नाभिकीय विखण्डन | परमाणु रियेक्टर (भट्टी) | नाभिकीय संलयन

भिकीय विखण्डन (Nuclear fission):- बड़ा नाभिक जैसे यूरेनियम पर न्यूट्रान की क्रिया कराये तो यह लगभग दो बराबर भागों में टूट जाता है और काफी मात्रा में मुक्त होती है। इस घटना को नाभिकीय विखण्डन कहते है।

92U235  + 0n1  = 56Ba144 + 36Kr89 + 30n1

92U235  + 0n1  =  54Xe140 + 38Sr94 + 20n1नाभिकीय विखण्डन में प्राप्त न्यूट्रॉनों की औसत संख्या 2.57 होती है। 

श्रृंखला अभिक्रिया (chain reaction):- यदि नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रान अन्य यूरेनियम परमाणुओं का विखण्डन कर दे और इसी प्रकार विखण्डन की क्रिया होती रहे तो इसे श्रृंखला अभिक्रिया कहते है।

गुणनकारक:- नाभिकीय विखण्डन में किसी स्तर पर न्यूट्रानों से विखण्डनों की संख्या और इसके पूर्व के स्तर पर न्यूट्रानों से विखण्डनों की संख्या के अनुपात को गुणानकारक (n) कहते है।

k = नाभिकीय विखण्डन में किसी स्तर पर न्यूट्रॉन के द्वारा विखण्डनों की संख्या / इसके पूर्व के स्तर में न्यूट्रॉन के द्वारा विखण्डनों की संख्या

यदि k का मान 1 से कम तो क्रिया अक्रान्ति , k =1  पर क्रिया क्रान्तिक और k का मान एक से अधिक होने पर क्रिया अतिक्रान्तिक कहलाती है।

परमाणु रिएक्टर (भट्टी) (Nuclear reactor (furnace)):-ऐसी युक्ति जिसमें नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा को संरचनात्मक कार्यों में परिवर्तित करते है। नाभिकीय रियेक्टर कहते है। इसके मुख्य भाग निम्न है।

1. ईधन (Fuel):- यह विखण्डनीय पदार्थ होता है जो यूरेनियम, थोरीयम, प्रोटेनियम आदि हो सकते है।

2. मंदक (Moderator):- नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रोनों की गति तेज होती है। इस गति को कम करने के लिए मेंदक काम में लेते है। जो साधारण जल, भारी जल, ग्रेफाइट हो सकता है।

3. नियंत्रक छड़े (Controller rods):- ये कैंडमियम की छड़े होती है। कैडमियन न्यूट्राॅन का अच्छा अवशोषक है यह न्यूट्राॅन की संख्या को नियंत्रित करता है।

4. शीतलक (Coolant):- नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा को निरन्तर बाहर निकालना जरूरी है। इसलिए शीतलक को प्रवाहीत करते है। शीतलक के रूप में साधारण जल, भारी जल, द्रवीत गैसे आदि हो सकती है।

5. बाहरी आवरण (Outer cover):- नाभिकीय विखण्डन से हानिकारक विकिरण निकलते है जो प्राणीयों के लिए नुकसानदायक होत है। इसलिए पूरे भाग को कंकरीट के 2-3 मीटर मोटी दीवार से उपकरण को ढक दिया जाता है।

चित्र

नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion):- उच्च ताप और दाब पर छोटे छोटे नाभिक मिलकर बड़े नाभिक का निर्माण करते है और काफी ऊर्जा मुक्त होती है इस घटना को नाभ्ज्ञिकीय संलयन कहते है।

ताप नाभिकीय अभिक्रियाऐं:- छोटे छोटे नाभिक जब एक दूसरे के नजदीक आते है तो उनमें प्रतिकर्षण का बल लगता है। एक नाभिक को दूसरी नाभिक में प्रवेश करने के लिए इतनी पर्याप्त ऊर्जा होनी चाहिए निवहन प्रतिकर्षण बल को पार कर सके औश्र दाब भी अधिक होना चाहिए ताकि नाभिक एक दूसरे के सम्पर्क में आ सके ये क्रियाऐं उच्च ताप और दाब पर होती है।

इन्हें ताप नाभिकीय अभिक्रियाऐं कहते है तारों में ऊर्जा का उत्पादन ताप नाभिकीय क्रियाओं के द्वारा हो रहा है पृथ्वी पर इतना उच्च ताप बनाये रखना सम्भव नहीं है इसलिए अभी तक पृथ्वी पर ताप नाभिकीय क्रियाऐं सम्पन्न करना सम्भव नहीं है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|


यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी गयी जानकारी से लाभ मिला हो तो आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है |

हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।

Also Read:

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *