अलैंगिक जनन | फाइकोमाइसिटीज  | एस्कोमाइसिटीज | बेसिडियोमाइसिटीज | ड्यूटिरोमाइसिटीज 

अलैंगिक जनन :

लैंगिक जनन समयुग्मी या विषम युग्मी प्रकार का होता है। लैंगिक जनन ऊस्पोर , ऐस्कस , बीजाणु तथा बेसिडियम बीजाणु द्वारा होता है।  बीजाणु सुस्पष्ट संरचनाओ के रूप में उत्पन्न होते हैं , जो फलनकाय बनाते है।  लैंगिक जनन निम्न तीन सोपान (चरण) में होता है।

1. दोचल अथवा अचल युग्मकों के प्रियेप्लाज्म का संलयन होता है जिसे प्लैज्मोजेमी कहते है।

2. दो युग्मकों के केन्द्रको का संलयन होता है जिसे केन्द्रक संलयन कहते है।

3. निषेचन से बने युग्मनज में अर्धसूत्री विभाजन के कारण अगुणित बीजाणु बनते है , जो फलनकाय बनाते है।

फाइकोमाइसिटीज :

1. आवास : इस वर्ग के कवक जलीय आवासों , सड़ी गली लकड़ियों नम तथा शीलन वाले स्थानों अथवा पौधों पर अविकल्पी परजीवी के रूप में पाये जाते है।

2. इनका कवक जाल पररहित तथा बहुकेन्द्रीय होता है।

3. अलैंगिक जनन चल बीजाणु या अचल बीजाणु द्वारा होता हैं।

4. दो युग्मकों के संलयन से युग्मणु बनते है।

5. युग्मक आकारिकी की दृष्टि से संयुग्मकी , असमयुग्मकी अथवा विषमयुग्मकी होते है।

उदाहरण : म्यूकर , राइजोपस , एल्बूयगो

एस्कोमाइसिटीज :

1. इन्हे थैली कवक भी कहते हैं।

2. अधिकांश सदस्य स्थलीय किन्तु कुछ सदस्य जलीय भी होते है।

3. ये मृतोपजीवी , अपघटक , परजीवी अथवा इमलरागी होते हैं।

4. यीस्ट को छोड़कर सभी सदस्य बहुकोशिकीय जाल बनाते है।

5. इनका कवक जाल षटयुक्त होता हैं।

6. इनमे कायिक जनन , अलैंगिक जनन व लैंगिक जनन होता है।

7. कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है।

8. अलैंगिक जनन उलेमाइडोस्पोर कोनिडिया या  ऑइडिया द्वारा होता है।

9. लैंगिक जनन युग्मक धानियो के संपर्क द्वारा होता है।

10. इनका फलनकार  ऐस्कस कहलाता है , जिनमे एस्केस्पोर बनते है।

उदाहरण : यीस्ट , पेनिसिलियम , न्यूरोस्पोरा , एस्परजिलस

बेसिडियोमाइसिटीज :

1. इस वर्ग के कवक मिट्टी में , लट्ठों पर तथा वृक्ष के ढूंढो पर या सजीवों में परजीवी के रूप में पाए जाते है।

2. कायिक जाल शाखित तथा परयुक्त होता है।

3. कायिक जनन खण्डन विधि द्वारा होता है।

4. अलैंगिक जनन प्राय: नहीं होता है।

5. लैंगिक अंग इनमें नहीं होता है , परन्तु दो कायिक कोशिकाओं का संलयन होता है जिससे बेसिडियम बनते है। 6. बेसिडियम फलनकाय में लगे रहते है , जिसे बेसिडियम कॉर्प कहते है।

उदाहरण : एगौरिकम , ऑस्टीलैगो , पाक्सिनिया

ड्यूटिरोमाइसिटीज :

1. इन्हे प्राय: अपूर्ण कवक भी कहते है।

2. इन कवको की केवल कायिक प्रावस्था ही ज्ञात है।

3. इस वर्ग के सदस्य केवल अलैंगिक कोनिडिया बीजाणुओं द्वारा जनन करते है।

4. इनका कवक जाल शाखित व पटयुक्त होता है।

5. ये मृतोपजीवी या परजीवी होते है , लेकिन अधिकांश सदस्य अपशिष्ट के अपघटक होते है।

6. ये खनिजों के चक्रण में सहायक होते है

उदाहरण : ऑल्टरनेरिया , कोलीटोट्राइकम , ट्राइकोडर्मा आदि।

Remark:

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