एल्डिहाइड व कीटोन में नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया

नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया:

वे अभिक्रियाएं जिनमे नाभिक स्नेही पहले व इलेक्ट्रॉन स्नेही बाद में प्रहार करता है उन्हें नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया कहते है।

ये क्रियाएँ एल्डिहाइड व कीटोन में होती है।

नोट : कार्बोनिल समूह के कार्बन पर electron का घनत्व जितना कम होता है Nu– (न्यूक्लियो) उतने ही सुगमता से प्रहार करता है जिससे नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया तेज (फास्ट) गति से होती है।

नोट : कार्बोनिल समूह के कार्बन पर जितने ज़्यादा व बेड आकार के एल्किल समूह जुड़े होते है , +I प्रभाव के कारण कार्बोनिल समूह के कार्बन पर इलेक्ट्रॉन का घनत्व बढ़ जाता है जिससे इन अभिक्रियाओं के प्रति क्रियाशीलता कम हो जाती है।

यदि कार्बोनिल समूह के कार्बन पर बेंजीन वलय जुडी हो तो अनुनाद के कारण कार्बन पर इलेक्ट्रॉन का घनत्व बढ़ जाता है।  जिससे Nu– का प्रहार आसानी से नहीं होता अतः एरोमैटिक कार्बोनिल यौगिक नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया अभिक्रिया के प्रति कम क्रियाशीलता होता है।

रासायनिक गुण :

1. HCN क्रिया करने पर सायनो हाइड्रीन बनता है।

सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइड से क्रिया करने पर क्रिस्टलीय योगात्मक उत्पाद बनते है।

नोट : उपरोक्त क्रिया में बने पदार्थों की क्रिया अम्ल या क्षार से करने पर पुन: कार्बोनिल यौगिक बन जाते है।

2. अमोनिया के व्युत्पन्नों से क्रिया

हाइड्रोक्सिल ऐमीन (H2N-OH) से क्रिया करने पर ऑक्सिम बनते है।

हाइड्रेज़ीन से क्रिया करने पर हाइड्रोजन बनते है।

फेनिल हाइड्रेज़ीन से क्रिया करने पर फेनिल हाइड्रोजोन बनते है।

2,4 डाई नाइट्रोफेनिल हाइड्रेज़ीन (2,4 DNP) से क्रिया करने पर 2 , 4 डाई नाइट्रोफेनिल हाइड्रेज़ोन बनते है।

सेमी कार्बेजाइड से क्रिया करने पर सेमी कार्बेजोन बनते है।

एल्किल ऐमीन से क्रिया करने पर शिफ़ क्षार बनते है।

एल्कोहल से क्रिया :

एल्डिहाइड एल्कोहल से क्रिया करके पहले हेमिएसीटैल बनाते है जो पुन: एल्कोहल से क्रिया करके एसिटैल बनाते है।

कीटोन एल्कोहल से क्रिया नहीं करते परन्तु एथिलीन ग्लाइकोल से क्रिया करके चक्रीय कीटैल बनाते है।

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