पराग-स्त्रीकेसर संकर्षण- (पास्परिक क्रिया)

राग-स्त्रीकेसर संकर्षण- (पास्परिक क्रिया)(Interaction):-परागकण एवं परिभाग के रासायनिक घटकों के मध्य होने वाली पारस्परिक क्रिया को पराग-स्त्रीकेसव संकर्षण कहते है। वतिक्रण पर पहुंचने वाले परागकण को इस क्रिया के द्वारा पहचाना जाता है यदि परागकण अयोज्य है तो उसकी अवमति होती है। यदि परागकण योग्य है तो उसकी प्रोन्नति होती है परागकणों का अंकुरण होता है तथा पराग-पश्य घटनाओं को प्रोत्साहन मिलता है।

पर्याप्त जल, पोषक पदार्थ एवं रासायनिक घटकांे की उपस्थित सारा पराग स्त्रीकेशर संकर्षण में हेर-फेर करके अयोग्य परागकणों का भी अंकुरण हो सकता है तथा इस प्रकार संकर संतति बनायी जा सकती है।

एक स्लाइड पर मटर घना, सदाबहार, बालसम आदि के परागकण होते है इन्हें 10 प्रतिशत शर्करा के विलयन में रखते है इन्हें 15-20 मिनट बाद कण शक्ति के माइक्रोसम में दिख्ने पर पराग नली अंकुरित दिखाई देती है।

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