नाभिक रागी या स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया | धारण | प्रतिलोमन

नाभिक रागी या स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया | धारण | प्रतिलोमन

धारण (retention) क्या है:

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में असममित केंद्र के बंधो के त्रिविमीय विन्यास की अखण्डता बनी रहती है तो उसे विन्यास का धारण कहते है।

उपरोक्त अभिक्रिया में असममित केंद्र से बंधित कोई भी बंध नहीं टूटता है अतः क्रियाफल का विन्यास क्रिया कारक के विन्यास के समान रहता है इसे विन्यास का धारण कहते है।

धारण , प्रतिलोमन , रसिमीकरण इन तीनों पदों की व्याख्या निम्न परिवर्तन द्वारा समझाई जा सकती है इन परिवर्तनों में x के स्थान पर y समूह आता है।

Note1 : A से B में परिवर्तन होने पर A तथा B के विन्यास समान है अतः यह अभिविन्यास का धारण कहलाता है।

Note 2: A सेट में परिवर्तन होने पर यौगिक का विन्यास परिवर्तित हो जाता है अतः यह प्रतिलोमन है , प्रतिलोमन में d फॉर्म  l form में या  l फॉर्म d फॉर्म में बदल जाती है।

Note 3: यदि A पदार्थ से 50% B पदार्थ तथा 50% C पदार्थ बने तो इसे रसिमीकरण की क्रिया कहते है।

नाभिक रागी या स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के त्रिविम रासायनिक पहलु :

SN1 अभिक्रिया  में रेसिमीकरण तथा SN2 अभिक्रिया प्रतिलोमन होता है इस तथ्य की व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है।

1. SN2 अभिक्रिया में आने वाला नाभिक स्नेही जाने वाले नाभिक स्नेही के पीछे से प्रहार करता है , जिससे बनने वाले उत्पाद (पदार्थ) का विन्यास क्रियाकारको के विन्यास के ठीक उल्टा होता है इसे प्रतिलोमन कहते है।

जैसे – वाम ध्रुवण घूर्णक 2 ब्रोमो ऑक्टेन की क्रिया NaOH से करने पर दक्षिण घूर्णक ऑक्टेन-2-ऑल बनता है।

2. SN1 अभिक्रिया अभिक्रिया में रेसेमीकरण होता है जैसे – जब 2-ब्रोमो butane की क्रिया जलीय KOH से करने पर butan-2-ol का रेसिमिक का मिश्रण बनता है।

इसकी व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है

सर्वप्रथम 2-bromo butane ब्रोमाइड आयन को त्यागकर कार्बो कैटायन का निर्माण करता है।

कार्बो कैटायन में केंद्रीय कार्बन परमाणु का SP2 संकरण होता है।

इसकी ज्यामिति समतलीय त्रिभुजीय होती है , इस पर OH– दो प्रकार से प्रहार कर सकता है जब OH– आगे से प्रहार करता है तो वाम ध्रुवण घूर्णक butan-2-ol बनता है परन्तु जब OH– पीछे से प्रहार करता है तो दक्षिण ध्रुवण घूर्णक butan-2-ol बनता है।  इन दोनों पदार्थों की समान मात्राएँ प्राप्त होती है अर्थात रेसिमिक मिश्रण बनता है अतः  SN1 अभिक्रिया में रेसेमीकरण होता है।

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