Slesh Alankar in Hindi: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में श्लेष अलंकार क्या होता है? (Slesh Alankar) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |
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Slesh Alankar in Hindi
काव्य में जहां शब्द एक बार प्रयोग होता है किंतु उसके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं , अर्थात उसके अर्थ दो या दो से अधिक निकलते हैं वहां श्लेष अलंकार माना जाता है।
श्लेष अलंकार किसे कहते है?
पहचान :- श्लेष अलंकार की पहचान शब्दों के आपस में चिपके होने से की जाती है। अर्थात एक ही शब्द में दो अर्थ चिपके होते हैं , वहां श्लेष अलंकार होता है। शब्द तो एक होते हैं , किंतु उस शब्द के साथ अनेकों अर्थ चिपके होते हैं वहां श्लेष अलंकार होता है।
श्लेष अलंकार के उदाहरण
उदहारण | पहचान |
जो रहीम गति दीप की , कुल कपूत की सोय।बारे उजियारो करै , बढ़े अंधेरो होय। । | बारे – जलना और बचपनबढे – बड़ा होने पर और बुझने पर |
मधुबन की छाती को देखोसुखी कितनी इसकी कलियाँ। | कलियाँ – फूल खिलने से पूर्व की अवस्थाकलियाँ – यौवन से पूर्व की अवस्था |
श्लेष अलंकार के प्रकार
श्लेष के दो प्रकार होते हैं।
- अभंग श्लेष अलंकार
- सभंग श्लेष अलंकार
1. अभंग श्लेष
अभंग श्लेष में शब्दों को बिना तोड़े अनेक अर्थ निकलते हैं।)
जैसे :-
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुस, चून।।
यहाँ ‘पानी’ के अनेक अर्थ है। इसके तीन अर्थ हैं- कांति, सम्मान और जल।
2. सभंग श्लेष
इसे भी पढ़े: अनेकार्थी शब्द किसे कहते हैं
सभंग श्लेष में शब्दों को तोड़ना आवश्यक होता है।
जैसे :-
सखर सुकोमल मंजु, दोषरहित दूषण सहित।
यहाँ ‘सखर’ का मतलब कठोर तथा दूसरा अर्थ दूषण के साथ (स+खर) है। यह दूसरा अर्थ ‘सखर’ को तोड़कर किया गया है, इसलिए यहाँ ‘सभंग श्लेष’ अलंकार है।
अन्य उदाहरण
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानस, चून।।’’
‘‘चरण धरत चिन्ता करत भावत नींद न सोर।
सुबरण को ढूँढ़त फिरै, कवि कामी अरु चोर।।’’
‘‘रहिमन जे गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारै उजियारो करै, बढ़े अँधेरो होय।।’’
Slesh Alankar Video
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