धातुकर्म का वैधुत रासायनिक सिद्धांत

धातुकर्म का वैधुत रासायनिक सिद्धांत

धातुकर्म का वैधुत रासायनिक सिद्धांत निम्नलिखित है |

1.  किसी सैल में मानक मुक्त ऊर्जा परिवर्तन (ΔG0) निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है।

ΔG0  = – nf E0cell

2. E0cell का मान धनात्मक होने पर सेल में अभिक्रिया अवश्य घटित होती है।

3.  सेल अभिक्रिया होने के लिए यह भी आवश्यक है की ΔG0  का मान ऋणात्मक होना चाहिए।

अनुप्रयोग :

1. एलुमिना का विधुत अपघटन :

Al2O3 का गलनांक अधिक तथा यह विधुत का कुचालक होता है।  इसके गलनांक को कम करने के लिए तथा चालकता बढ़ाने के लिए इसमें क्रायोलाइट (Na3AlF6) तथा फ्लुओरस्पाट (CaF2) मिला देते है।

एक लोहे का पात्र लेते है इसकी आन्तरिक सतह पर कार्बन का अस्तर लगा होता है यह कैथोड की तरह कार्य करता है इसमें Al2O3 , Na3AlF6 , CaF2 , का मिश्रण डाल देते है इस मिश्रण में ग्रेफाइट की छडे लटकी रहती है ये छडे एनोड की तरह कार्य करती है।

विधुत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर एल्युमिनियम तथा एनोड पर CO तथा CO2गैस बनती है इस विधि को हॉल हैरॉल्ट विधि भी कहते है। क्रियाविधि

2Al2O3 + 3C = 4Al + 3CO2

क्रियाविधि  :

Al2O3  = 2Al3+ + 3O2-

कैथोड पर क्रिया :

Al3+ + 3e–  = Al

एनोड पर क्रिया :

O2-  + C = CO + 2e–

2O2- + C = CO2 + 4e–

2. रद्दी Cu /निम्न कोटि के कॉपर से कॉपर प्राप्त करना :

रद्दी Cu को अम्ल में विलेय कर लेते है अशुद्धियों को छानकर हटा देते है अब इस विलयन में अधिक सक्रीय धातु Fe अथवा हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करते है जिससे तांबा प्राप्त होता है।

इसे हाइड्रो धातु कर्म भी कहते है।

Cu2+ + Fe  = Cu + Fe2+

Cu2+  + H2  = Cu + 2H+

अधिक सक्रीय धातु Zn डालने से भी ताम्बा प्राप्त किया जा सकता है परन्तु यह लोहे से अधिक महंगा होता है जिससे तांबे की निर्माण लागत बढ़ जाती है।

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