मॉडुलन की परिभाषा क्या है | आवश्यकता तथा प्रकार

मॉडुलन (Modulation):- संदेश सिग्नल निम्न आवृत्ति के होते है। जिन्हें अधिक दूरी तक प्रेषित करना सम्भव नहीं है इसलिए इन्हंें उच्च आवृत्ति की वहक तरंगों पर अध्यारोपित कराते है। इस प्रक्रिया को माॅडुलन कहते है।

माॅडुलन की आवश्यकता:

1. ऐन्टिना की लम्बाई – सिग्नल को प्रभावी रूप से विकृत करने केलिए ऐन्टिना की लम्बाई कम से कम 2/4 होनी चाहिए। संदेश सिग्नल की तरंग द्धैध्र्य कई किलो मीटर में होती है।  इसलिए एन्टिना की लम्बाई किलो मीटर में लेनी होगी। इतना बड़ा ऐन्टिना ऊँचाई पर लगाना सम्भव नहीं है। इसलिए आवृत्ति में वृद्धि करना जरूरी है।

2. विकृति शक्ति:- किसी ऐन्टिना से विकरीत शक्ति का मान 1/ λ2 के समानुपाती होता है। इसलिए शक्ति का मान अधिक हो इसके लिए जरूरी है कि λ का मान कम होना चाहिए।

3. सिग्नल में विभेद करना:- यदि सभी स्टेशनों से लगभग समान आवृत्ति के संदेश, सिग्नल प्रेक्षित किए जायेगें तो अभिग्राही पर इनमें विभेद करना सम्भव नहीं होगा। इसलिए प्रत्येक स्टेशन को अलग अलग आवृत्ति की बेण्ड चैड़ाई आवंटित कर दी जाती है इसलिए सिग्नल में माॅडूलन करना आावश्यक है।

माॅडूलन के तीन प्रकार है –

1. आयाम माॅडुलन (ए.एम AM) :  इसमें वाहक तरंग के आयाम में संदेश सिग्नल के आयाम के अनुसार परिवर्तित करते है।

डाइग्राम

2. आवृति माॅडुलन (एफ.एम FM) वाहक तरंग की आवृति में सदेश सिग्नल के आयाम के अनुसार परिवर्तन होता है।

डाइग्राम

3. कला माॅडुलन  या पल्स माॅडुलन (पी.एम PM) – वाहक तरंग की आवृत्ति में संदेश सिंग्नल की कला के अनुसार परिवर्तन होता है।

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