- किशोरावस्था (पादपों में कायिक अवस्था):- जीव में अवस्था के पूर्व कायिक अंडो में वृद्धि होती है तथा जीव परिपक्वता प्राप्त करता है। इस अवस्था को किशोरावस्था कहते है। किशोरावस्था की अवधि भिन्न-2 में जीवों में अलग-2 होती है। इस अवस्था के अन्त में जीव में अनेक आकारिकी एवं शारीरिकी पवित्रन होते है तथा वह जनन अवस्था के लिए तैयार होता है।
- व्यस्कावस्था जनन अवस्था:- किशोरावस्था की समाप्ति पर जीव अपने समान ही संतति को जन्म देता है इस अवस्था को जनक अवस्था कहते है।
3 . जीर्णमान/जीर्णता/वृद्धावस्था:- व्यस्कावस्था की समाप्ति पर जीवन के अन्तिम चरण में उत्तरोत्तर रूप से अनेक परिवर्तन होते है जिससे उपापचय क्रियाऐं मंद हो जती है इस अवस्था को वृद्धावस्था कहते है तथा इन्के अन्त में मृत्यु हो जाती है।
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