इण्डोल | बेन्जो पिरॉल | बेंजेजॉल क्या है | क्विनोलिन | बेंजेजीन रासायनिक गुण | अभिक्रिया | संश्लेषण

इण्डोल / बेन्जो पिरॉल / बेंजेजॉल :

बनाने की विधियाँ :
1 फिसर इण्डोल संश्लेषण : यह इण्डोल संश्लेषण की महत्वपूर्ण विधि है , इसमें ZnCl2
, BF3 , H2SO4 आदि उत्प्रेरक की उपस्थिति एल्डिहाइड या कीटोन की अभिक्रिया फेनिल हाइड्रेजीन के साथ करायी जाती है तो इण्डोल व्युत्पन्न प्राप्त होता है , इसे फिसर इण्डोल संश्लेषण कहते हैं।
2. मेडेलुंग संश्लेषण : ओर्थो एसिल एमिड़ो टोलुईन को प्रबल क्षार जैसे सोडियम एथोक्साइड या पोटेशियम तृतीयक ब्यूटॉक्साइड या सोडामाइम के साथ गर्म करने से इन्डोल प्राप्त होता है।

रासायनिक गुण :

इन्डोल में electron स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियायें स्थिति 3 पर सम्पन्न होती है क्योंकि इस पर e स्नेही के आक्रमण से बनने वाला मध्यवर्ती कार्बधनायन अधिक स्थायी होता है।

क्विनोलिन/ बेंजेजीन

बनाने की विधियाँ :

1. स्क्राप संश्लेषण : यह क्विनोलिन के संश्लेषण की महत्वपूर्ण विधि है।

इस विधि में एनिलिन को सान्द्र H2SO4 व ओक्सिकारक जैसे नाइट्रो बेंजीन की उपस्थिति में ग्लिसरॉल के साथ गर्म किया  जाता है तो क्विनोलीन बनता हैं।

2. नॉर क्विनोलिन संश्लेषण : एनिलीन की अभिक्रिया एथिल एसिटो एसिटेट के साथ कराने पर प्राप्त उत्पाद को सान्द्र H2SO4 द्वारा निर्जलीकरण कराने पर क्विनॉलिन व्युत्पन्न बनता है।

रासायनिक गुण :

1. क्षारीय गुण : क्विनोलिन पिरिडीन के बराबर क्षारीय गुण दर्शाता है , यह तृतीयक क्षार की भांति व्यवहार करता है अर्थात क्विनोलिन का N परमाणु भी तृतीयक प्रकृति का होता है।

2. इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया  : क्विनोलिन में पिरिडीन वलय में नाइट्रोजन के -I प्रभाव के कारण electron घनत्व कम होने से इसकी इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया बेंजीन वलय में स्थित 5 या 8 पर सम्पन्न होती है।

उदाहरण :

(a) नाइट्रीकरण : सान्द्र HNOव H2SO4 द्वारा नाइट्रीकरण से 5 व 8 नाइट्रो क्विनोलिन का मिश्रण बनता है।

यदि नाइट्रीकरण HNOव एसिटिक एन हाइड्राइड के साथ कराया जाये तो 3-नाइट्रो उत्पाद बनता है।

(b) सल्फोनिकरण : क्विनोलिन का सधूम  H2SO4 द्वारा सल्फोनिकरण कराने पर 8-सल्फोनिक अम्ल बनता है , जिसे और गर्म करने पर 6-सल्फोनिक अम्ल बनता है।

(c) ब्रोमोनीकरण : अम्लीय माध्यम में क्विनोलीन का ब्रोमोनीकरण कराने पर 5 और 8 क्विनोलिन बनता है। ब्रोमोनीकरण क्रिया यदि उच्च ताप या वाष्प अवस्था में सम्पन्न कराया जाये तो पिरिडीन वलय में प्रतिस्थापन होता है एवं 2 व 3 ब्रोमो क्विनोलिन बनता है।

(d) फ्रिडल क्राफ्ट अभिक्रिया : क्विनोलिन सामान्य परिस्थिति में फ्रिडलक्राफ्ट अभिक्रिया नहीं देता परन्तु वलय सक्रियण कारी समूह –OCH3
, -OH आदि की उपस्थिति में यह अभिक्रिया देता है।

3. नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया : क्विनोलीन में N के -I प्रभाव के कारण पिरिडीन वलय में electron घनत्व काम हो जाता है , इसलिए पिरिडीन वलय में स्थिति 2 या 4 पर नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया सम्पन्न होती है।

(a) क्षारों के साथ अभिक्रिया : क्विनोलिन को KOH या KOH/Ba(OH)2 क्षार के साथ गर्म करने पर कार्बोस्टाइरिल व 8 हाइड्रोक्सी क्विनॉलिन बनता है।

4. ऑक्सीकरण :

(a) क्विनोलिन का पर अम्लों द्वारा ऑक्सीकरण कराने पर क्विनोलिन 1 ऑक्साइड बनता है।

(b) परमैग्नेट द्वारा ऑक्सीकरण कराने पर इसकी बेंजीन वलय टूट जाती है जिससे क्विनोलिनिक अम्ल बनता है जो विकर्बोक्सिलिक करण करवाने पर क्रमशः निकोटिनिक अम्ल व पिरिडीन देता है जिससे सिद्ध होता है की इसमें पिरिडीन वलय उपस्थित है।

5. अपचयन :

(a) Ni/H2 या Sn + HCl द्वारा अपचयन करने पर 1,2,3,4 टेट्रा हाइड्रो क्विनोलिन प्राप्त होता है।

(b) Pt/H2 से एसिटिक अम्ल की उपस्थिति में अपचयन कराने पर डेका हाइड्रो क्विनोलिन बनता है।

Remark:

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