तेल और वसा की परिभाषा क्या है | उदाहरण | रासायनिक गुण | शुद्धता का निर्धारण का मान

तेल व वसा :

ग्लिसरोल एवं लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के एस्टर तेल व वसा कहलाते है।

एस्टर निर्माण के समय ग्लिसरोल के तीनो -OH समूह क्रिया कर लेते है अत: इन्हें ट्राइग्लिसराइड कहते है।

तेल (oil) : ये सामान्य ताप पर द्रव होते है इनमे संतृप्त वसीय अम्ल होते है।

वसा  : ये सामान्य ताप पर ठोस होते है , इनमे संतृप्त कार्बोक्सिलिक अम्ल होते है।

वे ग्लिसरॉइड जिनमे समान अंग जुड़े रहते है सरल ग्लिसरॉइड कहलाते है।

उदाहरण : ट्राई स्टेरियन वसा।

वे ग्लिसरॉइड जिनमें भिन्न भिन्न कार्बोक्सिलिक अम्ल होते है मिश्रित ग्लिसराइड कहलाते है।

उदाहरण : विमिटो डाई ओलिन

नोट : तेल और वसा में उच्च अणुभार वाले मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाते है।

तेल और वसा के रासायनिक गुण

1. साबुनीकरण : तेल या वसा का क्षार की उपस्थिति में जल अपघटन कराने पर ग्लिसरोल एवं साबुन प्राप्त होता है , इस प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते है।

2. हाइड्रोजनीकरण : तेल असंतृप्त अम्लों से बने होते है , ये सामान्य ताप पर द्रव होते है , तेलों का रैने Ni की उपस्थिति में उच्च दाब पर हाइड्रोजनीकरण करने पर ये वसा में बदल जाते है , इसे तेलों का हाइड्रोजनीकरण कहते है।

इस अभिक्रिया का उपयोग वनस्पति तेल से वनस्पती घी बनाने में किया जाता है।

तेल या वसा की शुद्धता का निर्धारण:

तेल या वसा की शुद्धता एवं गुणवत्ता के लिए निम्न रासायनिक विधियाँ काम में ली जाती है –

1. अम्ल मान (acid value) : एक ग्राम तेल या वसा को उदासीन करने के लिए आवश्यक KOH की मिलीग्राम में मात्रा को अम्ल मान कहते है।

अम्ल मान के निर्धारण के लिए तेल वसा की निश्चित मात्रा को एल्कोहल में विलेय कर KOH के साथ इसका अनुमापन करते है , जिससे तेल या वसा में उपस्थित मुक्त अम्ल उदासीन हो जाता है।

2. साबुनीकरण मान : KOH की मिलिग्राम में आवश्यक मात्रा जो एक ग्राम तेल या वसा को साबुनिकृत करने के लिए आवश्यक होती है , साबुनीकरण मान कहलाता है।

3. आयोडीन मान : आयोडीन की ग्राम में वह मात्रा जो 100 ग्राम तेल या वसा के साथ संयोग कर सके आयोडीन मान कहलाता है।

आयोडीन मान तेल या वसा के असंतृप्तता के मान को दर्शाता है।

4. राइकर्ट माइशल मान (R/m) : s.gm तेल या वसा के आश्वसन से प्राप्त वाष्पशील अम्ल को उदासीन करने के लिए आवश्यक 0.1N , KOH के मिली लीटर की संख्या को राइकर्ट माइशल मान के द्वारा तेल या वसा में उपस्थित अशुद्धि का निर्धारण किया जाता है।

5. एस्टर मान : साबुनीकरण मान व अम्ल मान के अंतर को एस्टर मान कहते है।

विकृतगंधता : तेल या वसा को वायु एवं नमी की उपस्थिति में लम्बे समय तक खुला छोड़ने पर उनमे अरुचिकर गंध उत्पन्न हो जाती है इसे विकृत गंधता कहते है।

इस प्रक्रिया में तेल व वसा का ऑक्सीकरण व जल अपघटन होता है जिससे एल्डिहाइड एवं निम्नतर वसा अम्ल बनते है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|


यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी गयी जानकारी से लाभ मिला हो तो आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है |

हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *