मानव अपशिष्ट का निपटान | महत्व | के तरीके

मानव अपशिष्ट का निपटान,  महत्व , तरीके  :-

पारिस्थितिक स्वच्छता का सुरक्षित तरीका ‘‘शुष्क टायलेट कम्पोस्टिंग‘‘

महत्व:-

1- व्यावसायिक, स्वास्थ्यकर

2- पीनी की आवश्यकता नहीं

3- पुन:चक्रण द्वारा उर्वरक

4- सस्ता

उदाहरण:- इको सैन केरल के कुछ भागों व शहरों में।

ठोस अपशिष्ट (solid waste):-

वे सभी अपशिष्ट पदार्थ जो कूडे-कचरे में फेंके जाते है उन्हें ठोस अपशिष्ट कहते है मुख्य ठोस अपशिष्ट निम्न है:-

1. नगरपालिका अपशिष्ट:- वे सभी वस्तुएं जो कार्यालयों, विद्यालयों, घरों एवं भण्डारकारों द्वारा कचरे के रूप में फेंकी जाती है इनका एकत्रीकरण एवं निपटान नगर पालिका द्वारा किया जाता है उसे नगरपालिका अपशिष्ट कहते है। जैसे काँच, कागज, वस्त्र, चमडा, धातु, प्लास्टिक आदि।

निपटान का तरीका:-

1    परंपरागत तरीका(Conventional way):-

कचरे को एकत्रित करके उसे जला दिया जाता है जिससे उसके आयतन में कमी आ जाती है।

समस्या कमी/सीमाएं:-

ऐसे कथन मक्खी, मच्छर एवं चूहों के प्रजनन कथल बन जाते है तथा ये बीमारीयाँ फैलाते है।

2     नया तरीका(New methods):-

कचरे के सैनेटरी लेण्डकिस्स गड्ढा/खड्डा में डालकर उसके ऊपर रेत-मिट्टी आदि डाल देते है।

समस्या:-

इनसे हानिकारक रसायनों का रिसाब होता है तथा ये भूमिगत जल को प्रूदूषित करते है।

समाधान/हल:-

कचरे का वर्गीकरण करना। अपशिष्ट पदार्थो को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है

1     जैव निम्नीकृत (अपघटनीय)(Biodegradable ):-

जिसका अपघन होता है जैसे:- मल-मुत्र आदि पादपों एवं जीवों के अवशेष, कृषि अपशिष्ट फल सब्जियों के छिलके आदि।

2    पुनः चक्रण योग्य (Recyclable):-

जिनको पुनः चक्रीत करके उपयोग में लिया जा सकता है जैसे:- कागज, प्लास्टिक आदि।

3     जैव अनिम्नीकृत अन-अपघटनीय(Biodegradable non-decomposable):-

जिसका विघटन बही होता है जैसे:- DDT, पारे के लक्ष्ण, पाॅलिटाीन की थैलियाँ जैव अनिम्नीकृत अपशिष्ट कम से कम उत्पन्न होने चाहिए।

Remark:

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