बैटरियां क्या है परिभाषा , गुण, प्रकार

बैटरियां क्या है परिभाषा , गुण, प्रकार

बैटरियां क्या है – battery kya hai in hindi:

जब दो या दो से अधिक विद्युत रासायनिक सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो इसे बैट्री कहते है , यह रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।
जब विद्युत रासायनिक सेल को बैट्री बनाने के लिए श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो इससे बहुत अधिक धारा प्राप्त की जा सकती है इसलिए हम सेल और बैटरी में यह अंतर बता सकते है कि सेल द्वारा प्राप्त विद्युत धारा निम्न या कम होती है जबकि बैट्री द्वारा प्राप्त विद्युत धारा का मान उच्च होता है।

 

अच्छी बैट्री के गुण:

 

बैट्री में कुछ गुण होते है जिसके आधार पर उसे अच्छी बैट्री कहा जा सकता है जो निम्न है:
  • बैटरी का आकार छोटा होना चाहिए तथा इसका मूल्य भी कम होना आवश्यक है , अर्थात बैट्री का आकार और कीमत जितनी कम होगी वह उतनी ही अच्छी बैटरी मानी जाती है।
  • एक अच्छी बैट्री से अधिक समय तक उच्च ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है , किसी बैट्री का जीवनकाल जितना अधिक होता है वह उतनी ही अच्छी बैटरी मानी जाती है।
  • बैट्री वजन में हल्की होनी चाहिए।
  • वह स्थिर वोल्टता की धारा देनी चाहिए अर्थात उस बैट्री द्वारा उत्पन्न धारा में वोल्टता समय के साथ स्थिर रहनी चाहिए या वोल्टता नियत रहनी चाहिए ताकि इससे चलने वाले उपकरण वोल्टता परिवर्तन के कारण खराब न हो।

बैटरी कैसे कार्य करती है – Working of Battery:

 

बैट्री एक ऐसा उपकरण है जिसमें बहुत सारे वोल्टिक सेल श्रेणीक्रम में जुड़े रहते है , प्रत्येक वोल्टिक सेल दो अर्द्ध सेल होते है जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते है , विद्युत अपघट्य में ऋण आयन और धन आयन उपस्थित रहते है जो विपरीत इलेक्ट्रोड की तरफ गति करते है और परिणामस्वरूप विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
यहाँ सेल में रेडोक्स अभिक्रिया होती है अर्थात एक इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण होता है और दूसरे इलेक्ट्रोड पर अपचयन की अभिक्रिया होती है अर्थात सेल में रेडोक्स अभिक्रिया के फलस्वरूप विद्युत धारा उत्पन्न होती है।

बैटरी के प्रकार – Types of Batteries:

 

मुख्य रूप से बैटरीयाँ दो प्रकार की होती है:
1. प्राथमिक बैटरीयां
2. द्वितीयक बैटरीयाँ
1. प्राथमिक बैटरीयां: वे बैट्री जिनमें रासायनिक अभिक्रिया केवल एक दिशा में होती है अर्थात इस प्रकार की बैट्री में अभिक्रिया एक तरफ चलकर पूर्ण हो जाती है और विद्युत उत्पादन बंद हो जाता है , इस प्रकार की बैटरी में अभिक्रिया को विद्युत धारा प्रवाहित करके विपरीत दिशा में नहीं करवाया जा सकता है अर्थात इन बैट्रीयों को चार्ज नहीं किया जा सकता है , यदि इन बैट्री में रासायनिक अभिक्रिया पूर्ण हो जाती है तो ये बेकार हो जाते है , इन्हें पुन: चार्ज नहीं किया जा सकता है।
उदाहरण : शुष्क सेल , मर्करी सेल।
2. द्वितीयक बैटरीयाँ: वे बैटरीयाँ जिनमे रासायनिक अभिक्रिया दोनों दिशाओं में चलती है अर्थात इन बैट्रीयों को पुन: चार्ज करके काम में लिया जा सकता है , इन बैटरियों को बार बार चार्ज करके काम में लिया जाता है अर्थात ये बेकार नहीं होता है , डिस्चार्ज होने पर पुन: इन्हें चार्ज करके काम में लिया जाता है।
पहले इन बैटरीयों में अभिकारक उत्पाद में परिवर्तित हो जाते है और धीरे धीरे डिस्चार्ज हो जाते है फिर इन बैटरीयों में विद्युत धारा प्रवाहित करके उत्पाद को अभिकारक में बदला जाता है और पुन: चार्ज कर दिया जाता है।
अर्थात इस प्रकार की बैट्री को बार बार चार्ज करके उपयोग में लाया जाता है , इसके कारण ये अधिक उपयोग होती है।
प्राथमिक बैट्री की तुलना में ये कुछ अधिक कीमत वाली होती है।
उदाहरण : लैड स्टोरेज सेल , निकल कैडमियम स्टोरेज सेल आदि।

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