Sarvanam Ke Bhed: आज के लेख के माध्यम से हम जानेंगे सर्वनाम के किसे कहते है? और सर्वनाम के कितने भेद होते हैं, भी देखेंगे।
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर इस विषय से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए।
सर्वनाम के भेद – Sarvanam Ke Bhed
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं?
हम पूरा प्रयत्न करेंगे कि आज के इस विषय को हम आपको अच्छे से स्पष्ट कर पाएं। यहां पर आप जानेंगे सर्वनाम किसे कहते हैं? एवं इसके कितने भेद होते हैं। इन सभी से संबंधित और अन्य आवश्यक इससे जुड़ी हुई जानकारियां आपको पढ़ने को मिलने वाली है। अर्थात आप इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें
सर्वनाम की परिभाषा
वह शब्द जिनका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है अर्थात् संज्ञा के बारे में बुलाने के लिए या संज्ञा के बारे में बताने के लिए संज्ञा की जगह पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं, उन्हें सर्वनाम कहा जाता है। उदाहरण के लिए- मैं, तुम, हम, वह, उसके आदि।
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के 6 भेद होते हैं जो निम्न है:
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- पुरूषवाचक सर्वनाम (तू, मैं, हम, वह, मैंने)
- निश्चयवाचक सर्वनाम (वह, यह)
- निजवाचक सर्वनाम (आप)
- प्रश्नवाचक सर्वनाम (क्या, कौन)
- संबंधवाचक सर्वनाम (जो, सो)
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम (कुछ, कोई)
1. पुरुषवाचक सर्वनाम
पुरुष वाचक शब्द वह शब्द होते हैं. जो बात करने वाला अपने खुद के लिए प्रयोग करता है।
या बात सुनने वाले के लिए प्रयोग किया जाता है। या किसी के बारे में बात की जाती है। उसके बारे में जो शब्द प्रयोग किए जाते हैं वह शब्द पुरुष वाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
इनमें अलग-अलग शब्द प्रयोग किए जाते हैं जैसे मैं , हम इन शब्दों को वक्ता अपने लिए प्रयोग करता है।अगर बात सुनने वाले के लिए कोई शब्द प्रयोग किया जाता है तो वहां पर तुम या आप शब्द का प्रयोग किया जाता है।
और यदि किसी के बारे में बात की जा रही है तो उसके लिए वह, यह, ये, वे आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है. और इन तीनो शब्दों के आधार पर पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं.
उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम – वक्ता बात करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग करता है जैसे :-
मैं, हम ये शब्द पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।
मैं, वहां जाऊँगा ।
हम सब भारतवासी है।
मध्यम पुरुषवाचक – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बात सुनने वाले के लिए किया जाता है जैसे
आप ,तुम तो यह सभी शब्द मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आते है.
तू मेरा कहना मान नहीं तो पछताएगा।
तुम बातें कम किया करो।
आप जैसा चाहे, वैसा करे।
अन्य पुरुषवाचक – जिन लोगों के बारे में बात की जाती है. क्या उत्तम पुरुष और मध्यम पुरुष से अलग जब भी किसी के बारे में बात की जाती है।
तो उन जगह पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है वह शब्द अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आते हैं.जहां पर इन तीनों प्रकार के शब्दों का प्रयोग करके वाक्य को बनाया जाता है वह पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाता है।
जैसे-
वह अच्छा लड़का का है।
वे सज्जन पुरुष है।
2. निश्चयवाचक सर्वनाम
जब किसी संज्ञा के स्थान पर ऐसे शब्द का प्रयोग किया जाता है जिससे किसी वस्तु व्यक्ति या स्थान की निश्चितता का बोध हो उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं. ऐसे आप को शायद कम समझ में आए नीचे हम आपको इसके कुछ उदाहरण बता रहे हैं जिससे आपको अच्छी तरह से समझने में मदद मिलेगी तो आप इस उदाहरण को अच्छी तरह से पढ़िए. जैसे
यह मेरी पुस्तक है।
वह मेरी पुस्तक है।
वे मेरी पुस्तकें है।
ये मेरी कॉपी है।
यह राम है वह श्याम है ।
ये भारतवासी है वे प्रवासी है।
यदि इन वाक्यों को हम ध्यान से देखते हैं तो आपको बहुत अच्छे से समझ में आ जाएगा निश्चयवाचक सर्वनाम क्या होते हैं. जैसे आप इन चारों वाक्य में देख सकते हैं. यह, वह ,वे, ये भी इन 4 शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया गया है तो यह सभी शब्द निश्चितता बताने के साथ-साथ है वस्तुओं की तरफ इशारा भी कर रहे हैं. उनकी तरफ संकेत भी कर रहे हैं. हम इनको संकेतवाचक सर्वनाम भी कह सकते हैं.
जब कोई चीज पास में होती है. तो उसके लिए हम यह प्रयोग करते हैं. जब कोई वस्तु दूर होती है. तो उसके लिए हम वह का प्रयोग करते हैं. जब वस्तु एक से ज्यादा होती है. तो उसके लिए हम वे का प्रयोग करते हैं. लेकिन वे का प्रयोग तब किया जाता है. जब पुस्तक वस्तुएं एक से ज्यादा हो और दूर हो और जब एक से ज्यादा वस्तुएं हो और हमारे नजदीक हो पास में हो तो उस समय ये का प्रयोग किया जाता है.
लेकिन यहां पर आपको एक बात का बहुत ज्यादा ध्यान देना होगा कि यदि यह, वह ,वे, ये के तुरंत बाद संज्ञा शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए आप हमारे उदाहरण को भी देख सकते हैं. कि हमने संज्ञा शब्दों का प्रयोग यह, वह ,वे, ये के तुरंत बाद नहीं किया है. यदि इन के तुरंत बाद संज्ञा शब्दों का प्रयोग किया जाएगा. तो कभी – कभी यह शब्द उन संज्ञा शब्दों की विशेषताएं बताने लगते हैं. जिनके कारण यह सर्वनाम होते हुए भी विशेषण बन जाते हैं तो आप इन बातों का ध्यान जरूर रखें.
3.अनिश्चयवाचक सर्वनाम
जैसे आप इसके नाम से ही अंदाजा लगा सकते हैं। अनिश्चयवाचक सर्वनाम यानी निश्चयवाचक सर्वनाम का उल्टा क्योंकि निश्चयवाचक सर्वनाम में किसी व्यक्ति वस्तु स्थान आदि की निश्चितता का बोध होता है। लेकिन अनिश्चयवाचक सर्वनाम में किसी भी तरह की निश्चितता नहीं पाई जाती है। सिर्फ एक अंदाजा लगाया जाता है. और उसकी पूरी निश्चितता नहीं की जा सकती यानी जिन शब्दों का प्रयोग किसी व्यक्ति वस्तु आदि स्थान की अनिश्चितता दर्शाने के लिए किया जाता है उन शब्दों को अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे
दरवाजे पर कोई खडा है
इस वाक्य में आप देख सकते हैं. कि किसी भी आदमी की निश्चितता प्रकट नहीं हो पा रही है।
सिर्फ यही अंदाजा लगाया जा रहा है. कि बाहर दरवाजे पर कोई खडा है। तो यहां पर कोई शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया गया है. और साथ ही यह किसी ऐसे आदमी के लिए प्रयोग किया गया है. जिसके बारे में हम जानते नहीं हैं यानी हमें पता नहीं है कौन बाहर दरवाजे के ऊपर खड़ा है. हम सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं तो कोई शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आता है। तो इस शब्द को हम अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहेंगे यानी इस की निश्चितता प्रकट नहीं हो रही है.यह तो अनिश्चितता थी किसी व्यक्ति के लिए अब हम नीचे एक वस्तु की अनिश्चितता का उदाहरण देखेंगे
रमेश बाजार से कुछ लाया है।
आप इस वाक्य में देख सकते हैं कि रमेश बाजार से कुछ लाया है लेकिन उसके बारे में पता नहीं है कि वह क्या लेकर आया है लेकिन कुछ लेकर जरूर आया है. तो उसके पास कुछ वस्तु जरूर है. लेकिन उसका पता नहीं है खिलौने भी हो सकते हैं. फल भी हो सकते हैं या कोई भी वस्तु हो सकती है. लेकिन उसकी निश्चितता हमें नहीं पता कि वह क्या चीज है. तो यहां पर कुछ शब्द भी अनिश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आता है। इस तरह हम कुछ शब्द को भी अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहेंगे।
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम
ऐसे शब्द जिनका प्रयोग हम संज्ञा के स्थान पर करके किसी दूसरे आदमी से या किसी दूसरी चीज के बारे में प्रश्न पूछने के लिए करते हैं। उन शब्दों को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। यानी जब किसी हम व्यक्ति से किसी चीज के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। या उससे पूछने की कोशिश करते हैं.तो उन वाक्य में संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग होता है उनको प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
बाहर कौन खड़ा है।
तो आप इस वाक्य में देख सकते हैं. कि किसी से पूछा जा रहा है कि बाहर कौन खड़ा है. यानी बाहर कोई खड़ा है. उससे पूछा जा रहा है कि बाहर कौन है. किसी के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है. उससे प्रश्न पूछा जा रहा है. कि बाहर कौन खड़ा है. यदि यह वाक्य होता बाहर कोई खड़ा है तो यह अनिश्चयवाचक सर्वनाम होता. क्योंकि हमें उसके बारे में पता नहीं है बाहर कौन खड़ा है. लेकिन अब हम यहां पर किसी से प्रश्न पूछ रहे हैं उसके बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बाहर कौन खड़ा है. तो यह प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलायेगा.यहां पर हम एक प्रश्न के माध्यम से कुछ संज्ञा के नाम को जानने की कोशिश कर रहे हैं. जो दरवाजे के ऊपर खड़ा है वह कोई भी हो सकता है.
5.संबंधवाचक सर्वनाम
ऐसे शब्द जिनका प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति के साथ संबंध को दर्शाने या बताने के लिए संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. शब्दों को संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं. यानी जब किसी वाक्य में किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि के साथ संबंध की बात आती है. और उनकी जगह पर कोई भी सर्वनाम प्रयोग किया जाता है. तो शब्दों को संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं. और संबंध वाचक वाक्य में कुछ शब्द दूसरे शब्दों के साथ जोड़ने के लिए भी प्रयोग किया जाता है. जैसे
जैसी करनी वैसी भरनी
इस वाक्य में आप देख सकते हैं जैसी करनी वैसी भरनी यानी इसका शब्द इस वाक्य में जैसी ओर वैसी शब्द का आपस में संबंध है. तो यह संबंधवाचक सर्वनाम कहलाएगा.
जिसकी लाठी उसकी भैंस
तो आप इस वाक्य में देख सकते हैं जिसकी लाठी उसकी भैंस यानी लाठी का शब्द भैंस के साथ हैं जिसके पास लाठी होगी उसकी ही भैंस होगी. तो यहां पर जिसकी उसकी शब्द का प्रयोग करके संबंध दर्शाया गया है. तो यह संबंधवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आता है.
6.निजवाचक सर्वनाम
जिन वाक्यों में वक्ता अपने खुद के लिए शब्दों का प्रयोग करता है. यानी वक्ता किसी भी चीज को अपने आप के साथ दर्शाने के लिए या अपनी बताने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग करता है उनको निजवाचक सर्वनाम कहते हैं. निज का मतलब खुद होता है. जैसे
मैं अपने जूते स्वयं साफ करता हूं
इस वाक्य मैं और स्वयं शब्द का प्रयोग किया जा रहा है. वह दोनों शब्द का प्रयोग किसी संज्ञा को बताने के लिए नहीं किया जा रहा है. बल्कि वक्ता अपने खुद के लिए अपने खुद के अर्थ को दर्शाने के लिए इन दोनों शब्दों का प्रयोग कर रहा है. वैसे कई लोगो का मानना है. कि निजवाचक सर्वनाम पुरुषवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आता है. लेकिन सभी हिंदी पुस्तक में इसको सर्वनाम का एक अलग भेद माना है. और इसलिए यह सर्वनाम का छठा भेद होता है. लेकिन कुछ हद तक पुरुषवाचक सर्वनाम से मिलता-जुलता होता है. यानी इस वाक्य में ही आप देख सकते हैं. मैं शब्द पुरुषवाचक सर्वनाम के उत्तम पुरुष के अंतर्गत आते हैं.
वह अपने आप सारा काम कर लेगा
इस आर्टिकल में अपने पढ़ा कि, सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।