RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट

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Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्यातप का मापन किया जाता है-
(अ) पाइरोहेलिया मीटर
(ब) थर्मामीटर
(स) बैरोमीटर
(द) सेन्टीमीटर
उत्तर:
(अ) पाइरोहेलिया मीटर

प्रश्न 2.
सूर्य की किरणों को पृथ्वी तक पहुँचने में कितना समय लगता है?
(अ) 5 मिनट
(ब) 6 मिनट
(स) 7 मिनट
(द) 8 मिनट
उत्तर:
(द) 8 मिनट

प्रश्न 3.
पृथ्वी पर आने वाली सौर्मिक ऊर्जा को कहते हैं-
(अ) पार्थिव विकिरण
(ब) सौर विकिरण
(स) सूर्यातप
(द) ऊष्मा बजट
उत्तर:
(स) सूर्यातप

प्रश्न 4.
तापमान विलोमता से तात्पर्य है-
(अ) धरातल पर ताप का बढ़ना
(ब) तापमान में असमान गिरावट
(स) ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ना
(द) ऊँचाई के साथ तापमान गिरना
उत्तर:
(स) ऊँचाई के साथ तापमान बढ़ना

प्रश्न 5.
पृथ्वी पर कुल सौर विकिरण का कितना भाग पहुँचता है?
(अ) 51
(ब) 48
(स) 35
(द) 17
उत्तर:
(अ) 51

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
सौर विकिरण क्या है?
उत्तर:
सूर्य की सतह से चारों ओर विकरित होकर फैलने वाले ताप को सौर विकिरण कहते हैं।

प्रश्न 7.
समताप रेखाएँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
समताप रेखाएँ ऐसी काल्पनिक रेखाएं हैं जो मानचित्र पर समान तापमान वाले स्थानों को मिलाती हुए खींची जाती हैं।

प्रश्न 8.
सूर्य से पृथ्वी की दूरी कितनी है?
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है।

प्रश्न 9.
ताप कटिबन्ध किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह पर ताप का वितरण समान नहीं होता है बल्कि वह भिन्न-भिन्न होता है। ताप से विभिन्न क्षेत्रों को ही ‘ताप कटिबन्ध’ कहते है।

प्रश्न 10.
वायुमण्डलीय ताप का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर:
वायुमण्डलीय ताप का मुख्य स्रोत सूर्य है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
पृथ्वी का एल्बिडो क्या है?
उत्तर:
जब प्रकाश की किरणें किसी धरातल पर पड़ती हैं, तब उसका कुछ भाग परावर्तन के नियमों के अनुसार परावर्तित हो जाता है। यह प्रक्रिया प्रकाश का परावर्तन कहलाती है। परावर्तन की यह मात्रा धरातल के चिकनेपन पर निर्भर करती है। आपतित विकिरण (सूर्यताप) और अन्तरिक्ष की ओर परावर्तित विकिरण की मात्रा के अनुपात को पृथ्वी का एल्बिडो कहते हैं। साधारणतः धरातल द्वारा प्राप्त सूर्यताप को परावर्तित करने की प्रक्रिया ही एल्बिडो कहलाती है।

प्रश्न 12.
तापमान का व्युत्क्रमण क्या है?
उत्तर:
वायुमण्डल की निचली परत क्षोभमण्डल में धरातल से ऊँचाई की ओर जाने पर तापमान में कमी आती है। परन्तु कभी, कुछ विशेष परिस्थितियों में ऊँचाई के साथ तापमान घटने के स्थान पर बढ़ता है। ऊँचाई के साथ तापमान के बढ़ने की इस प्रक्रिया को तापमान व्युत्क्रमण अथवा विलोमता कहते हैं। तापीय व्युत्क्रमण के लिए मुख्यत: लम्बी रातें, स्वच्छ आकाश, शान्त वायु, शुष्क वायु एवं हिमाच्छादन की स्थिति आदि कारक उत्तरदायी माने जाते हैं।

प्रश्न 13.
सूर्यातप किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूर्यातप शब्द अंग्रेजी भाषा के Insolation शब्द से बना है जो क्रमशः In अर्थात् Incoming, So अर्थात् Solar व ation अर्थात Radiation का संक्षिप्त रूप में Insolation कहलाता है। इसी आधार पर सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहा जाता है। पृथ्वी द्वारा सौर विकिरण का ग्रहण किया जाना सूर्यातप की प्राप्ति है। अत: धरातल पर आने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। पृथ्वी तल तक सम्पूर्ण सूर्यातप नहीं पहुँच पाता है उसका केवल कुछ अंश ही (दो अरबवाँ भाग) पृथ्वी तक पहुँचता है।

प्रश्न 14.
सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
किसी निश्चित क्षेत्र में सूर्यातप की मात्रा मौसम व वायुमण्डलीय दशाओं के अनुसार कम-ज्यादा होती रहती है। धरातल पर सूर्य से प्राप्त होने वाले ताप की मात्रा को निम्नलिखित कारकों के द्वारा प्रभावित किया जाता है-

  1. भूमध्य रेखा से दूरी-सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर प्रायः लम्बवत् होती हैं जबकि इससे उत्तर व दक्षिण की ओर जाने पर किरणें तिरछी होती जाती हैं जिससे सूर्यातप पर प्रभाव पड़ता है।
  2. समुद्र तल से ऊँचाई-जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती है, ताप कम होता जाता है।
  3. समुद्र तल से दूरी-सागर के निकट भागों में ताप कम जबकि दूरस्थ भागों में ताप प्रायः अधिक मिलता है।
  4. समुद्री धाराएँ – समुद्रों की ठण्डी व गर्म जल धाराओं के अनुसार तापक्रम कम व ज्यादा होता रहता है।
  5. प्रचलित पवनें-पवनें अपने ठण्डे व गर्म स्वरूप के अनुसार ताप को कम व ज्यादा करती हैं।
  6. भूमि का ढाल-सूर्य के सामने व विपरीत ढाल के अनुसार ताप अलग-अलग होता है।
  7. धरातल की प्रकृति-धरातल का वनाच्छादित व हिमाच्छादित होना व न होना तापमान पर प्रभाव डालता है।
  8. मेघ व वर्षा-मेघाच्छादन की स्थिति भी तापमान का नियंत्रक होती है।

प्रश्न 15.
तापमान के क्षैतिज एवं लम्बवत् वितरण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
तापमान का क्षैतिज वितरण – तापमान के क्षैतिज वितरण का अर्थ तापमान के अक्षांशीय वितरण से है। इसमें भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक के तापमान को अक्षांशों के आधार पर बांटा जाता है। मानचित्र पर इस प्रकार के ताप के वितरण को समताप रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है।

तापमान का लम्बवत वितरण – तापमान के लम्बवत् वितरण का तात्पर्य धरातल से ऊपर की ओर, ऊँचाई में, वायुमण्डल की विभिन्न परतों में तापमान के वितरण से है। धरातल से ऊँचाई की ओर जाने पर ताप में प्राय: कमी होती जाती है। तापमान में होने वाली गिरावट सभी स्थानों पर एक समान न होकर भिन्न-भिन्न मिलती है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
सूर्यातप किसे कहते हैं? तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों को वर्णन करें।
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। पृथ्वी द्वारा सौर विकिरण का ग्रहण किया जाना सूर्यातप या सूर्युताप की प्राप्ति कहलाता है। अतः धरातल पर आने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप की संज्ञा दी गई है। तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक-तापमान का वितरण सम्पूर्ण धरातलीय क्षेत्र पर एक समान न मिलकर मौसम व वायुमण्डलीय दशाओं के अनुसार कम-ज्यादा होता रहता है। तापमान के इस वितरण के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी है।

  1. भूमध्य रेखा से दूरी,
  2. समुद्र तल से ऊँचाई,
  3. समुद्र तट से दूरी,
  4. समुद्री धाराएँ,
  5. प्रचलित पवने,
  6. भूमि का ढाल,
  7. धरातल की प्रकृति,
  8. मेघ व वर्षा।

तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले इन सभी कारणों का वर्णन निम्नानुसार है-

1. भूमध्य रेखा से दूरी – सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लगभग पूरे वर्ष लम्बवत् पड़ती हैं जिस कारण वहाँ पर सूर्यातप अधिक प्राप्त होता है। इसके विपरीत भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर सूर्य की किरणें तिरछी हो जाती हैं। अत: वहाँ पर सूर्यातप कम प्राप्त होता है। ध्रुवों पर तापमान हिमांक से भी कम हो जाता है और वहाँ पर बर्फ जमा रहती है।

2. समुद्र तल से ऊँचाई – समुद्र तल पर सर्वाधिक तापमान पाया जाता है। ऊँचाई की ओर जाने पर तापमान घटता जाता है। सामान्यत: 165 मीटर की ऊँचाई पर 1°C अथवा 1 किमी की ऊँचाई पर 6°C तापमान गिर जाता है। दिल्ली की अपेक्षा शिमला का तापमान कम है क्योंकि शिमला, दिल्ली की अपेक्षा अधिक ऊँचाई पर स्थित है। अत: पर्वतीय प्रदेश मैदानों की अपेक्षा अधिक ठण्डे होते हैं।

3. समुद्र तट से दूरी – स्थल की अपेक्षा जल देर से गर्म होता है और देर से ठण्डा होता है। अत: जो स्थान सागर के निकट हैं, वहाँ पर तापमान लगभग एक समान रहता है। इसके विपरीत समुद्र से दूर स्थित स्थानों के ताप में अधिक असमानता पायी जाती है।

4. समुद्री धाराएँ – समुद्री धाराएँ तटवर्ती क्षेत्रों के तापमान को काफी प्रभावित करती हैं। जिन क्षेत्रों में गर्मधारा बहती है वहाँ का तापमान अधिक एवं जिन क्षेत्रों में ठंडी धारा बहती है वहाँ का तापमान कम हो जाता है। ‘गल्फ स्ट्रीम’ की गर्म धारा यूरोप के तटीय भागों का तापमान ऊँचा बनाये रखती है। इस प्रकार समुद्री धाराएँ अपने स्वभाव के अनुसार तटीय भागों के तापमानों को नियंत्रित करती हैं।

5. प्रचलित पवनें – जिन स्थानों पर गर्म पवनें आती है वहाँ का तापमान अधिक एवं जहाँ पर ठण्डी पवनें आती हैं वहाँ का तापमान कम रहता है। इटली में सहारा मरुस्थल से आने वाली ‘सिरोको’ पवन तथा उत्तरी अमेरिका के मैदानों में ‘चिनुकै नामक गर्म पवन वहाँ के तापमान में वृद्धि करती है। इसी तरह उत्तरी भारत के मैदानी भाग में गर्मियों में चलने वाली ‘लु’ से तापमान कई बार 45°C तक पहुँच जाता है।

6. भूमि का ढाल – धरातल के जो ढाल सूर्य के सामने आते हैं वे सूर्यातप अधिक प्राप्त करते हैं, वहाँ पर तापमान भी अधिक होता है। इसके विपरीत जो ढाल सूर्य से विपरीत दिशा में होते हैं, वहाँ पर सूर्यताप कम प्राप्त होता है, वहाँ पर तापमान भी कम होता है। हिमालय तथा आल्पस पर्वतों के दक्षिणी ढलानों पर तापमान अधिक तथा उत्तरी ढलानों पर तापमान कम पाया जाता है।

7. धरातल की प्रकृति-हिम तथा वनस्पतियों से आच्छादित धरातलीय भाग सूर्य से प्राप्त हुए अधिकांश ताप को परावर्तित कर देते हैं। अत: इन प्रदेशों में तापमान अधिक नहीं हो पाता। इसके विपरीत बालू तथा काली मिट्टी से ढंके हुए प्रदेश अधिकांश सूर्यातप का अवशोषण कर लेते हैं जिस कारण वहाँ पर तापमान अधिक होता है। धरातल द्वारा प्राप्त सूर्य ताप को परावर्तित करने की प्रक्रिया को ‘एल्बिडो या श्विार्त’ (Albedo) कहा जाता है।

8. मेघ तथा वर्षा–धरातल पर स्थित वे क्षेत्र जहाँ पर मेघ छाए रहते हैं तथा वर्षा भी अधिक होती है। वहाँ का तापमान अधिक नहीं हो पाता है, क्योंकि मेघ सूर्य की किरणों का परावर्तन कर देते हैं। जैसे- भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणों के लम्बवत् पड़ने के बावजूद भी वहाँ पर उतना अधिक तापमान नहीं हो पाता जितना की मेघरहित उष्ण मरुस्थलीय भागों में हो जाता है।

प्रश्न 17.
पृथ्वी के ऊष्मा बजट की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मा बजट का भावार्थ – पृथ्वी तथा वायुमण्डल द्वारा प्राप्त ताप तथा उस ताप द्वारा ताप के ह्रास के संतुलन को ऊष्मी बजट कहते हैं। पृथ्वी में ताप शक्ति जितनी अधिक मात्रा में प्राप्त होती है, विकिरण द्वारा उतनी ही तापशक्ति पुनः लौटा देती है।

ऊष्मा बजट – पृथ्वी को सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर्थिक विकिरण लघु तरंगों के रूप में प्राप्त होती है। पृथ्वी से टकराने के बाद सौर्थिक विकिरण का परावर्तन होता है। पृथ्वी से टकराकर लौटने वाली विकिरण को पार्थिव विकिरण कहते हैं जो दीर्घ तरंगों के रूप में होती है। इस प्रकार पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर्यिक, विकिरण एवं पृथ्वी द्वारा छोड़ी गयी पार्थिव विकिरण की मात्रा लगभग समान होती है। पृथ्वी सौर्मिक विकिरण के रूप में सूर्य की कुल ऊर्जा बादलों द्वारा परावर्तित का केवल दो अरब भागों में से 1 भाग ही प्राप्त कर पाती है। बाकी ताप 27 इकाई वायुमण्डल द्वारा अवशोषण, परावर्तन व प्रकीर्णन की प्रक्रिया द्वारा नष्ट हो जाता है। जब तक सौर्थिक विकिरण व पार्थिव विकिरण की मात्रा बराबर रहती है तो इसे संतुलित ऊष्मा बजट कहा जाता है। वर्तमान में मानवीय क्रियाओं की बढ़ती भूमिका के कारण पार्थिव विकिरण की मात्रा में धीरे-धीरे कमी आ रही है जिसके कारण पृथ्वी का ताप धीरे-धीरे बढ़ने लगा है।
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट 1
यदि हम यह मान लें कि वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाला ताप 100 इकाई है तो बजट इस प्रकार होगा-

पृथ्वी द्वारा सौर्थिक विकिरण की प्राप्ति – यदि सूर्य से 100 इकाई ताप आता है तो उसमें से 27 इकाई ताप को बादलों द्वारा तथा 2 ईकाई ताप धरातल द्वारा परावर्तित कर दिया जाता है जबकि 6 इकाई ताप वायुमण्डल द्वारा प्रकीर्ण कर दिया जाता है। इस प्रकार 35 इकाई ताप की पृथ्वी को गर्म करने में कोई भूमिका नहीं होती है। शेष बचे 65 इकाई ताप में से भी 14 इकाई ताप को वायुमण्डल (जलवाष्प, धूलिकण) द्वारा अवशोषण कर लिया 34 इकाई प्रत्यक्ष 17 ईकाई दिवाप्रकाश जाता है। इस प्रकार केवल 51 इकाई ताप ही पृथ्वी तक पहुँच पाता है। इसमें
रूप से से भी केवल 34 इकाई ताप ही पृथ्वी को प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होता है, शेष 17 इकाई ताप पृथ्वी दिवा प्रकाश के माध्यम से प्राप्त करती है। पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर्थिक विकिरण के इस स्वरूप को पूर्वाक्त रेखाचित्र से स्पष्ट किया गया है।

पृथ्वी द्वारा पार्थिव विकिरण की प्रक्रिया – पृथ्वी सौर्मिक विकिरण के रूप में प्राप्त 51 इकाई ताप का पार्थिव विकिरण के रूप में वापस लौटा देती है। इस 51 इकाई ताप में से 23 इकाई ताप धरातल से दीर्घ तरंगों के रूप में विकिरित हो जाता है, इसमें से 17 इकाई ताप सीधे शून्य में चला जाता है जबकि 6 इकाई ताप प्रभावी विकिरण से वायुमण्डल को गर्म करता है। 9 इकाई ताप संवहन व विक्षोभ के रूप में खर्च हो जाता है तथा शेष बचे 19 इकाई ताप को पृथ्वी वाष्पीकरण व संघनन की प्रक्रिया में खर्च कर देती है। इस प्रकार पृथ्वी द्वारा पूरे 51 इकाई ताप को लौटा दिया जाता है। पार्थिव विकिरण के इस स्वरूप को निम्न रेखाचित्र से दर्शाया गया है-
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प्रश्न 18.
तापमान के वितरण को समझाते हुए भूमण्डल पर तापमान के क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी तल पर तापमान का वितरण सभी जगह एक समान नहीं पाया जाता। अतः तापमान के वितरण पर अन्य कारकों की अपेक्षा अक्षांश का सर्वाधिक नियंत्रण होता है। तापमान के आधार पर विश्व को तीन कटिबंधों में बाँटा गया है। सूर्यातप तथा तापमान में गहरा सम्बन्ध होता है। ताप के वितरण को मुख्यतः दो प्रकार से विभाजित किया जाता है-

  1. तापमान का क्षैतिज वितरण,
  2. तापमान का उध्र्वाधर वितरण।

1. तापमान का क्षैतिज वितरण – तापमान के क्षैतिज वितरण का अर्थ तापमान के अक्षांशीय वितरण से है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक तापमान के वितरण में परिवर्तन आता रहता है। मानचित्र पर तापमान का वितरण समताप रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है। विश्व के अधिकांश भागों में जनवरी तथा जुलाई के महीनों में न्यूनतम व अधिकतम तापमान पाया जाता है। इसलिए तापमान के विश्लेषण के लिए साधारणत: जनवरी व जुलाई के माह चुने जाते हैं।

2. जनवरी की समताप रेखाएँ – जनवरी माह में सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित मकर रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म तथा उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है। अतः दक्षिणी गोलार्द्ध में तापमान अधिक एवं उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान कम होता है। इस दौरान सबसे ठण्डे भाग साइबेरिया व ग्रीनलैण्ड में स्थित होते हैं। साइबेरिया के विस्तृत भाग पर 25°C की समताप रेखा खिंची हुई है। दक्षिणी महाद्वीपों पर 30°C की समताप रेखा एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में 10°C की समताप रेखा अक्षांश के समानान्तर है जबकि 20°C की समताप रेखा महाद्वीप व महासागरों के वितरण के अनुरूप मुड़ी हुई है। उत्तरी गोलार्द्ध के जल व थल के विषम वितरण के कारण समंताप रेखाएँ काफी वक्र हो गई हैं।
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट 3

जुलाई की समताप रेखाएँ – जुलाई में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर लगभग लम्बवत् चमकती हैं। अत: उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है। जुलाई में 30°C की समताप रेखा उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी-पश्चिमी एवं मध्य एशिया तथा उत्तरी अमेरिका में कोलम्बिया पठार आदि को घेरती है। जनवरी की समताप रेखाओं से तुलना करने पर यह स्पष्ट होता है कि जुलाई में गर्मी का प्रभाव व्यापक क्षेत्रों पर होता है। इस दौरान अन्टार्कटिका पर न्यूनतम तापमान रहता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ प्रायः अक्षाशों के समानान्तर खिंची हुई हैं।
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(ii) तापमान का ऊध्र्वाधर (लम्बवत) वितरण–तापमान के लम्बवत् वितरण से हमारा तात्पर्य धरातल से ऊपर की ओर, ऊँचाई में, वायुमण्डल की विभिन्न परतों में तापमान के वितरण से है। वैज्ञानिकों ने तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि ऊँचाई के बढ़ने से तापमान घटता जाता है। यही कारण है कि मैदानों की अपेक्षा पहाड़ों में ठण्ड अधिक रहती है। प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1°C तापमान कम हो जाता है जिसे तापमान की सामान्य ताप ह्रास दर कहते हैं। यह दर प्रत्येक स्थान पर समान नहीं होती, अपितु ऋतु, स्थिति एवं स्थानीय विक्षोभों के अनुसार बदलती रहती है। सामान्य रूप से 6°C प्रति किमी की दर से तापमान घटता है। तापमान में गिरावट क्षोभ मण्डल तक ही जारी रहती है। इसके पश्चात तापमान का ह्रास रुक जाता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्य की सतह का तापमान कितना मिलता है?
(अ) 4000°C
(ब) 5000°C
(स) 6000°C
(द) 7000°C
उत्तर:
(स) 6000°C

प्रश्न 2.
सूर्य पृथ्वी से औसतन कितना दूर है?
(अ) 12 करोड़ किमी
(ब) 13 करोड़ किमी
(स) 14 करोड़ किमी
(द) 15 करोड़ किमी
उत्तर:
(द) 15 करोड़ किमी

प्रश्न 3.
पृथ्वी पर ऊष्मा का मूल स्रोत क्या है?
(अ) चन्द्रमा
(ब) सूर्य
(स) उल्का
(द) तारे
उत्तर:
(ब) सूर्य

प्रश्न 4.
सर्वाधिक गर्मी कहाँ पड़ती है?
(अ) भूमध्य रेखा पर
(ब) कर्क रेखा पर
(स) मकर रेखा पर
(द) आर्कटिक वृत पर
उत्तर:
(अ) भूमध्य रेखा पर

प्रश्न 5.
पृथ्वी को कितने कटिबंधों में बाँटा गया है?
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 5
उत्तर:
(ब) 3

प्रश्न 6.
दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सूर्य की किरणें कब लम्बवत चमकती हैं?
(अ) जनवरी में
(ब) मार्च में
(स) जून में
(द) सितम्बर में।
उत्तर:
(अ) जनवरी में

प्रश्न 7.
अण्टार्कटिका पर न्यूनतम तापमान कब मिलता है?
(अ) जनवरी में
(ब) मई में
(स) जुलाई में
(द) दिसम्बर में
उत्तर:
(स) जुलाई में

प्रश्न 8.
सामान्य ताप ह्रास दर कितनी होती है?
(अ) 165 मीटर पर 1°C
(ब) 265 मीटर पर 2°C
(स) 550 मीटर पर 3°C
(द) 765 मीटर पर 4°C
उत्तर:
(अ) 165 मीटर पर 1°C

प्रश्न 9.
गल्फ स्ट्रीम धारा है-
(अ) गर्म
(ब) ठण्डी
(स) ध्रुवीय
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(अ) गर्म

प्रश्न 10.
पार्थिव विकिरण का कितना भाग संवहन में विमुक्त होता है?
(अ) 17 इकाई
(ब) 6 इकाई
(स) 9 इकाई
(द) 19 इकाई
उत्तर:
(स) 9 इकाई

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए।

स्तम्भ (अ)
(रेखा का नाम)
स्तम्भ (ब)
(अक्षांशीय मान)
(i) भूमध्य रेखा(अ) 66 (frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा
(ii) कर्क रेखा(ब) 23 (frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा
(iii) मकर रेखा(स) 23 (frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा
(iv) आर्कटिक वृत(द) 0° अक्षांश रेखा
(v) अण्टार्कटिक वृत(य) 66 (frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा

उत्तर:
(i) द, (ii) स, (iii) ब, (iv) य, (v) अ।

(ख)

स्तम्भ (अ)
(दशा)
स्तम्भ (ब)
(सम्बन्ध)
(i) हिमांक से कम तापे(अ) लू
(ii) गर्म जलधारा(ब) 27 प्रतिशत
(iii) गर्म पवन(स) 48 प्रतिशत
(iv) बादलों द्वारा परावर्तित ताप(द) गल्फस्ट्रीम
(v) वायुमण्डल द्वारा कुल अवशोषण(य) ध्रुवीय क्षेत्र

उत्तर:
(i) य, (i) द, (iii) अ, (iv) ब, (v) स।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी को गर्मी से कौन बचाता है?
उत्तर:
वायुमण्डल का हजारों किलोमीटर का आवरण हमारी पृथ्वी को सूर्य की प्रचण्ड किरणों से उसकी असहाय गर्मी से बचाता है।

प्रश्न 2.
सूर्य क्या है?
उत्तर:
सूर्य एक दहकता हुआ गैसीय पिण्ड है, जिससे लगातार ऊर्जा का विकिरण होता रहता है।

प्रश्न 3.
सौर विकिरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सूर्य की सतह से चारों ओर विकरित होकर फैलने वाले ताप को सौर विकिरण कहते हैं।

प्रश्न 4.
क्रिचफील्ड ने सूर्यातप की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
चिफील्ड के अनुसार, “सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली विकिरण ऊर्जा को सूर्यातप कहते है।”

प्रश्न 5.
ताप के आधार पर पृथ्वी को किन कटिबंधों में बाँटा गया है?
उत्तर:
ताप के आधार पर पृथ्वी को मुख्यत: उष्णकटिबंध, शीतोष्ण कटिबंध एवं शीत कटिबंधों के रूप में बाँटा गया है।

प्रश्न 6.
तापमान से क्या आशय है?
उत्तर:
तापमान सूर्यातप पर निर्भर करता है अत: वायुमण्डलीय ताप को तापमान से अभिव्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 7.
तापमान के क्षैतिज वितरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
तापमान के क्षैतिज वितरण का अर्थ तापमान के अक्षांशीय वितरण से है। जिसमें अक्षांशीय आधार पर तापमान को विश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 8.
मानचित्र पर तापमान का वितरण किससे दर्शाया जाता है?
उत्तर:
मानचित्र परे तापमान का वितरण समताप रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रश्न 9.
तापमान के विश्लेषण के लिए कौन-से महीने चुने गये हैं एवं क्यों?
उत्तर:
तापमान के विश्लेषण के लिए जनवरी व जुलाई माह चुने गये हैं। क्योंकि इन महीनों में विश्व के अधिकांश भागों में न्यूनतम अथवा अधिकतम तापमान पाया जाता है।

प्रश्न 10.
जनवरी माह में सूर्य की किरणें कहाँ लम्बवत होती हैं?
उत्तर:
जनवरी माह में सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित मकर रेखा पर लम्बवत् होती हैं।

प्रश्न 11.
जुलाई माह में सूर्य की किरणें कहाँ लम्बवत् होती हैं?
उत्तर:
जुलाई माह में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर लम्बवत् होती हैं।

प्रश्न 12.
तापमान का लम्बवत वितरण क्या होता हैं?
उत्तर:
तापमान के लम्बवत् वितरण से तात्पर्य धरातल से ऊपर की ओर, ऊँचाई में, वायुमण्डल की विभिन्न परतों में तापमान के वितरण से है।

प्रश्न 13.
सामान्य ताप ह्रास दर किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल में धरातल से ऊँचाई की ओर जाने पर प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर तापमान 1°C कम हो जाती है जिसे तापमान की सामान्य ताप ह्रास दर कहते हैं।

प्रश्न 14.
तापीय व्युत्क्रमण के लिए आर्दश दशाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
लम्बी राते, स्वच्छ आकाश, शान्त वायु, शुष्क वायु एवं हिमाच्छादन की स्थिति तापीय व्युकत्क्रमण के लिए आदर्श दशाएँ होती हैं।

प्रश्न 15.
पर्वतीय घाटियों में बस्तियाँ व बगीचे ऊपरी भाग में क्यों विकसित किए जाते हैं?
उत्तर:
पर्वतीय घाटियों के ऊपरी भाग, घाटियों के निम्नवर्ती भाग की तुलना में अधिक ताप की प्राप्ति करते हैं इसी कारण ऊपरी भागों में आदर्श दशाएँ होने के कारण बस्तियाँ व बगीचे स्थापित किए जाते हैं।

प्रश्न 16.
भूमध्य रेखा से दूरी तापमान को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:
जो क्षेत्र भूमध्य रेखा के जितना निकट होता है वहाँ सूर्य की किरणें उतनी ही लम्बवत् पड़ती हैं। इसके विपरीत जो क्षेत्र भूमध्य रेखा से जितना ध्रुवों की ओर होता है सूर्य की किरणें भी उतनी ही तिरछी होती हैं। इसी कारण भूमध्य रेखा से दूरी तापमान को प्रभावित करती है।

प्रश्न 17.
ध्रुवों पर बर्फ क्यों जम जाती है?
उत्तर:
भूमध्य रेखा से अधिक दूरी के कारण सूर्य की किरणें ध्रुवों पर सदैव तिरछी पड़ती हैं। सूर्य की किरणों के तिरछेपन के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान हिमांक बिन्दु से भी कम हो जाता है जिसके कारण वहाँ बर्फ जम जाती है।

प्रश्न 18.
दिल्ली की अपेक्षा शिमला का तापमान कम क्यों मिलता है?
उत्तर:
दिल्ली की अपेक्षा शिमला अधिक ऊँचाई पर स्थिति है जिसके कारण ऊँचाई बढ़ने से शिमला का तापमान कम मिलता है।

प्रश्न 19.
समुद्र से दूर स्थित स्थानों के ताप में अधिक असमानता क्यों पायी जाती है?
उत्तर:
समुद्र से दूर स्थित स्थानों के जल्दी गर्म होने व जल्दी ठण्डे होने के स्वभाव के कारण दिन के समय सूर्य के प्रभाव से क्षेत्र गर्म हो जाते हैं जबकि रात्रि के समय ऐसे क्षेत्र ठण्डे हो जाते हैं जिसके कारण इनके ताप में असमानता मिलती है।

प्रश्न 10.
पवनें किस प्रकार ताप को नियंत्रित करती हैं?
उत्तर:
पवनों के संचरण से ताप नियंत्रित होता है जिन क्षेत्रों में गर्म पवनें चलती हैं वहाँ तापमान अधिक हो जाता है जबकि जहाँ पवनें ठण्डी होती हैं वहाँ का तापमान कम हो जाता है।

प्रश्न 21.
मेघ तापमान को कैसे नियंत्रित करते हैं?
उत्तर:
धरातल पर स्थित वे क्षेत्र जहाँ पर मेघ छाये रहते हैं तथा वर्षा होती है वहाँ का तापमान अधिक नहीं हो पाता, क्योंकि मेघ सूर्य की किरणों का परावर्तन कर देते हैं जबकि मेघ रहित क्षेत्र में अधिक ताप प्राप्त होता है।

प्रश्न 22.
ऊष्मा बजट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी तथा वायुमण्डल द्वारा प्राप्त ताप तथा उस ताप द्वारा ताप के ह्रास के संतुलन को ऊष्मा बजट कहते हैं।

प्रश्न 23.
सूर्य का पूरा ताप धरातल पर क्यों नहीं पहुँच पाता है?
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी के दूर होने से बीच में सूर्य की किरणों के अवशोषण, परावर्तन व प्रकीर्णन की प्रक्रिया होती है जिसके कारण सूर्य की किरणें पूरी तरह धरातल पर नहीं पहुँच पाती हैं।

प्रश्नं 24.
पृथ्वी से परावर्तित होने वाली पार्थिव विकिरण किन-किन रूपों में लौटती हैं?
उत्तर:
पृथ्वी से परावर्तित होने वाली पार्थिव विकिरण संवहन, वाष्पीकरण/संघनन, विक्षोभ व सीधे अंतरिक्ष में परावर्तित होती है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल पृथ्वी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है इसके इस महत्व को निम्न बिन्दुओं के रूप में स्पष्ट किया गया है-

  1. वायुमण्डल को हजारों किलोमीटर का आवरण हमारी पृथ्वी को सूर्य की प्रचण्ड किरणों से उसकी असहाय गर्मी से बचाता
  2. रात में वायुमण्डल की गर्मी को कम्बल की तरह रोककर हमें शीत से बचाता है।
  3. वायुमण्डल में मौजूद गैसें मानव के लिए उपयोगी सिद्ध होती हैं।
  4. वायुमण्डल की ओजोन गैस सूर्य की पराबैंगनी किरणों को रोककर हमारी रक्षा करती है।

प्रश्न 2.
ताप प्राप्ति के आधार पर विश्व को किन कटिबंधों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पृथ्वी तल पर सूर्यताप की प्राप्ति समान न होकर भिन्न-भिन्न होती है। इसी आधार पर पृथ्वी (ग्लोब) को मुख्यत: निम्न कटिबंधों में बाँटा गया है-

  1. ऊष्ण कटिबंध,
  2. शीतोष्ण कटिबंध,
  3. शीत कटिबंध।

1. ऊष्ण कटिबंध – भूमध्य रेखा से दोनों गोलार्थों की ओर 23°5′ अक्षाशों तक इसका विस्तार मिलता है। यह कटिबंध ही सर्वाधिक ताप प्राप्त करता है।
2. शीतोष्ण कटिबंध – दोनों गोलार्डो में 23° 5 अक्षांशों से 66° 5′ अक्षांशों तक इसका विस्तार मिलता है।
3. शीत कटिबंध – दोनों गोलार्डो में 66° 5′ अक्षांश से ध्रुवों तक इस कटिबंध का विस्तार मिलता है। इस कटिबंध में सबसे कम ताप प्राप्त होता है।

प्रश्न 3.
जनवरी माह में उत्तरी गोलार्द्ध की समताप रेखाओं की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनवरी माह में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में चमकता है। इस समय सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म तथा उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है। इस अवधि में समताप रेखाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न ताप की स्थिति को दर्शाती हैं। एशिया के साइबेरियाई भाग के उत्तरी भाग में न्यून ताप का केन्द्र विकसित हो जाता है। यहाँ -30°C समताप रेखा मिलती है। उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी भाग, दक्षिणी यूरोप व दक्षिणी एशियाई भाग में ताप 10°-20° समताप रेखाओं द्वारा प्रदर्शित होता है।

प्रश्न 4.
जनवरी माह में दक्षिणी गोलार्द्ध की समताप रेखाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनवरी माह में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर ही लम्बवत् चमकता है जिसके कारण इस गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु मिलती है। इस गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ अक्षांशों का अनुसरण करती हैं एवं सुदूर दक्षिण में अर्टाकटिका महाद्वीप के चारों ओर घेरा बनाती हैं। 0° सेन्टीग्रेड समताप रेखा दक्षिणी ध्रुवीय वृत के समीप से निकलती है। दक्षिणी अमेरिका के दक्षिणी भाग व ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भागों से 10° व 20° सेन्टीग्रेड तापमान की समताप रेखाएँ गुजरती हैं। 20° समताप रेखा दक्षिणी आस्ट्रेलिया से, अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिमी भाग से होकर दक्षिणी अमेरिका को पार करके महासागर में प्रवेश करने पर ऊपर की ओर अग्रसर हो जाती है। 40° समताप रेखा लगभग 60° दक्षिणी अक्षांश वृत्त का अनुसरण करती है।

प्रश्न 5.
दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ अनियमित क्यों होती हैं?
उत्तर:
उत्तरी गोलार्द्ध को ‘स्थल गोलार्द्ध’ भी कहा जाता है क्योंकि उत्तरी गोलार्द्ध में स्थलों की अधिकता है। इस प्रकार उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल एवं जल दोनों की अवस्थिति मिलती है। ताप ग्रहण करने की दृष्टि से स्थल एवं जल की प्रकृति एक-दूसरे के विपरीत होती है। इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ अधिक अनियमित होती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में जलीय भाग की अधिकता है। महाद्वीपीय भाग बहुत कम मिलते हैं इसलिए समताप रेखाएँ अधिक नियमित होती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में जलीय भाग की अधिकता के कारण समताप रेखाएँ अक्षांश रेखाओं के लगभग समानान्तर चलती हैं। संक्षेप में, समताप रेखाओं की प्रवृत्ति स्थल एवं जल के वितरण द्वारा पूर्णतः प्रभावित होती है।

प्रश्न 6.
पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण किस प्रकार जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?
उत्तर:
धरातल पर तापमान के असमान वितरण के कारण अलग-अलग जलवायु प्रदेश मिलते हैं। उष्ण कटिबन्धीय भागों में वर्षभर सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं जिससे वहाँ उच्च तापमान पाया जाता है, अत: ऐसे भागों में वर्षभर मौसम उष्ण होता है और उष्ण कटिबन्धीय जलवायु मिलती है। शीतोष्ण कटिबन्धीय भागों में अपेक्षाकृत तापमान कम मिलता है, तापान्तर बढ़ता जाता है, ऐसे भागों के मौसम में सामयिक परिवर्तन अधिक मिलता है और शीतोष्ण कटिबन्धीय जलवायु मिलती है। उच्च अक्षाशों में तापमान कम होने के कारण लगभग वर्षभर बर्फ जमा रहती है। अत: ऐसे प्रदेशों की जलवायु ध्रुवीय होती है। स्पष्ट है कि धरातल पर तापमान की भिन्नता मौसम एवं जलवायु को सर्वाधिक मात्रा में प्रभावित करती है।

प्रश्न 7.
सीधी किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा ज्यादा सूर्यातप प्रदान करती हैं। क्यों?
उत्तर:
सूर्यातप की मात्रा को प्रभावित करने में सूर्य की किरणों के नति कोण की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सूर्य की सीधी किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा ज्यादा सूर्यातप प्रदान करती हैं। यह निम्न दो प्रकार से सम्भव होता है-

  1. सीधी किरणों को वायुमण्डल की कम मोटी परत को पार करना होता है, अत: उनकी कम ऊर्जा वायुमण्डल में नष्ट होती है। । जबकि तिरछी किरणें वायुमण्डल के अधिक चौड़े भाग को पार करती हैं इसलिए उनकी अधिक ऊर्जा वायुमण्डल में नष्ट होती है।
  2. सीधी किरणें धरातल के कम भाग को गर्म करती हैं जबकि तिरछी किरणों की उतनी ही मात्रा धरातल के अधिक भाग को गर्म करती है। इसलिए सीधी किरणें, तिरछी किरणों की अपेक्षा अधिक सूर्यातप प्रदान करती हैं।

प्रश्न 8.
साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापान्तर सर्वाधिक होता है। क्यों?
उत्तर:
साइबेरिया का विस्तृत मैदान यूरेशिया महाद्वीप के ऊत्तरी भाग में स्थित है। यहाँ महाद्वीपीय जलवायु पाई जाती है। महासागरीय भागों में गल्फस्ट्रीम जलधारा तथा उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट के कारण तापमान बढ़ जाता है। महाद्वीप के आन्तरिक भाग में इन धाराओं का प्रभाव बहुत कम पड़ता है। अतः आन्तरिक भाग में तापमान कम बना रहता है। जाड़े के दिनों में तो इस मैदान के अधिकांश भाग में तापमान 0° सेल्सियस से भी कम हो जाता है। यहाँ इस भाग में विश्व का न्यूनतम तापमान अंकित किया जाता है। इस प्रकार सागरीय भागों में जलधाराओं के प्रभाव तथा विस्तृत धरातलीय क्षेत्र, उच्च अक्षांशीय स्थिति एवं वायुराशियों के प्रभाव तथा महाद्वीपीय जलवायु के कारण तापान्तर सर्वाधिक पाया जाता है।

प्रश्न 9.
सूर्यातप एवं पार्थिव विकिरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सूर्यातप – धरातल तथा वायुमण्डल की ऊष्मा का प्रधान स्रोत सूर्य है। सौर ऊर्जा को ही सूर्यातप कहते हैं। यह 186000 मील प्रति सेकण्ड की रफ्तार से भ्रमण करती हुई धरातल पर पहुँचती है। ट्विार्था के अनुसार, ‘लघु तरंगों के रूप में संचालित तथा एक लाख छियासी हजार मील प्रति सेकण्ड की रफ्तार से भ्रमण करती हुई धरातल पर प्राप्त ऊर्जा को ही सूर्यातप कहते हैं।’ पार्थिव

विकिरण – पृथ्वी सूर्यातप द्वारा ही ऊष्मा प्राप्त करती है। जब धरातल गर्म हो जाता है तो उससे विकिरण होता है क्योंकि प्रत्येक गर्म वस्तु विकिरण करती है। पृथ्वी से होने वाला विकिरण दीर्घ तरंगों के रूप में होता है। वायुमण्डल प्रत्यक्ष रूप से सूर्य से प्राप्त ऊष्मा से गर्म नहीं होता बल्कि पृथ्वी से विकिरण द्वारा प्राप्त ऊष्मा से गर्म होता है। इसे ही पार्थिव विकिरण कहते हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
सूर्यातप के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सूर्यातप की उपयोगिता को समझाइये।
अथवा
यदि सूर्य से ऊष्मा या ऊर्जा की प्राप्ति नहीं होती तो क्या होता?
उत्तर:
सूर्य पृथ्वी तल पर ऊष्मा प्राप्ति का एकमात्र मुख्य स्रोत है। इससे प्राप्त होने वाले ताप के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के रूप में दर्शाया गया है-

  1. यदि पृथ्वीतल पर सूर्यताप की प्राप्ति नहीं होती तो पृथ्वी एक हिमाच्छादित ग्रह होता, किन्तु वर्तमान में ताप प्राप्ति से ऐसी स्थिति नहीं मिलती है।
  2. सूर्यताप की प्राप्ति जीवों के जीवन का आधार है यदि ऐसी स्थिति नहीं होती तो पृथ्वी आबाद की जगह एक निर्जन ग्रह होता।
  3. विविध प्रकार की वनस्पति का विकास सूर्यातप के कारण ही सम्भव हो पाया है।
  4. सूर्यातप की प्राप्ति के अभाव वाली स्थिति में पृथ्वी एक अन्धकार युक्त ग्रह होता है।
  5. सूर्यताप के कारण ही पृथ्वी तल पर सांस्कृतिक भूदृश्यों, ऋतुओं, जलवायु, आर्द्रता व वर्षण जैसी दशाएँ विकसित हुई हैं। इसके अभाव में इनकी कल्पना करना भी सम्भव नहीं है।
  6. सूर्य से प्राप्त ताप का मानव, जीव-जन्तु व पशु-पक्षी अपनी क्रियाओं हेतु प्रयोग कते हैं।
  7. सूर्यताप से ही वायुमण्डल ताप प्राप्त करता है जिससे ऊष्मा बजट बना पाता है।

प्रश्न 2.
ग्लोब पर मिलने वाले ताप कटिबन्धों का अक्षांशीय आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी तल पर तापमान का वितरण सभी जगह एक समान नहीं पाया जाता। अत: तापमान के वितरण पर अन्य कारकों की अपेक्षा अक्षांश का सर्वाधिक नियंत्रण होता है। पृथ्वी पर मिलने वाले ताप कटिबंधों का अक्षांशीय आधार पर वर्णन निम्नानुसार है-

  1. उष्ण कटिबंध,
  2. शीतोष्ण कटिबंध,
  3. शीत कटिबंध।

1. ऊष्ण कटिबंध – इस कटिबंध का विस्तार भूमध्य रेखा से दोनों ओर 23 (frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य फैला हुआ है। इस कटिबंध में औसतन 24 – 26°C तापमान मिलता है।
2. शीतोष्ण कटिबंध – इस कटिबंध का विस्तार दोनों गोलार्डो में 23 (frac { 1 }{ 2 })° से 66 (frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य मिलता है। इस कटिबंध में तापमान 24°C से कम व ध्रुवों की ओर जाने पर -7°C तक मिलता है।
3. शीत कटिबंध-इस कटिबंध का विस्तार 66(frac { 1 }{ 2 })० से 90° उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव के बीच मिलता है। यहाँ औसत तापमान
प्रायः -7°C से कम ही रहता है।
ताप कटिबंधों के इस स्वरूप को निम्न चित्र से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट 5

प्रश्न 3.
जुलाई माह में समताप रेखाओं का वितरण कैसा मिलता है?
अथवा
जुलाई माह में उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ किस प्रकार मिलती हैं?
उत्तर:
जुलाई माह के दौरान सूर्य की स्थिति उत्तरी गोलार्द्ध की ओर होती है। जून माह में सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है। इस स्थिति में उत्तरी गोलार्द्ध में महाद्वीपों के भीतरी भागों व उष्ण मरुस्थलों पर सबसे ऊँचे तापमान रहते हैं। विषुवत रेखा पर तापमान लगभग 27° मिलता है। जुलाई में उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महाद्वीपों में अत्यधिक वक्रता लिए हुए मिलती हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रायः अक्षांशों के समानान्तर होती हैं। साइबेरिया के उत्तरी भाग, यूरोप के उत्तरी भाग व अलास्का में 10°C की समताप रेखा मिलती है। मध्य एशियाई भाग, जापान के उत्तरी भाग, दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप व कनाडा में मुख्यत: 20°C की समताप रेखा मिलती है। दक्षिणी एशिया, अफ्रीका के उत्तरी भाग व मैक्सिको क्षेत्र में 30°C की समताप रेखा मिलती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में मध्य आस्ट्रेलिया, दक्षिणी व मध्यवर्ती दक्षिणी अमेरिका में 20°C की समताप रेखा जबकि दक्षिणी आस्ट्रेलिया व दक्षिणी अमेरिका के दक्षिणी भाग में 10°C की समताप रेखा फैली हुई मिलती है।

प्रश्न 4.
तापीय विलोमता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
तापीय व्युत्क्रमण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्षोभमण्डल के अन्दर सामान्य परिस्थितियों में ऊँचाई के साथ तापमान घटता है। परन्तु कुछ विशेष परिस्थितियों में ऊँचाई के साथ तापमान घटने के स्थान पर बढ़ता है। ऊँचाई के साथ तापमान के बढ़ने को तापमान का व्युत्क्रमण अथवा विलोमता कहते हैं। तापीय विलोमता की स्थिति हेतु लम्बी रातें, स्वच्छ आकाश, शान्त वायु, शुष्क वायु एवं हिमाच्छादन आदि भौगोलिक दशाएँ आदर्श सिद्ध होती हैं। ऐसी परिस्थितियों में धरातल और वायु की निचली परतों से ऊष्मा का विकिरण तेज गति से होता है। परिणामस्वरूप निचली परत की हवा ठण्डी होने के कारण घनी व भारी हो जाती है। ऊपर की हवा जिसमें ऊष्मा का विकिरण धीमी गति से होता है, अपेक्षाकृत गर्म रहती है। ऐसी परिस्थिति में तापमान ऊँचाई के साथ घटने के स्थान पर बढ़ने लगता है।

प्रश्न 5.
पर्वतीय घाटियों में होने वाले व्युत्क्रमण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
दिन व रात्रि के समय पर्वतीय घाटी के तापमान में व्युत्क्रमण कैसे होता है?
उत्तर:
पर्वतीय घाटियों में तापमान व्युत्क्रमण की स्थिति प्रायः अयन वृतीय प्रदेशों में अधिक देखने को मिलती है। दिन के समय जहाँ सम्पूर्ण घाटी गर्म हो जाती है, वहीं रात्रि को उष्ण पवनें हल्की होने से ऊपर उठने लगती हैं, उनके स्थान पर घाटी के ऊपर ढालों की ठण्डी व भारी पवनें तली की ओर नीचे उतरती हैं। इस प्रकार की क्रिया मध्यरात्रि के पश्चात् विकसित होती है तथा प्राय: काफी देर तक बनी रहती है। इसे वायु प्रवाह से विकसित ताप विलोमता भी कहते हैं। इसी के प्रभाव में जहाँ की तली में शीतकाल में पाला गिरता है, वहीं घाटी के मध्यवर्ती ढाल पाले के प्रभाव से बचे रहते हैं।
घाटी में होने वाले ताप के इस व्युत्क्रमण को निम्न चित्र से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट 6

प्रश्न 6.
तापीय विलोमता के आर्थिक प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
तापमान की विलोमता किस प्रकार वायुमण्डलीय दशाओं में परिवर्तन लाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तापमान की विलोमता के कारण धरातल पर निम्नलिखित प्रभाव दृष्टिगत होते हैं-

  1. तापीय विलोमता के कारण धरातल पर सघन कोहरा छा जाता है।
  2. घाटी के ऊपरी व मध्यवर्ती ढालों में तापमान अधिक मिलने से बस्तियाँ बसाव हेतु आदर्श स्थिति बनती है।
  3. शीतकालीन ऋतु के दौरान महानगरों का धुआँ व नमी मिलकर घना कोहरा पैदा कर देते हैं ऐसे कोहरे से वायुयानों व जलयानों के लिए प्रतिकूल स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  4. घाटी के निम्नवर्ती भागों में अत्यधिक ठण्ड के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं।
  5. पर्वतीय घाटियों के ऊपरी भाग फलों, बगीचों, मेवों व बागाती कृषि के दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं।

प्रश्न 7.
पृथ्वी तथा वायुमण्डल के ऊष्मा बजट को संक्षेप में दर्शाइए।
उत्तर:
पृथ्वी तथा वायुमण्डल के ऊष्मा बजट को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 12 सूर्यातप एवं ऊष्मा बजट 7

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
तापमान की विलोमता हेतु उत्तरदायी दशाओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
तापीय व्युत्क्रमण किन दशाओं के कारण उत्पन्न होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्षोभमण्डल में धरातल से ऊँचाई पर जाने पर तापमान प्रायः कम होता है किन्तु कुछ विशेष परिस्थितियों में तापमान घटने के बजाय बढ़ने लगता है ऐसी स्थिति तापीय व्युत्क्रमण कहलाती है।
तापमान की विलोमता हेतु उत्तरदायी दशाएँ- तापीय व्युत्क्रमण हेतु उत्तरदायी दशाओं को निम्नानुसार वर्णित किया गया है-

(i) शुष्क वायु – जब वाष्प पृथ्वी से विकिरण द्वारा निकलने वाली ऊष्मा को सोख लेती है और ताप गिरने में बाधा डालती है। शुष्क वायु में यह गुण म होने के कारण पृथ्वी शीघ्र ही ठण्डी हो जाती है।

(ii) हिमाच्छादन की स्थिति – ध्रुवीय एवं हिमाच्छादित प्रदेशों में धरातल से निरन्तर ऋणात्मक विकिरण या शीत लहरें विकरित होने से वहाँ शीघ्र ताष विलोमता विकसित होती है।

(iii) स्थिर मौसम – स्थिर मौसम की स्थिति में ऊष्मा विकिरण बिना रुके होता रहता है। मौसम में परिवर्तन न होने से एक जैसी परिस्थितियाँ बहुत समय तक बनी रहती हैं। अतः तापीय विलोमता में बाधा नहीं पड़ती।

(iv) ठण्डी व लम्बी रातें – सर्दियों में रातें लम्बी होती हैं। ऐसी रातों के पिछले प्रहर में पृथ्वी की सतह से ताप लहरों के स्थान पर शीत लहरें विकिरित होती हैं। इससे ऐसी सतह को छूती हुई परतों के तापमान से तेजी घटने लगते है, जबकि इसके ठीक ऊपर की वायु के तापमान कुछ ऊँचे बने रहते हैं।

(v) स्वच्छ आकाश – रात के समय पृथ्वी से निकलने वाली ऊष्पा बादलों से टकराकर वापस लौट जाती है जिससे पृथ्वी ठण्डी नहीं हो पाती। स्वच्छ आकाश में यह ऊष्मा वापस नहीं लौटती जिससे पृथ्वी का तल शीघ्रता से ठण्डा हो जाता है और तापीय प्रतिलोमन की सम्भावना बढ़ जाती है।

(vi) शान्त वायु – निरन्तर प्रवाहित होती पवनें स्थान विशेष के तापमान को अधिक गिरने से रोकती हैं। शीतकाल में लम्बी रातों में वायु शान्त व स्वच्छ आकाश होने पर ही शीतलता का प्रभाव निचली परतों में फैल सकता है जिससे तापीय विलोमता होती है।

(vii) ढाल युक्त घाटियाँ – अधिक तीव्र ढाल वाली गहरी घाटियों में ठण्डी वायु तीव्रता से नीचे बहकर एकत्रित हो जाती है। जिससे तापीय प्रतिलोमन उत्पन्न हो जाता है।

(viii) ठण्डी वायु राशि का प्रवेश – जब ठण्डी वायु राशि किसी गर्म वायु राशि को ऊपर उठा देती है तो तापीय विलोमता की स्थिति पैदा हो जाती है।

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