मैटेसोमैटिज्म और कायान्तरण के योगज प्रक्रम

मैटेसोमैटिज्म और कायान्तरण के योगज प्रक्रम : वि.एम. गोल्डश्मिर के अनुसार मैटेसोमैटिज्म परिवर्तन का ऐसा प्रक्रम है जिसमे मूल खनिजो एवं लाए गए पदार्थ की रासायनिक प्रतिक्रिया से नए पदार्थ की समृद्धि होती है।

इस परिभाषा के अनुसार मैटेसोमैटिज्म का क्षेत्र ऐसे शैल परिवर्तनों तथा प्रतिस्थापनो तक ही सिमित है जो बाह्य उद्भव के विलयनो द्वारा ही होते है।

मैटेसोमैटिज्म प्रक्रम के निम्न लिखित प्रकार होते है –

1. सिलिकेट शैलों और सिलिका का मैटेसोमैटिज्म

2. कार्बोनेट शैलों का मैटेसोमैटिज्म

3. लवण निक्षेपों का मैटेसोमैटिज्म

4. सल्फाइड शैलो का मैटेसोमैटिज्म

उच्च ताप पर मैग्मीय प्रसंगो की उपस्थिति में होने वाले परिवर्तन को ऊष्मा बाह्य कायान्तरण कहते है।  इस परिवर्तन के फलस्वरूप मस्कोवाईट , लिथियम अभ्रक , फ्लुओराइट , टूरमैलिन इत्यादि खनिजो की उत्पत्ति होती है।

मैग्मा के आंशिक रूप से क्रिस्टलन के उपरान्त अवशिष्ट पदार्थ सिलिका , क्षार , एलुमिना और जल में समृद्ध हो जाता है।  यह पदार्थ पूर्व निर्मित शैलो से दो रूप से क्रिया कर सकता है।

1. अवशिष्ट पदार्थ का स्लेट के विदलन , शिस्टाम तल एवं संस्तरों में एप्लाईटी या पेग्माईटटी अंत: क्षेपण जिससे स्तानुस्तर नाइस (lit par lit gneiss ) इत्यादि की उत्पत्ति होती है।

2. आक्रान्ता शैलों द्वारा विलयनो का अंत: शोषण जिससे एडिनोल , एल्बाईट शिस्ट इत्यादि शैल बनते है।  जिससे एडिनोल स्लेट पर एल्बाइट समृद्ध स्पिलाइटी मैग्मा के प्रभाव द्वारा निर्मित सघन श्रृंगी , शंखाभ विभंग वाले एल्बाइट एवं क्वार्ट्ज के मिश्रण से बना शैल है।

अवशिष्ट मैग्मीय पदार्थ उसी मैग्मा से निर्मित क्रिस्टलों को भी प्रभावित करते है।  किसी आग्नेय शैल के उसी के अवशिष्ट द्वारा किये गए परिवर्तन को स्वकायान्तरण कहते है।

Metamorphic minerals :

कायान्तरण के पश्चात् निर्मित होने वाले खनिज मूल शैल के संघटन पर निर्भर है।  कायान्तरण शैलो में निर्मित खनिज ताप , दाब अथवा प्रतिबल पर मुख्यतया निर्भर है।  इस प्रकार के खनिज निम्न समूहों में विभाजित किये जा सकते है।

1. Stress minerals (प्रतिबल खनिज)

2. anti stress minerals (समबल खनिज)

3. Relicts minerals (अवशिष्ट खनिज)

1. Stress minerals (प्रतिबल खनिज) :

 रीजनल मैटामोरफिज्म के दौरान अपरुपक प्रतिबल अथवा दिष्ट दाब से प्रतिबल खनिजो का निर्माण होता है।  इनकी प्रकृति सामान्यत: फ्लेट , टेबुलर अथवा फ्लैकी होती है।  ये दिष्ट दाब की दिशा के समान्तर ग्रोथ करते है।  प्रतिबल खनिज कई कायांतरित शैलो की समान्तर संरचना एवं घटन निर्माण में प्रतिबल खनिजों के उदाहरण – micas , chlorite , talc , albite , amphiboles and staurolite

2. anti stress minerals (समबल खनिज) :

 ये खनिज एक समान दाब की स्थिति में निर्मित होते है जैसे की वितलीय कायान्तरण में।  ये खनिज रूप में समदैशिक होते है।  इन खनिजों के उदाहरण –

3. Relict minerals :

 ऐसे मूल खनिज जो नयी परिस्थितियों में अभिक्रिया करने में असमर्थ रहे हो अथवा अभिक्रिया जनित पदार्थ से वंचित हो गए हो ऐसे खनिज अवशिष्ट खनिज कहलाते है।

Remark:

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