कैंसर (Cancer) परिभाषा , कारण , लक्षण , निदान , उपचार):- संजीवा में कोशिका विभेदन एवं वृद्धि एक नियमित एवं नियंत्रित प्ररिकीय है जब ये नियामक क्रियाएं भँग हो जाती है तो उसे केसर कहते है।
सामान्य कोशिकाओं मे संस्पर्श संदमन का गुण पाया जाता है किन्तु कोशिकाओं के अनियंत्रित्ंा एवं अनियमित विभाजित होने का कारण इस गुण का समाप्त होना है। इस प्रकार शरीर में गाँठ, टयूमर अर्नुद बन जाता है ये दो प्रकार के होते है।
1. सुदम (benign):- ये स्थानिक होती है तथा शरीर में अन्य स्थानों पर नहीं फैलती है अतः यह अधिक हानिकारक नहीं है।
2. दुर्दम (Malignant):- इस प्रकार बना कैसर का टयूमर अपी कोशिकाओं को शरीर के अन्य भागों में भी स्थापना कर देता है। तथा यही कैंसर की भयानक स्थिति है।
कैंसर कोशिकाओं में फैलने का गुण मेटास्टेसिस कहलाता है।
कारण:-
प्रसामान्य कोशिकाओं में प्रोटोओन्कोजीन ब्. ओकोजीन पाये जाते है ये नवदूब्बी कोशिकाओं में ओंकोजीन में बदल जाते है। नवदूी कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से स्पर्दा करती है तथा सामान्य कोशिकाएं भूखी मर जाती है।
कैंसर उत्पन करने वाले कारक तीन प्रकार के होते है जिन्हें कैसरजन कार्सिनोजन कहते है।
1- भौतिक कारक:-
X किरणें, पराबैंगनी किरणें, ताप आदि।
2- रासायनिक कारक:-
धुंआ, गुटखा आदि में उपस्थित रासायनिक पदार्थ तथा हार्मोन, ओषधियाँ, प्रदूषक आदि।
जैविक कारक:- ओंकोवायरस
प्रोटोओन्कोजीन कैंसरजन
ओकोजीन -ओकोजीन नवद्रव्यी कोशिका
लक्षण:-
1. शरीर के तील या मस्से के आकार में परिवर्तन।
2. घाव का न भरना।
3. गाँठ बनना।
4. घाव व गाँठ में लगातार दर्द।
5. वजन में कमी।
6. बुखार।
7. मुंह में छाला।
8. शरीर के प्राकृतिक छिद्रोें से रक्त स्त्राव
निदान
1. रक्त परीक्षण
2. रेडियोग्राफी एक्सरे
3. हिस्टोफेथोलाॅजीकल परीक्षण
4. रेडियोग्राफी ग्.त्ंल
5. हिस्टोफेंथोलाॅजीकल परीक्षण
6. ब्ज्. स्केन अभ्सिकलित टोमोग्राफी
7. डत्प् चुम्बकीय अनुवाद चित्रण
8. जीवूति परीक्षण बायोप्सी
9. आण्विक जैविकी तकनीको द्वारा।
उपचार:-
प्रतिवर्ष भारत में लगभग 10 लाख लोग कैंसर द्वारा कर जाते है अतः प्रारंभिक अवस्था में इसका निदान एवं उपचार आवश्यक है:-
1. शल्य क्रिया
2. विकिरण चिकित्सा/रेडियोथेरेपि जैसे ब्न्.60
3. रसायन चिकित्सा किमोथैरेपी:- इनके दुष्प्रभाव होते है जैसे बालों का झडना,
4. केसर के उपचार हेतु तीनो तरीकों का प्रयोग किया जा सकता है।
4- जैविक क्रिया रूपान्तरण:-
कैंसर प्रतिजन प्रतिरक्षी पहचाने जाने एवं नष्ट किये जाने से बचते है अतः विशेष प्रकार के प्रतिरक्षी बनाये जाते है जिन्हें जैविक अनुक्रिया रूपान्तरण कहते है।
उदाहरण:- Y. इन्टरफेराॅन
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