द्विघटकीय मैग्मा का क्रिस्टलन

द्विघटकीय मैग्मा का क्रिस्टलन :

मैग्मा के शीतलन या दबाव में परिवर्तन पर खनिज क्रिस्टलित होते है।   प्रकार संघटन के पश्चात् आग्नेय शैल निर्मित होते है।  शैलों में खनिजों की संख्या मैग्मा के संघटन और शीतलन की स्थितियों पर निर्भर करती है।  यहाँ हम द्वीखनिजीय शैलो के बारे में पढेंगे।


द्विघटकीय मैग्मा के क्रिस्टलन की सबसे बड़ी विशेषता घटकों का एक दूसरे के हिमांक पर प्रभाव है।  उदाहरणर्थ ल्यूसाइट का हिमांक 1420′ C है लेकिन औजाइट (1220′ c) की उपस्थिति में ल्यूसाइट का क्रिस्टलन 1220 डिग्री सेंटीग्रेट से कम पर प्रारम्भ हो जाता है।
द्विघटकीय मैग्मा को निम्न के आधार पर समझा जा सकता है –
1. Phase : शैल में उपस्थित घटक phase कहलाते है।
2. phase diagram : प्लेजिओक्लेज वर्ग के एल्बाईट और एनार्थाईट घटकों वाले द्विघटकीय मैग्मा से क्रिस्टलन निम्न चित्र से प्रदर्शित करते है –

3. Eutectic point : जिस बिन्दु पर दोनों घटकों का क्रिस्टलन एक स्थिर तापक्रम पर होता है , गलन क्रान्तिक बिन्दु कहलाता है।
4. सर्वान्गसम गलन (congruent melting ) : यदि किसी क्रिस्टल शैल को तापक्रम बढाकर गलाते है और उस शैल से उसी क्रिस्टल के घटक निकलते है जिससे वह बना है तो क्रिस्टल शैल congruent कहलाता है और यह क्रिया congruent melting कहलाती है।  यदि शैल से अलग क्रिस्टल के घटक निकलते है तो यह incongruent melting कहलाती है।
उदाहरण : ल्यूसाइट का हिमांक 1420’c है लेकिन औजाइट 1220’c की उपस्थिति में ल्यूसाइट का क्रिस्टलन 1220’c से कम पर ही प्रारम्भ हो जाता है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|


यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी गयी जानकारी से लाभ मिला हो तो आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है |

हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *