द्रव रागी व द्रव विरागी कोलॉइड का स्कन्दन व रक्षक कोलाइड तथा रक्षण

द्रव रागी व द्रव विरागी कोलॉइड का स्कन्दन व रक्षक कोलाइड तथा रक्षण

द्रव रागी कोलॉइड निम्न दो गुणों के कारण अधिक स्थायी होते है।

1. आवेश

2. विलायक संकरित (जल के अणुओं से घिरना )

यदि दोनों उपरोक्त दोनों गुणों को नष्ट कर दिया जाए तो द्रवरागी कोलाइड का आसानी से स्कंदन किया जा सकता है।

द्रवरागी कोलॉइड से जल की परत हटाने के लिए इसे एल्कोहॉल या एसीटोन की कुछ मात्रा मिला देते है तथा आवेश को हटाने के लिए विधुत अपघट्य की अल्प मात्रा मिला देते है जिससे इनका आसानी से स्कंदन हो जाता है।

द्रव रागी कोलाइड में विधुत अपघट्य की अल्प मात्रा डालने पर ही आसानी से स्कंदन हो जाता है।

रक्षक कोलॉइड तथा रक्षण :

द्रव विरागी कोलॉइड का स्कन्दन आसानी से हो जाता है।  जब द्रव विरागी कोलॉइड में द्रव रागी कोलॉइड की अल्प मात्रा मिला दी जाती है तो द्रव विरागी कोलॉइड का आसानी से स्कंदन नहीं होता इसे रक्षण कहते है।

जबकि द्रव रागी कोलॉइड को रक्षक कोलाइड कहते है।  क्योंकि यह द्रव विरागी कोलाइड की स्कन्दन से रक्षा करता है जैसे स्वर्ण सॉल (द्रव विरागी) में जिलेडिन (द्रवरागी ) में मिलाने पर स्वर्ण सॉल का आसानी से स्कंदन नहीं होता है यहाँ जिलेडिन रक्षक कोलाइड कहलाता है।

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