तुल्य व अतुल्य प्रोटॉन | नाभिकीय परिक्षण व विपरिक्षण की परिभाषा क्या है

तुल्य व अतुल्य प्रोटॉन की परिभाषा क्या है तथा नाभिकीय परिक्षण व विपरिक्षण :

तुल्य proton : किसी अणु में उपस्थित वे proton जिनके बंध कोण , बंध लम्बाई आदि के मान समान होते है अर्थात जिनका वातावरण एक समान होता है , समतुल्य प्रोटॉन कहलाते है।

ये प्रोटॉन समान सामर्थ्य वाले चुम्बकीय क्षेत्र में अवशोषित होते है इसलिए अणु को एक ही NMR signal प्राप्त होता है।

उदाहरण : वाइनिल क्लोराइड (3 NMR singal) , बेंजीन (1 एनएमआर सिग्नल)

समतुल्य प्रोटॉन का इलेक्ट्रॉनिक वातावरण एक समान होता है अत: इन्हें रासायनिक तुल्य proton भी कहते है।

अतुल्य प्रोटॉन : वे proton जिनका इलेक्ट्रॉनिक वातावरण भिन्न भिन्न होता है , अतुल्य प्रोटॉन कहलाते है।अतुल्य प्रोटॉन युक्त अणु में एक से अधिक प्रकार के एनएमआर सिग्नल प्राप्त होते है क्योंकि ये प्रोटॉन भिन्न भिन्न चुम्बकीय क्षेत्र को अवशोषित करते है।

इन्हें रासायनिक अतुल्य प्रोटॉन भी कहते है।

उदाहरण : आइसो प्रोपिल क्लोराइड (2 एनएमआर सिग्नल) ।

यदि बेन्जीन वलय से कोई एल्किल समूह जुड़ा होता है तो बेंजीन वलय में उपस्थित सभी H परमाणुओं का 1NMR सिग्नल माना जाता है।

बेन्जिन वलय में -OH , आदि समूह जुड़े होने पर बेंजीन वलय के H परमाणुओं के signal भिन्न भिन्न होते है।

नाभिकीय परिक्षण व विपरिक्षण (nuclear shielding and deshielding in hindi):

जब किसी अणु को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो अणु में उपस्थित सभी electrons घुमने लगते है , फलस्वरूप वे स्वयं भी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने लगते है इसे प्रेरिक चुम्बकीय क्षेत्र /द्वितीय चुंबकीय क्षेत्र कहते है।

यह उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में या उसी दिशा में कार्य करता है।

नाभिकीय परिक्षण (nuclear shielding) : यदि किसी अणु में इलेक्ट्रॉन चक्रण से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में कार्य करता है तो अणु के प्रोटॉन बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र से परिक्षित हो जाते हैं। .क्योंकि इस स्थिति में उत्पन्न प्रेरित चुंबकीय क्षेत्र बाह्य चुंबकीय क्षेत्र  का विरोध करता है।

अतः प्रोटोन द्वारा वास्तव में अनुभव किया जाने वाला चुम्बकीय क्षेत्र बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र से कम होता है इस प्रकार electron proton या नाभिक को परिक्षण कर देते है , इस प्रक्रिया को नाभिकीय परिक्षण कहते है।

नोट : परिक्षित proton उच्च क्षेत्र (up field) में अवशोषण दर्शाते है।

नाभिकीय विपरिक्षण (nuclear deshielding) : यदि अणु में उपस्थित π electron के चक्रण से उत्पन्न प्रेरित चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के समान हो तो इस स्थिति में प्रोटॉन द्वारा वास्तव में अनुभव किया जाने वाला चुम्बकीय क्षेत्र बाह्यतम चुंबकीय क्षेत्र से अधिक होता है इस प्रकार electron , प्रोटॉन या नाभिक को विपरिक्षित कर देते है , यह प्रक्रिया नाभिकीय विपरिक्षित कहलाती हैं।

नोट : विपरिक्षित प्रोटॉन निम्न क्षेत्र (down field) में अवशोषण दर्शाते है जैसे – ऐरोमैटिक प्रोटॉन निम्न क्षेत्र में अवशोषण दर्शाते हैं।बेंजीन वलय में एरोमैटिक proton की स्थिति इस प्रकार होती है की वे प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र के उस भाग में स्थित होते है जहाँ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र व प्रेरित चुंबकीय क्षेत्र एक ही दिशा में होते है।

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