स्वतुल्य सम्बन्ध | सममित सम्बन्ध | संक्रमक | तुल्यता

विभिन्न प्रकार के द्विआधारी सम्बन्ध (different types of binary relations in hindi) :

1. स्वतुल्य सम्बन्ध (reflexive relation) :

यदि किसी समुच्चय A में कोई सम्बन्ध R इस तरह हो कि A समुच्चय का प्रत्येक अवयव स्वयं से R द्वारा सम्बंधित हो तो R स्वतुल्य सम्बन्ध कहलाता है।

अर्थात प्रत्येक x के लिए xRx , प्रतिक भाषा के रूप में निम्न प्रकार लिखा जाता है –

∀ x ∈ A , xRx

या

∀ x ∈ A , (x ,x) ∈ R

उदाहरण :

1. किसी समतल में स्थित सरल रेखाओं के समुच्चय में सम्बन्ध ‘समान्तर’ स्वतुल्य सम्बन्ध है क्योंकि कोई रेखा स्वयं के भी समान्तर होती है। प्रतिक भाषा के रूप में , xRy यदि x||y स्वतुल्य सम्बन्ध है।

2. सम्बन्ध “बराबर” स्वतुल्य सम्बन्ध है क्योंकि किसी समुच्चय A के प्रत्येक अवयव के लिए x = x अर्थात xRx.

प्रतिक भाषा के रूप में , xRy यदि x = y स्वतुल्य सम्बन्ध है।

3. यदि A , B , C ,  . . . .  उपसमुच्चय है तो ARB , यदि A⊆A सत्य है।

4. धन पूर्णांकों के समुच्चय में xRy यदि x ≤ y स्वतुल्य सम्बन्ध है क्योंकि x ≤ x सत्य है।

5. यदि A = {1,2,3} और R = {(1,1) , (2,2) , (3,3)} स्वतुल्य सम्बन्ध है।

6. धन पूर्णांको के समुच्चय में , xRy यदि x < y स्वतुल्य सम्बन्ध नहीं है।

इसी प्रकार xRy यदि x > y भी स्वतुल्य सम्बन्ध नहीं है।

7. किसी अरिक्त समुच्चय A में समष्टीय सम्बन्ध स्वतुल्य सम्बन्ध होता है।

2. सममित सम्बन्ध (Symmetric relation)

किसी अरिक्त समुच्चय A पर परिभाषित कोई सम्बन्ध R सममित कहलाता है , जबकि प्रत्येक युग्म x , y ∈ A के लिए xRy → yRx

अर्थात (x,y) ∈ R → (y,x) ∈ R

उदाहरण : (1) सम्बन्ध “बराबर” सममित सम्बन्ध है , क्योंकि x = y  → y = x

(2) समतल में स्थित रेखाओं के समुच्चय में सम्बन्ध लम्ब है , सममित सम्बन्ध है क्योंकि x ⊥ y → y ⊥ x

यहाँ ⊥ , लम्ब का प्रतिक है।

(3) धन पूर्णांको के समुच्चय में xRy यदि x + y = 10 , युग्म x , y ∈ N एक सममित सम्बन्ध है , क्योंकि x + y = 10  → y + x = 10

अर्थात (x , y) ∈ R → (y,x) ∈ R

(4) यदि A = {2 , 4 , 6 , 8} तो

R1 = {(2,4) , (4,2) , (4,6) , (6,4) , (2,8) , (8,2)}

सममित सम्बन्ध है क्योंकि

(2,4) ∈ R→ (4,2) ∈ R1

(4,6) ∈ R→ (6 , 4) ∈ R1

 (2,8) ∈ R→ (8,2) ∈ R1

R2 = {(2, 4) , (4,2) , (4,6) , (2,8) , (8,2)} सममित  नहीं है क्योंकि

(4,6) ∈ R→ (6, 2) ∉ R2

3. प्रतिसममित सम्बन्ध (Antisymmetric relation)

यदि किसी अरिक्त समुच्चय A में कोई सम्बन्ध R इस प्रकार हो कि x , y ∈ A के लिए

xRy और yRx → x = y

अर्थात xRy और yRx तभी सत्य होगा जब x = y होगा , तब R प्रतिसममित सम्बन्ध कहलाता है।

उदाहरण :

(1) उपसमुच्चयों के समुच्चय में सम्बन्ध ⊆ प्रतिसममित सम्बन्ध है क्योंकि A ⊆ B , B⊆A → A = B

(2) पूर्णांकों के समुच्चय में सबंध > प्रतिसममित सम्बन्ध है क्योंकि x > y , y > x → x = y

(3) प्राकृतिक संख्याओं के समुच्चय में a भाजक है , b प्रतिसममित सम्बन्ध है क्योंकि aRb , bRa → a= b

(4)किसी अरिक्त समुच्चय A में तत्समक सम्बन्ध प्रतिसममित सम्बन्ध होता है।

4. संक्रमक सम्बन्ध (Transitive relation)

किसी अरिक्त समुच्चय A में सम्बन्ध R इस प्रकार परिभाषित हो कि किन्ही x , y , z ∈ A के लिए

xRy , yRz  → xRz

अर्थात (x,y) ∈ R,(y,z) ∈ R → (x,z) ∈ R

तो R संक्रमक सम्बन्ध कहलाता है।

उदाहरण :

(1) xRy यदि x= y तो R संक्रमक सम्बन्ध है।

(2) xRy यदि x > y तो R संक्रमक सम्बन्ध है।

(3) ARB यदि A ⊆ B तो R संक्रमक सम्बन्ध है।

(4) xRy यदि x ⊥ y तो R संक्रमक नहीं है।

(5) A = {1 , 2 , 3} और R = {(1,2) , (1,3) , (2,3)} तो R संक्रमक है क्योंकि (1,2) ∈ R , (2,3) ∈ R → (1,3) ∈ R

(6) किसी समतल में सरल रेखाओं के बीच सम्बन्ध समान्तर है , संक्रमक सम्बन्ध है क्योंकि किन्ही तीन रेखाओ x , y , z के लिए ,

xRy , yRz → xRz

अर्थात x||y , y || z → x||z

(7) समतल में स्थित त्रिभुजों के मध्य सम्बन्ध सर्वांगसम सम्बन्ध , संक्रमक सम्बन्ध है।

प्रमेय : यदि किसी समुच्चय A में R एक सम्बन्ध है तो सिद्ध कीजिये कि –

(i) R स्वतुल्य → R-1 स्वतुल्य

(ii) R सममित → R-1 सममित

(iii) R संक्रमक → R-1 संक्रमक

उत्पत्ति :

(i) ∀ a ∈ A , (a,a) ∈ R,R स्वतुल्य है।

अब (a,a) ∈ R → (a,a) ∈ R-1

अत: ∀ a ∈ A , (a,a) ∈ R-1

अत: R-1  स्वतुल्य है।

(ii) (a,b) ∈ R-1 →  (b,a) ∈ R

परन्तु R सममित है।

अत: (b,a) ∈ R → (a,b) ∈ R

(b,a) ∈  R-1

 अत: (a,b) ∈  R-1 → (b,a) ∈  R-1

अत:  R-1 सममित है।

(iii) माना (a,b) तथा (b,c) ∈  R-1 तब (b,a) ∈  R और (c,b) ∈ R , परन्तु R संक्रमक है अत:

(c,b) ∈ R , (b,a) ∈ R → (c,a) ∈ R → (a,c) ∈  R-1

इस R संक्रमक है।

5. तुल्यता सम्बन्ध (Equivalence relation)

किसी अरिक्त समुच्चय A में कोई सम्बन्ध R तुल्यता सम्बन्ध कहलाता है , यदि सम्बन्ध R स्वतुल्य , सममित और संक्रमक हो अर्थात

(i) सभी x ∈ A के लिए xRx (स्वतुल्य)

(ii) x,y ∈ A के लिए xRy → yRx (सममित)

(iii) x,y,z  ∈ A के लिए xRy , yRz → xRz (संक्रमक)

तुल्यता सम्बन्ध का प्राय: ” ~ “से निरुपित किया जाता है।

अत: समुच्चय A में “~” तुल्यता सम्बन्ध होगा यदि –

(i) x ~ x , ∀ x  ∈ A

(ii) x  ~ y  → y ~ x ; x , y ∈ A

(iii) x ~ y एवं y ~ z → x ~ z ; x , y , z  ∈ A

Remark:

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