कार्बोनिल यौगिक के भौतिक गुण:
1 HCHO के 40% जलीय विलयन में फॉर्मेलिन कहते है यह कीटाणुनाशी पदार्थ है।
2. HCHO , CH3-CHO , CH3-CO-CH3 तीक्ष्ण गंध युक्त पदार्थ है।
3. कार्बन की संख्या बढ़ने के साथ साथ तीक्ष्ण गंध का आना कम हो जाता है जबकि सुहावनी गन्ध आने लगती है।
4. HCHO , CH3-CHO , CH3-CO-CH3 जल के साथ हाइड्रोजन बंध बना लेते है अतः ये जल में विलेय होते है।
5. कार्बन की संख्या बढ़ने के साथ साथ जल विरोधी भाग बढ़ता जाता है , जल के साथ हाइड्रोजन बंध बनाने की क्षमता कम होती जाती है अतः जल में विलेयता कम होती जाती है।
6. एल्कोहल का क्वथनांक कार्बोनिल यौगिक से अधिक होता है क्योंकि एल्कोहल में अंतराणुक हाइड्रोजन बंध कारण संगुणन हो जाता है।
7. कार्बोनिल यौगिक में कीटोन का क्वथनांक अधिक होता है क्योंकि एल्डिहाइड की तुलना में कीटोन अधिक ध्रुवीय होते है जिससे कीटोन के अणुओं के मध्य प्रबल द्विध्रुव द्विध्रुव आकर्षण होता है।
8. कर्बोनिल यौगिको का क्वथनांक ईथर से अधिक होता है क्योंकि ether कम ध्रुवीय होते है।
9. एल्केन के अणुओं के मध्य दुर्बल वांडरवाल बल होते है इसका क्वथनांक सबसे कम होता है।
कार्बोनिल समूह की संरचना :
1. कार्बोनिल समूह में कार्बन व ऑक्सीजन दोनों को SP2 संकरण होता है।
C6 = 1S2 2S2 2P2 , O8 = 1S2 2S2 2P4
2. कार्बन के तीन SP2 संकरण कक्षक तीन सिग्मा बंध का निर्माण करते है।
3. कार्बन व ऑक्सीजन पर एक एक अर्द्धपूर्ण असंतृप्त p कक्षक शेष रह जाता है जो पाश्विक अतिव्यापन से पाई बंध का निर्माण करता है।
4. ऑक्सीजन की विद्युत ऋणता अधिक होने के कारण पाई बंध के इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन की ओर विस्थापित हो जाता है जिससे ऑक्सीजन पर आंशिक ऋणावेश व कार्बन पर आंशिक धनावेश आ जाता है , अतः कार्बोनिल समूह ध्रुवीय प्रकृति का होता है।