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चालक क्या है – chalak kise kahte h:
वे पदार्थ जिनमे स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन या स्वतंत्र आयन होते है उन्हें चालक कहते है |
चालक दो प्रकार के होते है।
1. धात्विक चालक :
इनमे स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन होते है अतः इन्हे इलेक्ट्रॉनिक चालक भी कहते है ताप बढ़ाने से इनकी चालकता में कमी होती है। क्योंकि ताप बढ़ाने से इलेक्ट्रॉन के बहने में बाधा आती है।
उदाहरण : Cu , Ag , Na , Au , Ca , Fe , Cr , Ni आदि धातुएं ग्रेफाइट।
2. विधुत अपघटनी चालक :
इनके विलयन में स्वतंत्र आयन होते है। ताप बढ़ाने से इनकी चालकता बढ़ती है , क्योंकि ताप बढ़ाने पर आयनों में गति अधिक होती हैं।
उदाहरण : NaCl , KCl , HCl , H2SO4, HNO3 , NaCH आदि |
चालकों का वर्गीकरण:
चालक को इसके आकार के अनुसार अलग अलग 3 श्रेणियों में रखा गया है .
1.ठोस चालक:- सोना, चांदी,तांबा, एल्मुनियम इत्यादि
2.तरल चालक:- पारा, सल्फ्यूरिक एसिड, अमोनियम क्लोराइड, कॉपर सल्फेट इत्यादि
3.गैसीय चालक:- नियोन , हीलियम ,ऑर्गन इत्यादि
अच्छे चालक की विशेषताएं:
- एक अच्छा चालक की कंडक्टिविटी बहुत ही अच्छी होनी चाहिए और रजिस्ट्रीविटी बहुत कम होनी चाहिए.
- एक अच्छा चालक खींचने योग्य होना चाहिए और वह सीट बनाने योग्य होना चाहिए.
- अच्छा चालक यांत्रिक तौर पर भी काफी मजबूत होना चाहिए
- एक अच्छा चालक में नरम होने का गुण भी होना चाहिए जिसे हम आसानी से मोड सके
- एक अच्छे चालक की कीमत ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
चालकत्व क्या है:
प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालकत्व कहते है इसे G से व्यक्त करते है।
G = 1/R
इसकी इकाई Om-1 या सीमेन्ज(S) होती है।
प्रतिरोध (Resistance) : विधुत धारा के बहने में उत्पन्न रुकावट को प्रतिरोध कहते है। इसे R से व्यक्त करते हैं।
किसी धात्विक तार का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती तथा अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता हैं।
यहाँ ρ एक स्थिरांक है जिसे विशिष्ठ प्रतिरोध या प्रतिरोधकता(Specific resistance or resistivity) कहते हैं।