Biology Notes For Class 12 in Hindi

निषेचन पश्च घटनाएं परिभाषा क्या है | पुष्पी पादपों में निषेचन पश्च घटना

निषेचनपश्चघटनाएं:निषेचन के पश्चात् युग्मनाज से भू्रण या निर्माण होता है तथा उससे नया जीव बनता है इस क्रिया को भूर्णोदभव  कहते है। युग्मनज → भ्रूण →   नया जीव कोशिका विभाजन विभेदन:- भ्रूण के निर्माण की क्रिया दो कारकों पर निर्भर करती है। 1 पर्यावरण:- उदाहरण:- शैवालों में युग्मनज पर एक मोटी भित्ति बन जाती है जो उसकी प्रतिकूल परिस्थितियों (सूखा,ठंड) से रक्षा करती है एवं लम्बे समय तक विश्रारित अवस्था में रहने के पश्चात् अनुकूल परिस्थितियों में यह अंकूरित होकर नयी संतति को जन्म देता है। उदाहरण:-द्विगुणित तक जीवन चक्र वाले पादपों में युग्मनज में अर्द्धसूत्री उदाहरण:-विभाजन होता है तथा उसकसे अगुणित जीव बनता है। पुष्पी पादपों में निषेचन पश्च घटनाएं(Fertile backbone events in flowering plants):- पुष्पी पादपों ने पुष्प के बाह्रा दल पुकेसर झड जाते है तथा केवल स्त्री केंसर ही निषेचन के पश्चात् लगा रहता है। कुछ पादपों में ब्राह्रा दल फल बनने के पश्चात् भी पाये जाते है। उदाहरण:-टमाटर, बैंगन, भिंडी। निषेचन के पश्चात पुष्पीय भागों में निम्न प्रकार परिवर्तन होता है। अण्डाशय              :- फल अण्डाशय भित्ति  :- फल भित्ति बीजाण्ड               :- बीज बीज विकर्ण के पश्चात् अनुकुल परिस्थितियों में अंकुरित हाकर नये पादप को जन्म देता है। Remark: दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर …

निषेचन पश्च घटनाएं परिभाषा क्या है | पुष्पी पादपों में निषेचन पश्च घटना Read More »

अनिषेकफलन क्या है | parthenogenesis की परिभाषा | असंगाजनन एवं बहुभूणता

असंगाजनन एवं बहुभूणता ,  अनिषेकफलन (parthenogenesis definition in hindi):- बिना निषेचन के अण्डाशय के फलों में बदलने की क्रिया अनिषेक कहलाती है। इस प्रकार के फलों का अनिषेकफल कहते है। उदाहरण:-कैला। असंगाजनन एवं बहुभूणता:-बिना निषेचन के बीज के निर्माण की क्रिया के असंगाजनन कहते है। कोई अण्डकोशिका बिना अर्द्धसूत्री विभाजनके बनती है तथा यह सिधे …

अनिषेकफलन क्या है | parthenogenesis की परिभाषा | असंगाजनन एवं बहुभूणता Read More »

निषेचन क्या है Fertilization के प्रकार परिभाषा | अनिषेक जनन

निषेचन (Fertilization):- नर तथा मादा युग्मकों के संयोजन की क्रिया को निषेचन कहते है। इससे द्विगुणित युग्मनज का मिर्माण होता है। बाह्य निषेचन (External fertilization):- जब निषेचन की क्रिया शरीर के बाहर हो तो उसे बाहा्र निषेचन कहते है उदाहरण:- मेढक, अस्धील मछलियाँ इस प्रकार के निषेचन हेतु जलीय माध्यम की आवश्यकता होती है इसमें नर युग्मक अधिक संख्या में उत्पन्न किये जाते है क्योकि स्थानान्तरण के दौरान बहुत युग्मकों के नष्ट होने की संभावना रहती है। आंतरिक निषेचन (Internal fertilization):-जबनिषेचन की क्रिया मादा शीरर के अन्दर होती है तो इसे आन्तरिक निषेचन कहते है। उदाहरण:- अनुष्य, बन्दर अनिषेक जनन(Non-fertilization):- बिना निषेचन के जनन की क्रिया को अभिषेक जनन कहते है। इसमें मादा युग्मक नर युग्मक से संयोजित हुये बिना ही युग्मनज में बदल जाता है। उदाहरण:- रोटिकेश, मधुमक्खी, कुवर छिपकलियाँ एवं कुमक्षी Remark: दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे| यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी …

निषेचन क्या है Fertilization के प्रकार परिभाषा | अनिषेक जनन Read More »

भ्रुण क्या है परिभाषा | बीज व फल का निर्माण

भ्रुण :- युग्मनाज से भू्रण का विकास होता है। यह भूणपोष से पोषण प्राप्त करके प्राक्भूण के रूप में विकसित होता है तथा उत्तरोत्तर रूप से गोलाकार भू्रण, हदयाकार भूण बनता हुआ परिपक्व भूण बनता है। द्विबीजपत्री भ्रुण का विकास:- द्विबीजपत्री पादपों में दो बीज पत्र पाये जाते है जो भूणीय अक्ष पर लगे होते है भू्रणीय अक्ष …

भ्रुण क्या है परिभाषा | बीज व फल का निर्माण Read More »

जन्तुओं तथा पादपों में लैंगिकता

१      जन्तुओं में लैंगिकता :- दो प्रकार के होते है। 1     एक लिंगियता :- 2     द्वि लिंगियता  :- (A)     एक लिंगीयता:- वे जीव जिनके शरीर में एक ही प्रकार के जनन अंग पाये जाते है तथा वे एक ही प्रकार के युग्मक (नर अथवा मादा) उत्पन्न करते है उन्हें एकलिंगी जीव कहते है इस क्रिया को एक लिंगीयात कहते है। उदाहरण:- तिलचट्टा एवं सभी स्तनधारी (B)द्वि लिंगियता/उभयलिंगीयता:- वे जीव जिनके शरीर में नर एवं मादा जनंनाग दोनों पाये जाते है तथा वे नर एवं माा दोनों प्रकार के युग्मक उत्पन्न करते है उन्हें द्विलिंगी जीव कहते है तथा इस क्रिया को द्वि लिंगियता कहते है। उदाहरण:- हाइड्रा, स्पंज, फीता कृमि (टेपकर्म) केचुआ आदि। २  पादपों में लैंगिकता:- (A)एकलिंगी पुष्प:- पुष्प में या तो पुकेंसर पाये जाते है या स्त्री केसर पाये जाते है। ऐसे पुष्पों ो एकलिंगी पुष्प कहते है। पुकेसर के पाये जाने पर पुष्प पुकेसरी तथा जायंाग के पाये जाने पर पुष्प स्त्री केंसरी कहलाता है। उदाहरणः-मक्का, नारियल, पपीता, शहतूत। (B) द्विलिंगी पुष्प/उभयलिंगी पुष्प:- पुष्प में नर जननाँग पुकेसर एवं माता जनंनाग स्त्री केंसर दोनो की उपस्थिति हो तो ऐसे पुष्प को द्विलिंगी पुष्प कहते है। उदाहरण:- मटर, गुडहल, सरसों, पिटूनिया आदि। (C) एकलिंगाश्रयी पादप:- जिस पादप पर एक ही प्रकार के पुष्प पाये जाते है उसे एकलिंगीश्रयी पादप कहते है। उदाहरण:- पपीता, शहतूत शैवालों में ऐसे पाद विष्मथैलस कहलाते है। उदाहरण:-मारकेश्यिा (D) द्विलिंगाश्रयी पादप:- ऐसे पादप जिन पर दोनो प्रकार के पुष्पा नर मादा या उभयलिंगी पुष्प पाये जाते हो उसे द्विंिगाश्रयी पादप कहते है। उदाहरण:- मक्का, नारियल, कुक्कुरबीया (खीर ककडी) शैवालों में जब एक ही थेलस पर नर एवं मादा जननाँग दोनों पाये जाते है तो इनके समथैलस कहत है। उदाहरण:-कारा Remark: दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है …

जन्तुओं तथा पादपों में लैंगिकता Read More »

भ्रुणपोष क्या है | परिभाषा तथा प्रकार | अभ्रुणपोषी | भ्रुणपोषी बीज

भ्रुणपोष :-प्राथमिक भूणकोण केन्द्रक से भूणणोव का विकास निर्माण होता है भूणपोण का विकास निर्माण होता है भूणपोस का विकास उत्तरोर रूप से भ्रूण के विकास के साथ होता है। महत्व यह आवृतबीजी पादपों में पाया जाने वाला एक प्रकार का अनुकुलन है। जब प्राथमिक भूणपोष केन्द्र के उत्तरोत्तर रूप से विभाजन के द्वारा अनेक केन्द्रक …

भ्रुणपोष क्या है | परिभाषा तथा प्रकार | अभ्रुणपोषी | भ्रुणपोषी बीज Read More »

युग्मक जनन क्या है | परिभाषा | युग्मकों के प्रकार | लैंगिक जनन की घटनाएं

लैंगिक जनन की घटनाएं(Sexual incidence events):- लैगिक जनन के दौरान होने वाली घटनाओं को तीन भागों में बाँटा गया है। 1.     निर्वचन पूर्ण घटनाऐं:- (a)    युग्मक जनन (b)    युग्मकों का स्थानान्तरण/परिवहन  युग्मक जनन:– युग्मकों के बनने की क्रिया युग्मक जनन कहलाती है युग्मको के निर्माण के दौरान अर्द्धसूत्री विभाजन होता है तथा अगुणित युग्मक बनते है। युग्मकीट भिद पीढ़ी में बिना अर्द्धसूची विभाजन के युग्मकों का निर्माण होता है। जो अधुणित होता है। युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आती होती है। जैसे मनुष्य में 2दत्र 46 युग्मक द त्र 23 फल मक्खी     :-      8     मक्का  :-      20 घरेलू मक्खी     :-      12    धान    :-      24 बिल्ली         :-      38    कुत्ता    :-      78 चुहा           :-      42    सेव    :-      34 प्याज          :-      38    आलू   :-      48 तितली         :-      380 AIPMT  :- पादपो में                                                                    जन्तुओं में सबसे कम -हैप्लोटैप्ल्स:-04  …

युग्मक जनन क्या है | परिभाषा | युग्मकों के प्रकार | लैंगिक जनन की घटनाएं Read More »

कृत्रिम अंकुरण क्या है | परिभाषा | प्रकार दोहरा निषेचन (द्वि-निषेचन)

दोहरा निषेचन (द्वि-निषेचन) (Double fertilization) कृत्रिम संकरण:-दो जनकों के दो या अधिक उत्तम लक्षणों को एक ही संतति में प्राप्त करने हेतु उनके मध्य कोश कराने की क्रिया कृत्रिम संकरण कहते है। कृत्रिम -संकरण की तकनियाँ:- 1. दो जनकों के दो या अधिक ऊतक लक्षणों को एक ही संतति में प्राप्त करने हेतु उनके मध्य …

कृत्रिम अंकुरण क्या है | परिभाषा | प्रकार दोहरा निषेचन (द्वि-निषेचन) Read More »

प्रजनको के प्रकार(Types of breeders) व जनन चक्र(Genital cycle)

जनन चक्र(Genital cycle) क्या है , प्रजनको के प्रकार:- प्रजनको के प्रकार(Types of breeders):- दो प्रकार के होते है। 1-    मौसमी(Seasonal):–वे जीव जो पर्यावरण की अनुकूल परिस्थिति में निश्चित ऋतु में अपने समान सन्तान को जन्म देते है उनके मौसमी जन कहते है। उदाहरण:- आम, अमरूद्ध, कटहल आदि तथा पक्षी, मेढक, छिपकली एवं प्रकृति में रहने वाले जीव/असामान्य पुष्पीकरण:- नीला कुंरेन्जी (स्ट्रेबोलिन्थल कुनिआना) सतत् प्रजनक(Continuous breeders):- जो जीव अपनी पूरी जनन अवस्थामें जनन के लिए सक्रिय रहते है उनके सतत् प्रजनक कहते है। अधिकाँश स्तनधारी जैसे मनुष्य बन्दर एवं संरक्षण में रहने वाले पक्षी कुकुमुट फार्म जनन चक्र(Genital cycle):- व्यस्कावस्था में जन्तुआंे के अण्डाशय की सक्रियता के कारण उसमें चक्रिय परिवर्तन होते है जिससे हाॅरमोनो में बदलाव आता है। इन चक्रिय परिवर्तनो का जन्म चक्र कहते है। यह दो प्रकार के होते है। 1:- मद चक्र(oestrous cycle):- नान प्राइमेंट में होने वाले जनन चक्रों को मद चक्र कहते है। उदाहरण:– गाय बकरी, हिरण, कुत्ता चीता आदि। 2:- रज चक्र(menstrual cycle):- प्राइमेंट में होने वाले जनन चक्र को राज चक्र कहते है। उदाहरण मनुष्य बन्दर। Remark: दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम …

प्रजनको के प्रकार(Types of breeders) व जनन चक्र(Genital cycle) Read More »

पराग-स्त्रीकेसर संकर्षण- (पास्परिक क्रिया)

राग-स्त्रीकेसर संकर्षण- (पास्परिक क्रिया)(Interaction):-परागकण एवं परिभाग के रासायनिक घटकों के मध्य होने वाली पारस्परिक क्रिया को पराग-स्त्रीकेसव संकर्षण कहते है। वतिक्रण पर पहुंचने वाले परागकण को इस क्रिया के द्वारा पहचाना जाता है यदि परागकण अयोज्य है तो उसकी अवमति होती है। यदि परागकण योग्य है तो उसकी प्रोन्नति होती है परागकणों का अंकुरण होता …

पराग-स्त्रीकेसर संकर्षण- (पास्परिक क्रिया) Read More »

लैंगिक जनन के चरण/अवस्था

किशोरावस्था (पादपों में कायिक अवस्था):- जीव में अवस्था के पूर्व कायिक अंडो में वृद्धि होती है तथा जीव परिपक्वता प्राप्त करता है। इस अवस्था को किशोरावस्था कहते है। किशोरावस्था की अवधि भिन्न-2 में जीवों में अलग-2 होती है। इस अवस्था के अन्त में जीव में अनेक आकारिकी एवं शारीरिकी पवित्रन होते है तथा वह जनन अवस्था के लिए तैयार होता है। व्यस्कावस्था जनन अवस्था:- किशोरावस्था की समाप्ति पर जीव अपने समान ही संतति को जन्म देता है इस अवस्था को जनक अवस्था कहते है। 3 .    जीर्णमान/जीर्णता/वृद्धावस्था:- व्यस्कावस्था की समाप्ति पर जीवन के अन्तिम चरण में उत्तरोत्तर रूप से अनेक परिवर्तन होते है जिससे उपापचय क्रियाऐं मंद हो जती है इस अवस्था को वृद्धावस्था कहते है तथा इन्के अन्त में मृत्यु हो जाती है। Remark: दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे| यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी गयी जानकारी से लाभ मिला हो तो …

लैंगिक जनन के चरण/अवस्था Read More »

परागण क्या है | Pollination के प्रकार | परिभाषा

परागण (Pollination):- परागकोश के स्फूटन से परागकणों का स्त्रीकेंसर की वर्तिकाग्र तक पहुंचने की क्रियाक को परागण कहते है। पराग कण के प्रकार:- तीन प्रकार के होते है। 1. स्व-युग्मन (auto gamy ) 2. सजातपुष्पी (gateinogamy ) 3. पर-परागण (xenogamy ) 1- स्व-युग्मन:-परागकोश के स्फूटन से परागकणों का उसी पुष्प की वर्तिकाग तक पहुंचने की क्रियाको स्व-युग्मन कहते है। …

परागण क्या है | Pollination के प्रकार | परिभाषा Read More »