प्रकाश संवेदन अभिक्रिया या प्रकाश सुग्राही अभिक्रिया | ऊर्जा का स्थानान्तरण | चुम्बकीय पारगम्यता

प्रकाश संवेदन अभिक्रिया या प्रकाश सुग्राही अभिक्रिया :

कुछ प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाएँ ऐसी होती है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील नहीं होती हैं अर्थात प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं में क्रियाकारक पदार्थ फोटोन या क्वांटम का सीधे अवशोषण नहीं करते है अतः अभिक्रिया सम्भव नहीं होती हैं।
इन अभिक्रियाओं में कुछ ऐसे बाह्य पदार्थ डालकर इन्हें प्रकाशिक संवेदनशील बनाया जाता है जो प्रकाश को अवशोषित करके अभिक्रिया में भाग लिये बिना उसे उद्यमित कर देता है।
ऐसे पदार्थों को प्रकाश संवेदक या प्रकाश सुग्राही कारक कहते है एवं इन अभिक्रियाओं को प्रकाश संवेदक अभिक्रियाएँ कहते है।
Hg (मर्करी) एवं Cd (कैडमियम) आदि की वाष्प सामान्यत: प्रकाश संवेदक के रूप में कई प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं में काम में ली जाती है।

प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओ में ऊर्जा का स्थानान्तरण (energy transfer in photochemical reaction):

प्रकाश संवेदक अभिक्रिया में परमाण्विय संवेदक के रूप में Hg , Cd या Zn एवं आण्विक संवेदक के रूप में बेंजोफिनोन आदि को काम में लेते है।

संवेदक प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते परन्तु ये ऊर्जा के वाहक की भूमिका निभाते है।

प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में संवेदक पदार्थ को फोटोन या ऊर्जा के क्रियाकारी अणु को स्थानांतरित होने को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।

संवेदक अणु जो फोटोन के अवशोषण से उत्तेजित होकर मूल अवस्था S0 से प्रथम एकक उत्तेजित अवस्था में चला जाता है वहाँ ISC द्वारा त्रिक उत्तेजित अवस्था में चला जाता है।

त्रिक उत्तेजित अवस्था में उत्तेजित संवेदक अणु अपनी मूल अवस्था S0 में लौटते समय क्रियाकारी अणु से टकराकर उसे फोटोन स्थानान्तरित कर देता है।

फोटोन के अवशोषण के फलस्वरूप क्रियाकारी अणु (ग्राही) उत्तेजित होकर त्रिक उत्तेजित अवस्था में चला जाता है जहाँ से वह उत्पाद में परिवर्तित हो जाता है।

संवेदक एवं उत्प्रेरक दोनों भिन्न होते है , उत्प्रेरक तो पहले से हो रही अभिक्रिया के वेग को बढाता है जबकि संवेदक के बिना अभिक्रिया प्रारम्भ ही नही होती।

प्राथमिक प्रक्रम और द्वितीय प्रक्रम :

प्राथमिक प्रक्रम : इस प्रक्रम में प्रत्येक अणु एक फोटोन (hv) का अवशोषण करके उत्तेजित हो जाता है।

प्राथमिक प्रक्रम में यह भी हो सकता है की एक अणु ऊर्जा के एक क्वांटम या फोटोन का अवशोषण करके अपघटित हो जाए और मुक्त मूलक बना ले।

द्वितीयक प्रक्रम : इस प्रक्रम में उत्तेजित अणु परमाणु या मुक्त मूलक भाग लेते है।

द्वितीयक प्रक्रम के लिए प्रकाश की कोई अनिवार्यता नहीं होती है , यह अँधेरे में भी सम्पन्न हो सकता है।

प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया में क्वांटम लब्धि कम या अधिक होने के लिए द्वितीय प्रक्रम ही उत्तरदायी होता है।

चुम्बकीय पारगम्यता (magnetic permeability)

माना चुम्बकीय द्विध्रुव जिनकी चुंबकीय सामर्थ्य क्रमशः m1 तथा m2 है और उनके मध्य r होतो दोनों द्विध्रुव पर लगने वाला बल F निम्न व्यंजक द्वारा दिया जाता है।

F = m1m2/ur2

यहाँ u = चुम्बकीय पारगम्यता है जो माध्यम का एक लाक्षणिक गुण है , चुंबकीय पारगम्यता निर्वात अथवा वायु की तुलना में माध्यम में से चुंबकीय वाल रेखाओं के गुजरने की प्रकृति दर्शाती है।

निर्वात में u का मान एक माना जाता है जबकि अन्य माध्यम में u का मान एक से अधिक या कम हो सकता है।  माध्यम के पदार्थों को u के मान के आधार पर दो भागों में बांटा जाता है।

1. u>1 : ये अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते है , चुम्बकीय बल रेखाओं की पारगम्यता अधिक होती है।

2. u<1 : ये प्रतिचुम्बकीय कहलाते है , इन पदार्थों के चुम्बकीय बल रेखाओं की पारगम्यता निर्वात की अपेक्षा कम होती है।

यदि u का मान एक ही तुलना में बहुत अधिक होतो पदार्थ लौह चुम्बकीय कहलाता है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|


यदि आपको https://hindilearning.in वेबसाइट में दी गयी जानकारी से लाभ मिला हो तो आप अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है |

हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *