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विधुत अपघटनी विधि :
इस विधि द्वारा Cu , Ag , Au आदि धातुओं का शोधन किया जाता है।
एक आयताकार पात्र में से अशुद्ध Cu की मोटी प्लेट को एनोड के रूप में तथा शुद्ध Cu की पतली प्लेट को कैथोड के रूप में व्यवस्थित कर इसमें CuSO4 का विलयन भर लेते है।
विधुत धारा प्रवाहित करने पर अशुद्ध Cu की प्लेट से Cu2+ आयन विलयन में जाते है उतने ही Cu2+ आयन विलयन से शुद्ध कॉपर की प्लेट पर निक्षेपित हो जाते है।
एनोड पर क्रिया Cu = Cu2+ + 2e–
कैथोड पर क्रिया Cu2+ + 2e– = Cu
Note: Cu के विधुत अपघटनी शोधन में एनोड के नीचे Ag , Au , Pt , Se , Te , Sb की अशुद्धियाँ एकत्रित हो जाती है जिसे एनोड पंक कहते है।
मंडल परिष्करण विधि:
सिद्धान्त :
यह विधि सिद्धान्त पर आधारित है की अशुद्धियाँ धातु की ठोस अवस्था की तुलना में गलित अवस्था में अधिक विलेय होती है।
अशुद्ध धातु की छड़ लेकर उसके एक सिरे पर वृताकार गतिशील तापक व्यवस्थित कर देते है उसे धातु की छड़ के एक सिरे से दूसरे सिरे की ओर ले जाते है जिससे अशुद्धियाँ गलित मंडल में अधिक विलेय हो जाती है जैसे जैसे गतिशील तापक आगे की ओर सरकता जाता है वैसे वैसे गलित मंडल भी आगे की ओर सरकता जाता है जबकि शुद्ध धातु पीछे की ओर क्रिस्टलीकृत हो जाती है यह क्रिया एक ही दिशा में बार बार दोहराते है जिससे सभी अशुद्धियाँ धातु की छड़ के एक सिरे पर एकत्रित हो जाती है इस सिरे को काटकर हटा देते है।
Note: इस विधि द्वारा धातु तथा अर्द्धचालकों को अतिशुद्ध अवस्था में प्राप्त किया जाता है जैसे B , Ga , In , Si , Ge