोस व पेक्टिन की बनी होती है , कुछ पादप कोशिकाओं में लिग्निन व सुबेरिन भी कोशिका भित्ति के घटक होते है | कोशिका भित्ति में निश्चित स्थानों पर छिद्र उपस्थित होते है जिन्हें प्लाजमोडेसमेटा कहते है |
कार्य :-
- यह पादप कोशिका की आल्मबन व सुरक्षा प्रदान करती है |
- कोशिका भित्ति में उपस्थित प्लाजमोडेसमेटा से गैस व द्रव्य पदार्थो का आदान प्रदान होता है|
- यह पादप कोशिका को निश्चित आकार एवं आकृति प्रदान करती है |
Remark:
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