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Rajasthan Board RBSE Class 11 Pratical Geography Chapter 6 ऋतु उपकरण एवं मौसम मानचित्र
RBSE Class 11 Pratical Geography Chapter 6 प्रायोगिक पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
तापमान की सबसे अधिक प्रचलित इकाइयों के नाम तथा उनके मापन का विस्तार समझाइये।
उत्तर:
तापमान की सबसे अधिक प्रचलित दो इकाइयाँ हैं-सैल्शियस तथा फॉरेनहाइट।
सैल्शियस इकाई में मापक का विस्तार 0° – 100° तक होता है, जबकि फॉरेनहाइट इकाई में तापमान मापक का विस्तार 32° -212° फॉरेनहाइट तक होता है।
प्रश्न 2.
25° सैल्शियस को फॉरेनहाइट तथा 86° फॉरेनहाइट को सैल्शियस में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर:
25° सैल्शियस का फॉरेनहाइट में परिवर्तनफॉरेनहाइट में बदलने हेतु सूत्र = F= (C x 1.8) + 32
F = (25 x 1.8) + 32 F = (45) + 32
F = 77° फॉरेनहाइट
86° फॉरेनहाईटे का सैल्शियस में परिवर्तन
सैल्शियस में बदलने हेतु सूत्र = C = (F – 32°) ÷ 1.8
C = (86 – 32) 1.8
C = (54) ÷ 1.8
C = 30° सैल्लिायस
प्रश्न 3.
वायु दिग्दर्शक यंत्र में तीर या मुर्गे की चोंच किस दिशा की ओर इंगित करती है?
उत्तर:
वायु दिग्दर्शक यंत्र में तीर या मुर्गे की चोंच वह दिशा बताती है जिस ओर से हवा चल रही है।
प्रश्न 4.
उच्चतम-न्यूनतम तापमापी का रेखाचित्र बनाकर उसकी कार्य प्रणाली को , समझाइये।
उत्तर:
उच्चतम व न्यूनतम तापमापी की कार्य-प्रणाली-यह एक ऐसा तापमापी है। जिसमें दिन के अधिकतम-न्यूनतम दोनों प्रकार के तापमान का अंकन एक साथ किया जा सकता है। इसका आविष्कार जे सिक्स ने किया था। यह अंग्रेजी के ‘U’ आकार की काँच की नली को बना होता है। इसके दोनों सिरों पर घुण्डियाँ होती हैं जिनमें एल्कोहल भरा होता है। ‘U’ आकार की नली में पारा भरा होता है। पारे के ऊपर दोनों नलियों में लोहे के एक-एक सूचक होते हैं। सूचक नली की भीतरी दीवारों से चिपके रहते हैं। ये अपने आप नीचे नहीं खिसक सकते। जिस नली में मापक के अंक ऊपर से नीचे की ओर बढ़ते हैं उसमें न्यूनतम तापमान पढ़ते हैं।
न्यूनतम तापमापी वाली नली की ओर एल्कोहॉल गर्मी पाकर फैलने से उसका दबाव पारे पर बढ़ता है जो दूसरी ओर उच्चतम तापमापी वाली नंली में ऊपर उठता है। इधर घुण्डी आधी खाली होने से फैलने के लिए स्थान होता है। पारे के धक्के से सूचक भी ऊपर उठता है, जितना तापमान बढ़ता है सूचक उतना ही ऊपर धकेल दिया जाता है। तापमान कम होने पर पुनः पारा न्यूनतम तापमापी में ऊपर चढ़कर सूचक को ऊपर धकेलता है।
इस प्रकार प्रतिदिन उच्चतम व न्यूनतम तापमान ज्ञात करने के लिए सम्बन्धित भुजा में सूचकों के निचले सिरों के समक्ष लिखे मानों को पढ़ लेते हैं। ये तापमान प्रतिदिन निश्चित समय पर अंकित किये जाते हैं। तापमान के अभिलेखन के पश्चात् तापमापी के साथ रखी चुम्बक से इस्पात के सूचकों को अगले पठन के लिए ऊपर-नीचे किया जाता है।
प्रश्न 5.
उपयुक्त रेखाचित्र के द्वारा निर्दववायु दाबमापी की कार्य प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
निर्द्रव वायुदाबमापी (Aneroid Barometer)-निर्द्रव वायुदाबमापी ग्रीक शब्द ‘ऐनेरास’ ( अर्थात् आर्द्रता रहित या No Moisture) से लिया गया है। चूंकि इस यन्त्र में किसी प्रकार के द्रव का उपयोग नहीं किया जाता, इसलिये इसे निर्द्रव वायुदाबमापी कहा जाता है।
निद्रव वायुदाबमापी की आकृति गोल घड़ी के समान होती है जिसके डायल पर इंच तथा मिलीबारे में वायुदाब के मान अंकित होते हैं। यन्त्र के भीतर गोल तथा पतली आकृति वाला वैलियम धातु से निर्मित एक बॉक्स होता है। इसे अच्छी तरह बन्द कर वायु रहित कर दिया जाता है।
बॉक्स के भीतर एक बहुत पतला व लचीला (Flexible) ढक्कन होता है जिस पर वायुमण्डलीय दाब में होने वाले तनिक परिवर्तन का भी तुरन्त प्रभाव पड़ जाता है। वायुमण्डलीय दाब में वृद्धि होने पर यह ढक्कन नीचे की ओर दबता है तथा दाब में कमी होने पर ऊपर की ओर को फैलता है। ढक्कन के ऊपर-नीचे होने से यन्त्र के डायल पर एक सुई घूमती है। डायल पर सुई की स्थिति देखकर वायुमण्डलीय दाब पढ़ लिया जाता है। डायल पर एक अन्य सुई भी होती है जिसे यन्त्र के ऊपर लगी चाबी को घुमाकर डायल पर अंकित किसी भी चिन्ह पर स्थित किया जा सकता है। इस सुई का प्रयोग किसी निश्चित अवधि में वायुमण्डलीय दाब के कुछ परिवर्तन का मान ज्ञात करने के लिये किया जाता है।
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