रासायनिक विस्थापन को प्रभावित करने वाले कारक

रासायनिक विस्थापन को प्रभावित करने वाले कारक : रासायनिक विस्थापन को निम्न कारक प्रभावित करते हैं –

  • प्रेरणिक प्रभाव /I प्रभाव : अधिक विद्युत ऋणी परमाणु जैसे F,O,N,Cl आदि -I प्रभाव के कारण प्रोटोन के चारों ओर स्थित electron को अपनी ओर आकर्षित कर लेते है , जिससे प्रोटोन के चारों ओर electron घनत्व कम हो जाता है।  जिससे प्रोटोन विपरिक्षित हो जाता है।  फलस्वरूप proton का अवशोषण संकेत down field अर्थात उच्च δvalue पर प्राप्त होता हैं।

यदि proton के चारों ओर इलेक्ट्रान घनत्व बढ़ता है तो प्रोटोन परिक्षिप्त हो जाता है फलस्वरूप प्रोटॉन का अवशोषण संकेत upfiled अर्थात निम्न δ value पर प्राप्त होता हैं।

  • चुम्बकीय विषम दैशिकता प्रभाव (दिक् प्रभाव) :

के चक्रण के फलस्वरूप नाभिक के चारों ओर एक प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है , जो प्रोटोन पर प्रयुक्त चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में होने पर प्रभावी चुम्बकीय क्षेत्र को कम कर देता है एवं समान दिशा में होने पर प्रभावी चुम्बकीय क्षेत्र को बढ़ा देता है इस प्रकार proton का परिरक्षण या विपरिरक्षण प्रोटोन की स्थिति अर्थात दिक् विन्यास पर निर्भर करता है अत: इसे विषम दैशिक प्रभाव कहते है

यह निम्न दो प्रकार से होता है –

  • प्रतिचुम्बकीय विषम दैशिक प्रभाव : जब प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र प्रयुक्त चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में होता है तो इसे प्रतिचुम्बकीय विषमदैशिक प्रभाव कहते है , इसमें proton परिरक्षित हो जाता है , जिससे NMR सिग्नल up field अर्थात निम्न रासायनिक विस्थापन value पर प्राप्त होता है

उदाहरण : एसिटिलीन

  • अनुचुम्बकीय विषमदैशिक प्रभाव : यदि प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रयुक्त चुम्बकीय क्षेत्र के समान हो तो इसे अनुचुम्बकीय विषम दैशिक प्रभाव कहते है इसमें प्रोटोन विपरीरक्षित हो जाते है जिससे एनएमआर संकेत down field अर्थात उच्च रासायनिक विस्थापन value पर प्राप्त होते है

उदाहरण : बेंजीन , एल्किन आदि

  • H-बंध : यदि किसी यौगिक में अंतराण्विक H-बन्ध उपस्थित होता है तो OH बंध की लम्बाई का मान बढ़ने से proton विपरिरक्षित हो जाता है फलस्वरूप रासायनिक विस्थापन का मान बढ़ जाता है .

यदि अणु में अंतराण्विक H बंध की सामर्थ्य बढती है तो विपरिरक्षण से प्रोटोन की रासायनिक विस्थापन का मान बढ़ जाता है , तनुकरण करने पर अंतराण्विक H बन्ध की सामर्थ्य कम हो जाती है जिससे अवशोषण संकेत उच्च क्षेत्र अर्थात निम्न रासायनिक विस्थापन मान पर प्राप्त होते है

नोट : अन्त: आण्विक H बंध से proton के अवशोषण संकेत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है

  • ताप का प्रभाव : तापमान का रासायनिक विस्थापन पर बहुत कम प्रभाव होता है , ताप बढ़ाने से अंतराण्विक H-बंध दुर्बल हो जाते है जिससे proton का अवशोषण संकेत उच्च क्षेत्र की ओर विस्थापित हो जाता है .

Remark:

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