RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 3 पृथ्वी का स्वरूप, गतियाँ, स्थिति एवं समय की गणना

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RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 3 पृथ्वी का स्वरूप, गतियाँ, स्थिति एवं समय की गणना

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा जिस देशान्तर रेखा के पास से गुजरती है-
(अ) 0° देशान्तर
(ब) 150° देशान्तर
(स) 180° देशान्तर
(द) 821/2°देशान्तर
उत्तर:
(स) 180° देशान्तर

प्रश्न 2.
सारे देश की घड़ियाँ जिस मान्य समय के अनुसार चलती हैं उस समय को कहते हैं
(अ) स्थानीय समय
(ब) मध्य-मान समय
(स) दृष्ट समय
(द) प्रामाणिक समय
उत्तर:
(द) प्रामाणिक समय

प्रश्न 3.
सबसे अधिक समय कटिबन्ध किस देश में है?
(अ) रूस
(ब) कनाडा
(स) चीन
(द) यू.एस.ए.
उत्तर:
(अ) रूस

प्रश्न 4.
विषुव से तात्पर्य है
(अ) सूर्य का कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकना
(ब) सूर्य का मकर रेखा पर लम्बवत् चमकना
(स) सूर्य का भूमध्य रेखा पर लम्बवतु चमकना
(द) सूर्य का कर्क एवं मकर रेखाओं पर लम्बवत् चमकना
उत्तर:
(स) सूर्य का भूमध्य रेखा पर लम्बवतु चमकना

प्रश्न 5.
समस्त समय कटिबन्धों पर समय गणना होती है
(अ) 180° देशान्तर से
(ब) 0° मध्याह्न रेखा से
(स) 90° पूर्वी देशान्तर से
(द) ग्रीनविच स्थान से
उत्तर:
(ब) 0° मध्याह्न रेखा से

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कितने डिग्री पर है?
उत्तर:
पृथ्वी के अक्ष पर झुकाव 231/2° पर है।

प्रश्न 7.
पृथ्वी पर घूर्णन की गति सर्वाधिक कहाँ रहती है?
उत्तर:
पृथ्वी पर घूर्णन की सर्वाधिक गति भूमध्य रेखा पर 1600 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।

प्रश्न 8.
सूर्य एवं पृथ्वी की सर्वाधिक दूरी क्या कहलाती है?
उत्तर:
जब पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर होती है तो इसे अपसौर कहा जाता है।

प्रश्न 9.
परिक्रमण की गति क्या होती है?
उत्तर:
पृथ्वी के द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने की प्रक्रिया को परिक्रमण कहते हैं। परिक्रमण की यह गति 29.6 किलोमीटर प्रति सैकण्ड होती है।

प्रश्न 10.
कुल देशान्तरों की संख्या क्या है?
उत्तर:
ग्लोब पर मिलने वाले कुल देशान्तरों की संख्या 360 है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कौन-सी देशान्तर रेखा के सहारे खींची गयी है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा 180° देशान्तर रेखा के सहारे खींची गयी है। किन्तु यह रेखा 180° देशान्तर के एक छोर से दूसरे छोर तक ठीक उसके ऊपर से नहीं निकलती है। बहुत से स्थानों पर उससे हटकर टेढ़ी-मेढ़ी इधर-उधर हो जाती है क्योंकि 180° देशान्तर तो प्रशान्त महासागर के बहुत-से ऐसे द्वीपों के बीच से होकर जाती है जो एक ही राज्य के अधीन हैं अतः उनमें तिथि की भिन्नता न हो इसलिये इस रेखा को आवश्यकतानुसार टेढ़ा-मेढ़ा किया गया है।

प्रश्न 12.
प्रधान मध्याह्न रेखा किस स्थान पर निर्धारित की गयी है?
उत्तर:
प्रधान मध्याह्न रेखा लंदन के पास स्थित ‘ग्रीनविच’ नामक स्थान से उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची गई है। इसे 0° देशान्तर रेखा के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। यह रेखा फ्रांस, स्पेन, अल्जीरिया, माली, टोगो, घाना, बुरकिना व फांसों आदि क्षेत्रों से होकर गुजरती है। इस रेखा के समय को ही विश्व का अन्तर्राष्ट्रीय समय माना जाता है। सम्पूर्ण विश्व के प्रामाणिक देशान्तर रेखाओं का समय इसी रेखा के संदर्भ में धनात्मक या ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 13.
कनाडा को कितने समय क्षेत्रों में बाँटा गया है और क्यों?
उत्तर:
कनाडा राष्ट्र को पाँच समय कटिबन्धों में बाँटा गया है। कनाडा के पाँच क्षेत्रों में 60°, 75°, 90°, 105° और 120° पश्चिमी देशान्तर रेखाओं के स्थानीय समय कनाडा के क्रमशः पाँचों कटिबन्धों के प्रामाणिक समय माने गये हैं। कनाडा एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र वाला राष्ट्र है। यह पूर्व से पश्चिम में एक अधिक विस्तार वाला राष्ट्र है। पूर्व से पश्चिम अधिक देशान्तरीय विस्तार के कारण इसे पाँच समय-क्षेत्रों में बांटा गया है।

प्रश्न 14.
स्थानीय समय जानने के लिए किस उपकरण का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
प्रत्येक स्थान पर अपने देशान्तर के अनुसार जो समय होता है वह वहाँ का स्थानीय समय कहलाता है। इस समय को धूप-घड़ी से ठीक-ठीक पता किया जा सकता है। स्थानीय समय का सम्बन्ध मध्याह्न-कालीन सूर्य की ऊँचाई से है। इससे एक ही देशान्तर रेखा पर उत्तर-दक्षिण स्थित समस्त नगरों में एक ही समय मध्याह्न होता है। अत: उनके स्थानीय समय में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। स्थानीय समय सदा धूप घड़ी के मध्याह्न के अनुसार ही होता है।

प्रश्न 15.
उस रेखा के नाम का उल्लेख कीजिए जिसके पश्चिम में नये दिन का प्रादुर्भाव होता है और जिसके पूर्व में पहले वाला दिन (Old day) अभी तक बना रहता है।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा एक ऐसी देशान्तर रेखा है जिससे विश्व की तिथियों का निर्धारण होता है। यह 180° देशान्तर रेखा होती है। इस रेखा से ही दिन का निर्धारण किया जाता है। इसी रेखा से ही दिन का निकलना माना जाता है। जो स्थान इस रेखा के पश्चिम में अर्थात् एशिया की ओर हो तो वहाँ नये दिन का प्रादुर्भाव होता है। जबकि पूर्व की ओर अर्थात् अमेरिका की ओर के स्थानों के लिए पहले वाला दिन ही बना रहता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
स्थानीय तथा प्रामाणिक समय का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्थानीय समय व प्रामाणिक समय किसी क्षेत्र के संदर्भ में निर्धारित समय होते हैं। इन दोनों समयों को निम्नानुसार वर्णित किया गया हैस्थानीय समय (Local Time) – प्रत्येक स्थान पर अपने देशान्तर के अनुसार जो समय होता है वह वहाँ का स्थानीय समय कहलाता है। इस समय को धूप-घड़ी ठीक-ठीक बता सकती है। स्थानीय समय का सम्बन्ध मध्याह्न-कालीन सूर्य की ऊँचाई से है। इसमें एक ही देशान्तर रेखा पर उत्तर-दक्षिण स्थित समस्त नगरों में एक ही समय मध्याह्न होता है। अत: उनके स्थानीय समय में कोई अन्तर नहीं पड़ता। पूर्व-पश्चिम स्थित नगर विभिन्न देशान्तर रेखाओं पर होंगे। इस कारण उनमें स्थित नगरों के स्थानीय समयों में अन्तर होना स्वाभाविक है। स्थानीय समय सदा धूप घड़ी के मध्याह्न के अनुसार ही होता है।

प्रामाणिक समय (Standard Time) – स्थानीय समय अपने नगर के लिए ठीक हो सकता है। परन्तु यात्रा करके जब हम दूसरे स्थान पर पहुँचते हैं तो समय में अन्तर पेड़ जाता है ऐसी अवस्था में समय को ठीक रखने के लिए पूर्व या पश्चिम की ओर यात्रा करने पर अपनी घड़ी प्रत्येक देशान्तर को पार करने पर 4 मिनट आगे या पीछे करनी पड़ती है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए प्रत्येक राष्ट्र में वहाँ का प्रामाणिक समय माना जाता है। प्रामाणिक समय के लिए प्रत्येक देश में किसी एक देशान्तर रेखा को ‘प्रामाणिक देशान्तर रेखा’ मान लिया जाता है। इंग्लैण्ड की प्रामाणिक रेखा 0° देशान्तर की है, जो ग्रीनविच से होकर निकलती है। प्राय: राष्ट्र अपने उपयुक्त देशान्तर पर स्थित स्थान से स्थानीय समय को प्रामाणिक समय मान लेते हैं। उस नगर की देशान्तर रेखा, उस देश के लिए बड़े महत्त्व की होती है। देश के सभी नगरों की घड़ियाँ प्रामाणिक रेखा पर स्थित नगर के समय के अनुसार मिला ली जाती हैं। इस प्रकार जो किसी विशेष स्थान पर समय सारे देश में माना जाये वह उस देश का प्रामाणिक समय कहलाता है।

प्रश्न 17.
किसी देश अथवा प्रदेश का प्रामाणिक समय वास्तव में किसी विशिष्ट मध्याह्न रेखा का स्थानीय समय होता है। भारत के उदाहरण से इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक राष्ट्र में वहाँ की प्रामाणिक समय होता है। यह समय उस देश के विभिन्न भागों में मान्य होता है। यह प्रामाणिक समय किसी देशान्तर रेखा से निर्धारित होता है। समय का यह निर्धारण सदैव ग्रीनविच रेखा के द्वारा धनात्मक या ऋणात्मक होता है। इंग्लैण्ड की प्रामाणिक रेखा 0° देशान्तर है जो ग्रीनविच से होकर निकलती है। प्राय: राष्ट्र अपने उपयुक्त देशान्तर पर स्थित स्थान के स्थानीय समय को प्रामाणिक समय मान लेते हैं। उसे नगर की देशान्तर रेखा, उस देश के लिए बड़े महत्त्व की होती है। देश के सभी नगरों की घड़ियाँ प्रामाणिक रेखा पर स्थित नगर के समय के अनुसार मिला ली जाती हैं। इस प्रकार जो किसी विशेष स्थान को समय सारे देश में माना जाये वह उस देश का प्रामाणिक समय कहलाता है।

भारत के संदर्भ में स्थिति-भारत में प्रामाणिक समय का निर्धारण करने के लिए 82(frac { 1 }{ 2 })° पूर्वी देशान्तर रेखा को आधार माना गया है। यदि हमारा निश्चित स्थान 82(frac { 1 }{ 2 })° रेखा पर ही होता है तो हमारे स्थानीय मध्याह्न के अनुसार 12 बजे ही हमारी घड़ी 12 का समय दर्शायेगी। परन्तु यदि हमारा स्थान इस रेखा के पूर्व स्थित होगा तो हमारी घड़ी में 12 स्थानीय मध्याह्न के बाद बजेंगे और यदि स्थान पश्चिम में स्थित हैं तो घड़ी में मध्याह्न से पहले बजेंगे। यदि प्रामाणिक समय नहीं माना जाये और प्रत्येक स्थान अपने-अपने स्थानीय समय को ही सदा मानने लगे तो सभी सार्वजनिक कार्यों में असुविधा उत्पन्न हो जायेगी। प्रत्येक देश के प्रामाणिक समय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समय में अन्तर पूरे या डेढ़ घंटों में रखा जाता है। भारत का प्रामाणिक समय 82(frac { 1 }{ 2 })° विशिष्ट मध्याह्न रेखा का स्थानीय समय है। इसी रेखा के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में व गुजरात के द्वारका में एक साथ घड़ी में 12 बजते हैं। अन्यथा दोनों के स्थानीय समय में तो लगभग 2 घण्टे का अन्तर मिलता है। 82(frac { 1 }{ 2 })° प्रामाणिक समय रेखा के कारण ही सम्पूर्ण भारत में एक समान समय मिलता है।

प्रश्न 18.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा क्या है? इसका महत्व बतलाइये।
उत्तर:
प्रधान देशान्तर रेखा (0° देशान्तर) के विपरीत दिशा में स्थित 180° देशान्तर रेखा को ही अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं। हम यदि सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करें तो हमारी घड़ी में 24 घण्टे का अंतर आ जाता है (180° पूर्व- 180° पश्चिम तक) इस प्रकार दोनों स्थानों में 1 दिन का अन्तर आ जाता है। पूर्व से पश्चिम की यात्रा में एक दिन घट जायेगा और पश्चिम से पूर्व की यात्रा में एक दिन बढ़ जायेगा। इसी कठिनाई को दूर करने के लिए विभिन्न राष्ट्रों ने एकमत होकर 180° देशान्तर रेखा के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निर्धारित कर ली है। अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का महत्त्व-अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के द्वारा सम्पूर्ण विश्व में तिथि का निर्धारण होता है। इसके महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के रूप में समझा जा सकता है–

  1. यह रेखा विश्व की परिक्रमा करने पर-जो एक दिन का अन्तर होता है उसको दूर कर देती है।
  2. इस रेखा से ही दिन निकलने की कल्पना के कारण विश्व में दिन का निर्धारण सरल हो जाता है।
  3. अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पूर्व से पश्चिम की यात्रा करने पर 1 दिन घट जाता है। जबकि पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा करने पर एक दिन बढ़ जाता है।
  4. यदि अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण नहीं किया जाता तो विश्व में समान तिथि निर्धारण सम्भव नहीं हो पाता। अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को निम्न चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है।
Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 पृथ्वी का स्वरूप, गतियाँ, स्थिति एवं समय की गणना 1

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास है-
(अ) 10256 किमी
(ब) 12756 किमी
(स) 14656 किमी
(द) 16556 किमी
उत्तर:
(ब) 12756 किमी

प्रश्न 2.
पृथ्वी की ध्रुवीय परिधि कितनी है?
(अ) 20000 किमी
(ब) 30000 किमी
(स) 40000 किमी
(द) 50000 किमी
उत्तर:
(स) 40000 किमी

प्रश्न 3.
पृथ्वी अपने अक्ष पर कितने डिग्री झुकी हुई है?
(अ) 13(frac { 1 }{ 2 })°
(ब) 23(frac { 1 }{ 2 })°
(स) 33(frac { 1 }{ 2 })°
(द) 44(frac { 1 }{ 2 })°
उत्तर:
(ब) 23(frac { 1 }{ 2 })°

प्रश्न 4.
मकर रेखा होती है
(अ) 23(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा
(ब) 66(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा
(स) 23(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा
(द) 66(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा
उत्तर:
(स) 23(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा

प्रश्न 5.
सभी अक्षांशों के मध्य दूरी कितनी होती है?
(अ) 90 किमी
(ब) 111 किमी
(स) 191 किमी
(द) 241 किमी
उत्तर:
(ब) 111 किमी

प्रश्न 6.
प्रधान मध्याह्न रेखा किसे कहा गया है?
(अ) भूमध्य रेखा को
(ब) कर्क रेखा को
(स) मकर रेखा को
(द) ग्रीनविच रेखा को
उत्तर:
(द) ग्रीनविच रेखा को

प्रश्न 7.
पृथ्वी को एक देशान्तर घूमने में कितना समय लगता है?
(अ) 2 मिनट
(ब) 3 मिनट
(स) 4 मिनट
(द) 6 मिनट
उत्तर:
(स) 4 मिनट

प्रश्न 8.
भारत की प्रामाणिक समय रेखा है
(अ) 66(frac { 1 }{ 2 })° रेखा
(ब) 72° प०देशान्तर रेखा
(स) 23(frac { 1 }{ 2 })° पूर्वी देशान्तर रेखा
(द) 82(frac { 1 }{ 2 })° पूर्वी देशान्तर रेखा
उत्तर:
(द) 82(frac { 1 }{ 2 })° पूर्वी देशान्तर रेखा

प्रश्न 9.
कनाडा में कितने समय कटिबंध हैं?
(अ) 5
(ब) 6
(स) 7
(द) 8
उत्तर:
(अ) 5

प्रश्न 10.
घड़ी का समय किसे कहा जाता है?
(अ) स्थानीय समय को
(ब) दृष्ट समय को
(स) मध्यमान समय को
(द) अन्तर्राष्ट्रीय समय को।
उत्तर:
(स) मध्यमान समय को

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-

(क)स्तम्भ अ (रेखाओं के नाम)स्तम्भ ब (रेखाओं का मान)
1.कर्क रेखा(अ)  66(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा
2.भूमध्य रेखा(ब) 0° देशान्तर रेखा
3.मकर रेखा(स) 66(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा
4.ग्रीनविच रेखा(द) 0° अक्षांश रेखा।
5.(v) अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा(य) 23(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा
6.आर्कटिक वृत्त(र) 23(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा
7.अन्टार्कटिक वृत्त(ल) 180° देशान्तर रेखा

उत्तर:
(1)(य), (2) (द), (3) (र), (4) (ब), (5) (ल), (6) (स), (7) (अ)

(ख)स्तम्भ अ (पृथ्वी की स्थितियाँ)स्तम्भ ब (समय)
1.शरद विषुव(अ) 21 जून
2.ग्रीष्म संक्रान्ति(ब) 21 मार्च
3.शीत संक्रान्ति(स) 23 सितम्बर
4.बसन्त विषुव:(द) 22 दिसम्बर

उत्तर:
(1) (स), (2) (अ), (3) (द), (4) (ब)

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सभ्यता के विकास के पश्चात मानव का ध्यान किस ओर गया?
उत्तर:
सभ्यता केन्द्र स्थापित करने के पश्चात् मानव का ध्यान अपने आस-पास के पर्यावरण, पृथ्वी और आकाश के बारे में अधिक जानने की ओर गया।

प्रश्न 2.
प्रारम्भ में पृथ्वी को कैसा माना गया था?
उत्तर:
प्रारम्भ में पृथ्वी को स्थिर, चपटा या तश्तरीनुमा माना गया था।

प्रश्न 3.
आर्यभट्ट ने पृथ्वी के बारे में क्या बताया था?
उत्तर:
आर्यभट्ट ने पृथ्वी को गेंद की तरह गोल तथा अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती हुई बताया था। जिससे दिन-रात का निर्माण होता है।

प्रश्न 4.
सूर्य की केन्द्रीय स्थिति के बारे में किसने बताया था?
उत्तर:
16वीं शताब्दी में कॉपरनिकस और गैलीलियो नामक खगोल वैज्ञानिकों ने सूर्य को सौर्य मण्डल के मध्य में बताया था।

प्रश्न 5.
पृथ्वी गोलाकार है। यह किन प्रमाणों से सिद्ध होता है?
उत्तर:
पृथ्वी का गोलाकार होना ग्रहण के समय हमेशा गोल छाया के उभरने, सभी आकाशीय पिण्डों का विभिन्न कोणों से गोल दिखने, सभी आकाशीय पिण्डों के क्षैतिज अवस्था में वक्र रेखा में आने, अपोलो एवं मानव निर्मित उपग्रहों के अध्ययन से प्रमाणित होता है।

प्रश्न 6.
पृथ्वी को लध्वक्ष गोलाभ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी गोलाकार है परन्तु दोनों ध्रुवों पर इसकी आकृति चपटी है। पृथ्वी के ध्रुवों पर चपटे होने के कारण ही इसे चपटा या लध्वक्ष गोलाभ कहा जाता है।

प्रश्न 7.
पृथ्वी की परिधि के बारे में सर्वप्रथम किसने बताया था?
उत्तर:
256 ई. पू. यूनानी विद्वान इरैटॉस्थनीज ने बड़ी आसान तकनीक अपनाते हुए पृथ्वी की परिधि के बारे में बताया था जो वर्तमान वैज्ञानिक गणना के लगभग बराबर थी।

प्रश्न 8.
पृथ्वी का भूमध्यरेखीय एवं ध्रुवीय व्यास कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास 12756 किलोमीटर जबकि ध्रुवीय व्यास 12713 किलोमीटर है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी के भूमध्यरेखीय व ध्रुवीय व्यास में कितना अन्तर है?
उत्तर:
पृथ्वी के भूमध्य रेखीय व ध्रुवीय व्यास में 43 किलोमीटर का अन्तर मिलता है।

प्रश्न 10.
पृथ्वी की भूमध्य रेखीय एवं ध्रुवीय परिधि कितनी है?
उत्तर:
पृथ्वी की भूमध्यरेखीय परिधि 40,077 किलोमीटर एवं ध्रुवीय परिधि 40000 किलोमीटर है।

प्रश्न 11.
पृथ्वी की भूमध्यरेखीय एवं ध्रुवीय परिधि में कितना अन्तर मिलता है?
उत्तर:
पृथ्वी की भूमध्यरेखीय एवं ध्रुवीय परिधि में 77 किलोमीटर का अन्तर पाया जाता है।

प्रश्न 12.
पृथ्वी का कुल क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी का कुल क्षेत्रफल 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 13.
पृथ्वी का स्थलीय एवं महासागरीय क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी का स्थलीय क्षेत्रफल 149 मिलियन वर्ग किलोमीटर जबकि महासागरीय क्षेत्रफल 361 मिलियन वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 14.
पृथ्वी का आयतन एवं घनत्व कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी का आयतन 416 मिलियन क्यूसिक किलोमीटर जबकि पृथ्वी का औसत घनत्व 5.517 ग्राम प्रति घन सेमी है।

प्रश्न 15.
पृथ्वी का द्रव्यमान, भार एवं धरातल की वक्रता कितनी है?
उत्तर:
पृथ्वी का द्रव्यमान 5.882 x 102 टन, पृथ्वी का भार 6600 खरब टन तथा धरातल पर वक्रता .7 प्रति मील मिलती है।

प्रशन 16.
पृथ्वी की गतियाँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की मुख्यत: दो गतियाँ हैं – दैनिक या परिभ्रमण गति एवं वार्षिक या परिक्रमण गति ।

प्रश्न 17.
दैनिक या परिभ्रमण गति से क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के द्वारा अपने अक्ष पर घूमने की प्रक्रिया को दैनिक या परिभ्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी 24 घंटे में अपने अक्ष पर घूमती है।

प्रश्न 18.
केन्द्रोपसारी बल के कारण पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
पृथ्वी की गति से उत्पन्न केन्द्रोपसारी बल के कारण पृथ्वी भूमध्य रेखीय क्षेत्र में अधिक उभार एवं ध्रुवों पर चपटापन लिये हुए है।

प्रश्न 19.
पृथ्वी की परिभ्रमण गति विभिन्न अक्षाशों पर कितनी है?
उत्तर:
पृथ्वी की दैनिक या परिभ्रमण गति भूमध्य रेखा पर सर्वाधिक 1600 किमी प्रतिघंटा, 45° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों पर 1120 किमी प्रति घंटा तथा ध्रुवों पर जाकर लगभग शून्य हो जाती है।

प्रशन 20.
पृथ्वी का अक्षीय झुकाव नहीं होता तो क्या होता?
उत्तर:
यदि पृथ्वी का अक्षीय झुकाव नहीं होता तो पृथ्वी पर रात-दिन बराबर होते तथा विभिन्न ऋतुओं का होना भी असम्भव होता।

प्रश्न 21.
पृथ्वी की परिक्रमण गति क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने की प्रक्रिया परिक्रमण कहलाती है। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा में अपनी कक्षा में वार्षिक यात्रा करती है। पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर लगाने में 3651/4 दिन का समय लेती है।

प्रश्न 22.
सूर्य से पृथ्वी की दूरी में अन्तर क्यों आता है?
उत्तर:
पृथ्वी की कक्षा वृत्ताकार न होकर अण्डाकार है जिसके कारण सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी में अन्तर आता रहता है।

प्रश्न 23.
उपसौर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच सबसे कम दूरी (147 मिलियन किमी) होती है तो ऐसी स्थिति को उपसौर कहा जाता है।

प्रश्न 24.
सूर्य व पृथ्वी के बीच औसत दूरी कितनी है?
उत्तर:
सूर्य व पृथ्वी के बीच औसत दूरी 150 मिलियन किलोमीटर है।

प्रश्न 25.
सूर्य व पृथ्वी के बीच अधिकतम व निकटतम दूरी कितनी है?
उत्तर:
सूर्य एवं पृथ्वी के बीच अधिकतम दूरी 152 मिलियन किलोमीटर जबकि निकटतम दूरी 147 मिलियन किलोमीटर है।

प्रश्न 26.
प्रकाश वृत्त किसे कहते हैं?
अथवा
प्रदीपन वृत्त से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी के एक भाग पर हमेशा उजाला तथा दूसरे भाग पर अंधेरा रहता है। उजाले एवं अंधेरे भाग को अलग करने वाली रेखा को प्रदीपन या प्रकाश वृत्त कहते हैं।

प्रश्न 27.
पृथ्वी पर संक्रान्ति की स्थिति कब होती है?
उत्तर:
पृथ्वी पर 21 जून व 22 दिसम्बर को क्रमशः ग्रीष्म एवं शीत संक्रान्ति होती है।

प्रश्न 28.
संक्रान्तियों का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
संक्रान्तियों से पृथ्वी को गतिशीलता प्राप्त होती है। इनके माध्यम से सूर्य, तारों और नक्षत्रों की स्थिति में बदलाव भी होता है। यह बदलाव-पृथ्वी पर जीवन, मंगल और नयेपन का द्योतक होता है।

प्रश्न 29.
बसन्त विषुव से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
21 मार्च को सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा पर होती है। इस स्थिति में पृथ्वी पर दिन एवं रात की लम्बाई लगभग बराबर होती है। उत्तरी गोलार्द्ध में 21 मार्च से बसन्त ऋतु का प्रारम्भ होती है। इसलिए इसे बसन्त विषुव कहते हैं।

प्रश्न 30.
शरद विषुव से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
23 सितम्बर को सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा पर लम्बाकार होती है। 23 सितम्बर से सूर्य भूमध्य रेखा से दक्षिण की ओर जाना प्रारम्भ कर देता है। जिसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु का आगमन होता है। इसी कारण इसे शरद विषुव कहते हैं।

प्रश्न 31.
अक्षांश किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण भूतल पर स्थित किसी बिन्दु की पृथ्वी के केन्द्र से मापी गयी कोणिक दूरी को अक्षांश कहते हैं।

प्रश्न 32.
देशान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूतल के किसी बिन्दु से गुजरने वाली मध्याह्न रेखा तथा प्रधान मध्याह्न रेखा के मध्य की कोणिक दूरी उक्त बिन्दु की देशान्तर होती है। अथवा उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखाएं देशान्तर कहलाती हैं।

प्रश्न 33.
भूजाल किसे कहा जाता है?
उत्तर:
ग्लोब पर अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं का एक काल्पनिक जाल पाया जाता है। ये रेखाएँ पूर्व से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण दिशाओं में बनायी गई हैं। इनमें बने ग्रिड या जाल का पृथ्वी पर स्थिति निर्धारण में बहुत महत्त्व है। इसे भूजाल कहा जाता है।

प्रश्न 34.
कर्क रेखा क्या होती है?
उत्तर:
उत्तरी गोलार्द्ध में मिलने वाली 23(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा को कर्क रेखा कहते हैं।

प्रश्न 35.
मकर रेखा क्या होती है?
उत्तर:
दक्षिणी गोलार्द्ध में मिलने वाली 23(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा को मकर रेखा कहते हैं।

प्रश्न 36.
आर्कटिक एवं अण्टार्कटिक वृत्त क्या होते हैं?
उत्तर:
उत्तरी गोलार्द्ध में मिलने वाली 66(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश रेखा को आर्कटिक वृत्त एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में मिलने वाली 66(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांश रेखा को अण्टार्कटिक वृत्त कहा जाता है।

प्रश्न 37.
निम्न अक्षांश क्या होते हैं?
उत्तर:
भूमध्य रेखा के दोनों ओर 23(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी अक्षांश एवं 23(frac { 1 }{ 2 })° दक्षिणी अक्षांशों के मध्य का भाग निम्न अक्षांश कहा जाता है।

प्रश्न 38.
कटिबंध से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लगभग समान विशेषताओं वाले प्रदेश या पेटी जिसकी चौड़ाई की अपेक्षा लम्बाई काफी अधिक होती है, भूतल पर दो अक्षांशों के मध्य स्थित क्षेत्र को कटिबंध कहते हैं।

प्रश्न 39.
ग्रीनविच रेखा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लंदन के पास स्थित ग्रीनविच नामक स्थान से उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची गई रेखा को प्रधान मध्याह्न रेखा या ग्रीनविच रेखा कहा जाता है।

प्रश्न 40.
वृहत वृत्त क्या होते हैं?
उत्तर:
वृहत वृत्त वे वृत्त होते हैं जो पृथ्वी या ग्लोब को समान मण्डलों से विभाजित करते हैं। इनकी संख्या 181 है।

प्रश्न 41.
स्थानीय समय किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक स्थान पर अपने देशान्तर के अनुसार जो समय होता है, वह वहाँ का स्थानीय समय कहलाता है।

प्रश्न 42.
प्रामाणिक समय क्या होता है?
उत्तर:
जब किसी विशेष स्थान का समय सारे देश में माना जाये तो वह उस देश का प्रामाणिक समय कहलाता है।

प्रश्न 43.
समय कटिबंध क्या होता है?
उत्तर:
स्थानीय समय में जो अन्तर मिलता है, उस अन्तर को दूर करने के लिये विश्व को 24 भागों में बाँट दिया गया है। ऐसे प्रत्येक भाग को समय कटिबंध कहते हैं।

प्रश्न 44.
संयुक्त राज्य अमेरिका को किन कटिबंधों में बांटा गया है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका को चार कटिबंधों 75°, 90°, 105° और 120° देशान्तरों के रूप में बांटा गया है।

प्रश्न 45.
अन्तर्राष्ट्रीय समय किसे कहते हैं?
उत्तर:
समस्त समय कटिबंधों के समय की गणना मध्याह्न रेखा के अनुसार ही होती है। सारे विश्व में समय की समानता बताने के लिए ग्रीनविच के समय की सहायता ली जाती है। इसलिए वहाँ का समय अन्तर्राष्ट्रीय समय कहलाता है।

प्रश्न 46.
सूर्य दिवस किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस समय के भीतर एक स्थान धुरी पर चक्कर लगाकर फिर उसी दशा में आ जाता है कि सूर्य ऊपर चमकने लगे उसे सूर्य दिवस कहते हैं।

प्रश्न 47.
दक्षिणायन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब उत्तरी गोलार्द्ध में जाड़े की ऋतु होती है तो पृथ्वी सूर्य के अपेक्षाकृत समीप होती है। ऐसी स्थिति को दक्षिणायन कहते हैं।

प्रश्न 48.
उत्तरायण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी होती है तो पृथ्वी सूर्य से अपेक्षाकृत दूर होती है। उसे उत्तरायण कहा जाता है।

प्रश्न 49.
समय समीकरण क्या होता है?
उत्तर:
मध्यमान सूर्य दिवस की अपेक्षा साधारण सूर्य दिवस कभी लम्बे तथा कभी छोटे होते हैं। उनके समय में जो अन्तर आता है वही समय समीकरण कहा जाता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की जानकारी के संदर्भ में प्राचीन कालीन भारतीय विद्वानों के योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में भारतीय ग्रंथों में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। आर्यभट्ट द्वारा लिखित आर्यभटीय नामक ग्रंथ में पृथ्वी को गोलाकार बताया गया है। महान भारतीय खगोल वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने पृथ्वी को गेंद की तरह गोल तथा अपने अक्ष पर पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा में भ्रमण करता बताया है, जिससे दिन-रात का निर्माण होता है। आर्यभट्ट एवं भास्कराचार्य (द्वितीय) ने सूर्य एवं चंद्र ग्रहणों तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत किये थे जिनका ज्ञान यूरोपियन लोगों को 15-16 वीं शताब्दी में जाकर हुआ था।

प्रश्न 2.
पृथ्वी के अक्षीय झुकाव का क्या महत्त्व है?
अथवा
पृथ्वी का अक्षीय झुकाव कैसे लाभप्रद है?
उत्तर:
पृथ्वी अपने अक्ष पर समकोण की स्थिति में न होकर 23(frac { 1 }{ 2 })° का झुकाव लिये हुए है। यह 23(frac { 1 }{ 2 })° का झुकाव सूर्य की परिक्रमा के समय एक ही दिशा में बना रहता है। पृथ्वी के इस झुकाव के फलस्वरूप उत्तर एवं दक्षिण ध्रुवं बारी-बारी से सूर्य के सामने आते हैं, जिससे दोनों गोलार्थों में अलग-अलग ऋतुओं का आनन्द प्राप्त होता है। अगर यह अक्षीय झुकाव नहीं होता तो पृथ्वी पर रात-दिन बराबर होते तथा विभिन्न ऋतुओं का बनना असम्भव होता ।

प्रश्न 3.
ग्लोब पर मिलने वाले अक्षांशों को किन-किन मुख्य भागों में बांटा गया है?
उत्तर:
ग्लोब पर भूमध्य रेखा से उत्तर एवं दक्षिण की ओर 90-90 अक्षांश पाये जाते हैं। इन अक्षांशों को मुख्य रूप से निम्न भागों में बांटा गया है

  1. निम्न अक्षांश
  2. मध्यवर्ती अक्षांश एवं
  3. उच्च अक्षांश।

1.  निम्न अक्षांश – भूमध्य रेखा (0° अक्षांश रेखा) से दोनों ओर 30° उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्थों के बीच के भाग को निम्न .. अक्षांश कहते हैं।
2. मध्यवर्ती अक्षांश – ग्लोब पर 30°- 60° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के बीच के भाग को मध्यवर्ती अक्षांश कहा जाता है।
3. उच्च अक्षांश – ग्लोब पर 60° – 90° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच के भाग को उच्च अक्षांश कहते हैं।

प्रश्न 4.
पृथ्वी को अक्षांशीय आधार पर किन जलवायु कटिबंधों में बांटा गया है?
अथवा
जलवायु कटिबंध कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर मिलने वाले अक्षांशों के मध्य मिलने वाली जलवायु दशाओं के आधार पर इन्हें निम्न कटिबंधों में बांटा गया है–

  1. उष्ण कटिबंध,
  2. शीतोष्ण कटिबंध,
  3. शीत कटिबंध।

1.  उष्ण कटिबंध – ग्लोब पर 0° अक्षांश से 23(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य के भाग को उष्ण कटिबंध कहते हैं। इसमें अधिक ताप की स्थिति मिलती है।
2. शीतोष्ण कटिबंध – ग्लोब पर 23(frac { 1 }{ 2 })° – 66(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्यवर्ती भाग को शीतोष्ण कटिबंध कहा जाता है।
3. शीत कटिबंध – ग्लोब पर 66(frac { 1 }{ 2 })° – 90° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्यवर्ती भाग को शीत कटिबंध कहा जाता है। इसमें सूर्य की किरणें सबसे अधिक तिरछी पड़ती हैं।

प्रश्न 5.
स्थानीय समय से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक स्थान पर अपने देशान्तर के अनुसार जो समय होता है, वह वहाँ का स्थानीय समय कहलाता है। इस समय को धूप-घड़ी ठीक-ठीक बता सकती है। स्थानीय समय का सम्बन्ध मध्याह्न-कालीन सूर्य की ऊँचाई से है। इससे एक ही देशान्तर रेखा पर उत्तर-दक्षिण स्थित समस्त नगरों में एक ही समय मध्याह्न होता है। अत: उनके स्थानीय समय में कोई अन्तर नहीं पड़ता। पूर्व-पश्चिम स्थित नगर विभिन्न मध्याह्न रेखाओं पर होंगे। इस कारण उनमें भिन्न समय पर मध्याह्न होगा। यही कारण है कि पूर्व पश्चिम स्थित नगरों के स्थानीय समयों में अन्तर होना स्वाभाविक है। स्थानीय समय सदा धूप घड़ी के मध्याह्न के अनुसार ही होता है।

प्रश्न 6.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा क्यों निर्धारित की गई है?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निर्धारण के क्या कारण रहे?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निर्धारण के निम्न कारण हैं-

  1. जब हम केन्द्रीय या प्रधान मध्याह्न रेखा से पश्चिम को या पूर्व को यात्रा करते हैं तो प्रति देशान्तर की दूरी पार करने पर हमें अपनी घड़ी में 4 मिनट घटाना व बढ़ाना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए इसका निर्धारण किया गया।
  2. 360° देशान्तर घूमने के बाद 1 दिन का अन्तर उत्पन्न हो जाता था। उस 1 दिन के अन्तर को कम करने के लिए इसका निर्धारण किया गया।
  3. इस तिथि रेखा से दिन का निकलना माना गया ताकि दिन सम्बन्धी भिन्नता दूर हो सके।
  4. पूर्व से पश्चिम की यात्रा में 1 दिन घट जाता है तथा पश्चिम से पूर्व की यात्रा करने पर एक दिन बढ़ जाता है। इस अन्तर कोसमान करने के लिए इस रेखा का निर्धारण किया गया।

प्रश्न 7.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पार करने पर क्या परिवर्तन होता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा से पूर्व व पश्चिम की ओर जाने पर तिथि कैसे निर्धारित होती है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
जो, स्थान इस रेखा के पश्चिम में हैं अर्थात् एशिया की ओर उसके लिए यदि सोमवार आरम्भ होता है तो पूर्व अर्थात् अमेरिका की ओर के स्थानों के लिए रविवार को आरम्भ होता है। जब कोई जहाज इस रेखा को पार कर अमेरिका की ओर जाता है। तो जहाज वाले उसी दिन को, जिस दिन यह रेखा पार की जाती है, दुबारा गिनते हैं अर्थात् यदि इस रेखा को उन्होंने रविवार के दिन पार किया है तो अगले दिन को वे सोमवार न मानकर रविवार मानेंगे और यदि वे इस रेखा को पार कर एशिया की ओर जाते हैं तो अपने कैलेण्डर में से एक दिन निकाल लेते हैं। यदि रविवार को रेखा पार करते हैं तो उनके लिए अगला दिन मंगल होगा, न कि सोमवार माना जायेगा।

प्रश्न 8.
मध्य-मान समय को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
घड़ी का समय क्या होता है? इसका निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मध्य-मान समय-दैनिक व्यवहार में प्रायः घड़ियों को समय की दृष्टि से प्रतिदिन आगे-पीछे नहीं किया जाता। इसका आशय यह है कि घड़ियाँ सूर्य के अनुरूप दृष्ट समय नहीं स्पष्ट करतीं वरन् मध्य-मान समये बतलाती हैं। इस प्रकार ज्ञात समय को वास्तविक समय नहीं मानते और इससे निर्धारित दिन की अवधि भी भिन्न होती है। हाँ, यदि वर्ष के सभी ऐसे दिनों की अवधि को जोड़ लिया जाये तथा उनका औसत निकाला जाये तो वास्तविक दिन की अवधि का पता लग जायेगा। यही प्राप्त दिवस मध्य-मान सूर्य-दिवस होता है तथा जिस समय को हम प्रयोग करते हैं, वह इस पर आधारित होता है। हमारी घड़ियाँ इसी मध्ये-मान समय के अनुसार चलती हैं। इसी समय को घड़ी का समय (Clock Time) भी कहा जाता है।

प्रश्न 9.
समय समीकरण धनात्मक व ऋणात्मक कैसे होता है?
उत्तर:
सूर्य की गति सदैव समान नहीं होती है। कभी यह दृष्ट समय से पीछे और कभी पहले प्रभावित होता है। यदि घड़ी में 12 बजे के कुछ समय पश्चात् सूर्य ठीक सिर पर लम्बवत् होता है तो समय समीकरण धनात्मक (+) होगा तथा यदि 12 बजने से पूर्व ही सूर्य सिर पर लम्बवत् चमक रहा है तो समय ऋणात्मक (-) होता है। वर्ष के केवल चार तिथियाँ ही ऐसी होती है। जब दृष्ट समय व मध्यमान समय समान होते हैं। ये चार तिथियाँ 16 अप्रैल, 15 जून, 1 सितम्बर व 25 दिसम्बर हैं। इन तिथियों के समय, समय समीकरण शून्य (0) होता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
पृथ्वी की दैनिक या परिभ्रमण गति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
परिभ्रमण गति क्या है? इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना दैनिक या परिभ्रमण गति कहलाता है। पृथ्वी 24 घंटे में अपने अक्ष पर घूमकर एक चक्कर, पूरा करती है। पृथ्वी के इस प्रकार घूमने से ही दिन-रात बनने जैसी प्रक्रिया सम्पन्न होती है। पृथ्वी की यह गति पश्चिम से पूर्व दिशा में होती है। पृथ्वी के सूर्य के सम्मुख वाले भाग पर दिन तथा पिछले भाग पर रात होती है। पृथ्वी की पश्चिम से पूर्व की ओर गति के कारण सूर्य पूर्व में उदय एवं पश्चिम में अस्त होता है। पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व दिशा में भ्रमण के कारण ही सभी नक्षत्रों एवं तारों की भ्रमण दिशा पूर्व से पश्चिम दिशा में रहती है। पृथ्वी की इस गति के कारण भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में अधिक उभार एवं ध्रुवों पर चपटापन पैदा हुआ है। इसके अतिरिक्त इस गति के कारण हवाओं और धाराओं की दिशा में बदलाव भी आता है। पृथ्वी की यह परिभ्रमण गति भूमध्य रेखा पर 1600 किमी प्रति घंटा, 45° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश पर 1120 किमी प्रति घंटा व ध्रुवों पर जाकर लगभग शून्य हो जाती है।

प्रश्न 2.
अक्षांश को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अक्षांश क्या होते हैं? इनकी स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो समान गोलार्थों में बांटती है। उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध। अक्षांशों का निर्धारण भूमध्य रेखा से उत्तर व दक्षिणी दिशाओं में समानान्तर होता है। इनके कोणों का निर्धारण पृथ्वी के केन्द्र से होता है। भूमध्य रेखा के उत्तर व दक्षिण दिशाओं में जाने पर इन अक्षांश वृत्तों का आकार छोटा होता जाता है। भूमध्य रेखा को 0° एवं दक्षिणी ध्रुवों को 90° से अंकित किया जाता है। इस प्रकार 90° अक्षांश उत्तरी गोलार्द्ध एवं 90° अक्षांश दक्षिणी गोलार्द्ध में पाये जाते हैं। सभी अक्षांशों के मध्य की दूरी 111 किमी होती है जो ध्रुवों पर उनके चपटा होने के कारण थोड़ा सा अधिक होती है। किसी स्थान की बिल्कुल सही स्थिति प्राप्त करने के लिए डिग्री को मिनट में मिनट को सैकण्ड में बांटा जाता है। किसी स्थान की अवस्थिति के अनुसार ही उसकी उत्तरी अक्षांशीय व दक्षिणी अक्षांशीय स्थिति निर्धारित होती है।

प्रश्न 3.
देशान्तरों की विशेषताएँ बताइए।
अथवा
ग्ल्लोब पर मिलने वाले देशान्तरों की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देशान्तर ग्लोब पर खींची गई उत्तर-दक्षिण की कोणीय रेखाएँ होती हैं। इनकी निम्न विशेषताएँ होती हैं

  1. देशान्तरों के मध्य की सर्वाधिक दूरी भूमध्य रेखा पर होती है।
  2. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की तरफ जाने पर इनके मध्य की दूरी कम होती जाती है।
  3. ध्रुवों पर सभी देशान्तर केन्द्रीय स्थिति प्राप्त कर लेते हैं।
  4. भूमध्य रेखा पर देशान्तरों के बीच की दूरी 111 किमी 30° उत्तरी वे दक्षिणी अक्षांश पर 96.5 किमी, 60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों पर 55.4 किमी, 80° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश पर 19.3 किमी तथा 90° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश पर यह शून्य हो जाती है।
  5. प्रत्येक देशान्तर पर 4 मिनट का अन्तर आता है।
  6. सभी 360° देशान्तर रेखाएँ जब वृत्त के रूप में परिवर्तित होती हैं। तब ये वृहत् वृत्त बन जाती हैं।

प्रश्न 4.
देशान्तर समय का निर्धारण कैसे करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
देशान्तरों का बढ़ता हुआ अन्तराल समय का निर्धारण भिन्न-भिन्न करता है। कैसे?
उत्तर:
पृथ्वी 360° देशान्तरों में बंटी हुई है। प्रत्येक देशान्तर को 1 डिग्री माना जाता हैं। इस प्रकार 360 देशान्तर 360° के रूप में बंटे हुए हैं। देशान्तरों का अन्तर समय के अंतर हेतु उत्तरदायी होता है। पृथ्वी लगभग 24 घंटे में 360° घूम लेती है। पृथ्वी 1 देशान्तर को घूमकर पार करने में 4 मिनट का समय लेती है। इस प्रकार 1 घंटे में पृथ्वी 15° घूमती है। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। अत: जो स्थान पूर्व में है, वहाँ सूर्य पहले दिखायी देगा। यथा-भारत का मद्रास शहर 80° पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। यदि वहाँ सूर्योदय के समय सुबह के 6 बजे हैं तो जो स्थान मद्रास से पश्चिम में 65° देशान्तर पर होगा वहाँ सुबह के 5 ही बजेंगे तथा वहाँ सूर्य 1 घंटे बाद दिखायी देगा। यदि हमें ग्रीनविच का और अपना स्थानीय समय मालूम हो तो बड़ी सरलता से देशान्तर रेखा निकाल सकते हैं, जैसे यदि ग्रीनविच में इस समय दिन के 12 बज रहे हों और हमारी घड़ी में सायंकाल 6 बजे हों तो निश्चय है कि हम ग्रीनविच के पूर्व में हैं तो हमारी देशान्तर रेखा 15 x 6 = 90° होगी।

प्रश्न 5.
समय कटिबंध क्या होते हैं?
अथवा
समय कटिबंध का क्या महत्व है?
उत्तर:
यदि कोई देश पूर्व-पश्चिम के विस्तार में बड़ा हो तो वहाँ पर सारे राष्ट्र के लिए एक ही प्रामाणिक समय रखने से काम नहीं चल सकता क्योंकि ऐसे देशों में पूर्व में स्थित स्थान और पश्चिम में स्थित स्थान के समय में 4 या 5 घण्टे का अन्तर पड़ जाता है। कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में कुछ स्थानों के स्थानीय समय में यह अन्तर दृष्टिगत होता है। समुद्री जहाजों को भी प्रत्येक स्थान का स्थानीय समय स्मरण रखने में बड़ी कठिनाई हो जाती है। इसी असुविधा को दूर करने के लिए सारी पृथ्वी को 24 भागों में बाँट दिया गया है। ऐसे प्रत्येक भाग को समय-कटिबन्ध कहते हैं। प्रत्येक समय-कटिबंध में एक ही प्रामाणिक समय रहता है। इन समय क्षेत्रों को 24 भागों में इसलिए बाँटा गया है कि प्रत्येक समय-क्षेत्र में एक-एक घण्टे का अन्तर रहे। प्रत्येक क्षेत्र में 15° देशान्तर होते हैं। अलग-अलग राष्ट्रों में समय कटिबंधों की संख्या राष्ट्र के विस्तार के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। यथा -कनाडा में 5, संयुक्त राज्य अमेरिका में 4, यूरोप में 3 एवं रूस में 11 समय कटिबंध निर्धारित किये गये हैं। इन समय कटिबंधों से ही अधिक विस्तार होते हुए भी इन क्षेत्रों में समय की समानता बनी रहती है।

प्रश्न 6.
समय के समीकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
समय के समीकरण को वर्णित कीजिए।
उत्तर:
जिस समय के भीतर एक स्थान धुरी पर चक्कर लगाकर फिर उसी दशा में आ जाता है कि सूर्य उसके ऊपर चमकने लगे उसे सूर्य दिवस (Solar day) कहते हैं। परन्तु पृथ्वी का कक्ष गोलाकार न होकर अण्डाकार है। साथ ही इसके मध्य सूर्य की स्थिति केन्द्रवर्ती नहीं है। फलस्वरूप एक समय पृथ्वी इसके बहुत समीप पहुँच जाती है तथा दूसरे समय इससे बहुत दूरी पर। जब उत्तरी गोलार्द्ध में जाड़े की ऋतु होती है तो पृथ्वी सूर्य के अपेक्षाकृत समीप होती है जो दक्षिणायन (Perihelion) कहलाता है। इसके विपरीत, जब उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी होती है तो पृथ्वी सूर्य से अपेक्षाकृत दूर होती है और उसे हमें उत्तरायण (Aphelion) कहते हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि मौसमों का हेर-फेर सूर्य की दूरी पर निर्भर नहीं होता है। इसका सम्बन्ध सूर्य की आकाश में ऊँचाई अर्थात् प्राप्त होने वाली किरणों की कोणात्मक स्थिति तथा उनसे प्राप्त की जाने वाली ताप-शक्ति से होता है। जब पृथ्वी दक्षिणायन । स्थिति में होती है तो इसकी परिक्रमा करने की चाल कुछ अधिक तेज हो जाती है। इसके विपरीत सूर्य-दिवस (दो वास्तविक मध्याह्नों के बीच का समय) की अवधि घटती-बढ़ती रहती है। अतएव दो प्रकार के समय का अनुभव किया जाता है।

प्रश्न 7.
दृष्ट समय क्या होता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
दृष्ट समय क्यों उपयोगी है?
उत्तर:
जब सूर्य किसी मध्याह्न रेखा पर लम्बवत् चमकता है तो उस रेखा पर स्थित स्थानों पर बारह बजे मध्याह्न समय होता है। इनके अनुसार घड़ी को मिलाकर जो समय रखा जाता है वह उस मध्याह्न के बारह बजेंगे तो सूर्य ठीक लम्बवत् नहीं होगा। वह इस स्थिति से कुछ ओर झुका होगा क्योंकि सूर्य की वह गति सदा समान नहीं रहती है। इस घटने-बढ़ने के कारण समय की माप के दृष्टिकोण से सूर्य-दिवस सुविधाजनक नहीं होते। सूर्य के द्वारा समय जानने के लिए सूर्य-घड़ी का प्रयोग किया जाता है। सूर्य की स्थिति के अनुसार समय को पूर्णत: तदनुरूप ही रखने हेतु हमें असुविधा उठानी होगी क्योंकि प्रतिदिन घड़ी की सुइयों को आगे अथवा पीछे करके सूर्य के अनुरूप इस समय को लाना होगा।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की परिक्रमण गति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पृथ्वी की परिक्रमण गति से उत्पन्न होने वाली दशाओं को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
पृथ्वी के परिक्रमण से उत्पन्न स्थितियों का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
पृथ्वी की दूसरी महत्वपूर्ण गति सूर्य के चारों ओर पश्चिम से पूर्व दिशा में अपनी निश्चित कक्षा में वार्षिक यात्रा करना है। पृथ्वी की कक्षा लगभग 965 मिलियन किमी लम्बी है जो लगभग 365(frac { 1 }{ 4 }) दिनों में 29.6 किमी प्रति सैकेण्ड की गति से सम्पन्न होती है। पृथ्वी की कक्षा वृत्ताकार न होकर अण्डाकार हैं जिससे सूर्य और पृथ्वी की दूरी परिक्रमा के दौरान बदलती रहती हैं। पृथ्वी और सूर्य के मध्य औसत दूरी 150 मिलियन किमी है। जब पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दूरी ( 152 मिलियन किमी ) पर होनी है इसे ‘अपौर (Aphelion) और जब निकटतम दूरी (147 मिलियन किमी) पर हो तो इसे उपसौर (perifielion) कहा जाता है। हर की स्थिति में पृथ्वी की यात्रा तुलनात्मक रूप से जल्दी सम्पन्न होती हैं। इसके विपरीत ‘अपसौर’ की स्थिति में परिक्रमण में अधिक समय लगता है। इससे सूर्य-दिवस की अवधि घटती-बढ़ती रहती हैं। पृथ्वी के परिक्रमण के फलस्वरूप विभिन्न ऋतुओं का बनना सम्भव हो पाता है। पृथ्वी की दोनों गतियों और स्थिति में बदलाव के फलस्वरूप ही पृथ्वी पर सौर ऊर्जा का वितरण निश्चित होता है।
Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 पृथ्वी का स्वरूप, गतियाँ, स्थिति एवं समय की गणना 2

प्रश्न 2.
अयनान्त एवं संक्रान्ति तथा विषुवों की स्थिति का सचित्र वर्णित कीजिए।
अथवा
संक्रान्ति एवं विषुव की दशाओं की उत्पत्ति क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के एक भाग पर हमेशा उजाला तथा दूसरे भाग पर अंधेरा रहता है। उजाले एवं अंधेरे भाग को अलग करने वालों रेखा को ‘प्रदीपन या प्रकाश वृत्त’ (Circle of Illumination) कहा जाता है। पृथ्वी 21 जून एवं 22 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष क्रमश: ग्रीष्म संक्रान्ति एवं शीत संक्राति की स्थिति में होती हैं। 21 जून एवं 22 दिसम्बर को सूर्य की लम्बवत् स्थिति क्रमश: कर्क एवं मकर रेखा पर होती है। पृथ्वी का 23(frac { 1 }{ 2 })° अक्ष के झुकाव के कारण दोनों गोलाद्ध में यह स्थिति बनती है। 21 जून को सूर्य के कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु तथा इसके विपरीत दक्षिण गोलार्द्ध में शीत ऋतु का प्रभाव रहता है। इसके विपरीत 22 दिसम्बर को विपरीत स्थिति होती है। सूर्य को लम्बवत् किरणें मकर रेखा पर होती हैं जिससे दक्षिण गोलार्द्ध में ग्रीष्म एवं उत्तर गोलार्द्ध में शीत ऋतु की स्थिति होती है पृथ्वी पर सूर्य की लम्बवत् किरणों का प्रभाव कर्क एवं मकर रेखाओं ( 23(frac { 1 }{ 2 })° उत्तरी गोलार्द्ध एवं 23(frac { 1 }{ 2 })° क्षिणी गोलार्द्ध) के मध्य ही बना रहता है तो ये दोनों वर्तन बिन्दु के रूप में कार्य करते हैं। संक्रान्तियाँ पृथ्वी को गतिशीलता प्रदान करती हैं तथा सृर्य, तारों और नक्षत्रों की स्थिति में बदलाव भी होता है। यह बदलाव पृथ्वी पर जीवन, मंगल और नयेपन का द्योतक होता है। विश्व के विभिन्न देशों में संक्रान्तियों पर कई उत्सव एवं त्यौहार मनाये जाते हैं। हमारे देश में ‘मकर संक्रान्ति का विशेष महत्व है। पूरे देश में पर्व के रूप में इस बदलाव रूपी दिवस को हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य पूजा तथा तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है। अयनान्त एवं संक्रान्तियों के इस स्वरूप को अग्र चित्र के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 पृथ्वी का स्वरूप, गतियाँ, स्थिति एवं समय की गणना 3
विषुव – जब पृथ्वी पर 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा पर लम्बाकार होती है इस विषुवीय स्थिति में पृथ्वी पर दिन एवं रात की लम्बाई लगभग बराबर होती है। उत्तरी गोलार्द्ध में 21 मार्च से बसन्त ऋतु का प्रारम्भ होता है इसलिए इसे बसन्त विषुव कहा जाता है। 23 सितम्बर को सूर्य के दक्षिणायन जाने के साथ शरद ऋतु का आगमन होता है यह शरद विषुव होता है। इस अवस्था में ‘प्रदीपन वृत्त’ पूरी पृथ्वी को ध्रुव से ध्रुव तक समान भागों में विभाजित करता है। सूर्य के सम्मुख भाग में उजाला एवं पिछले भाग में अंधेरा रहता है। विषुवीय स्थिति में सूर्य प्रातः 6 बजे पूर्व में उदय होता है और लगभग इसी समय ही पश्चिम में अस्त होता है ।

प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को टेढ़ी-मेढी क्यों निर्धारित किया गया है?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहाँ-कहाँ से गुजरती है? सचित्र स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ध्यान से देखने पर विदित होगा कि यह रेखा सीधी नहीं है। इसका क्या कारण है? यह रेखा 180° देशान्तर के एक छोर से दूसरे छोर तक ठीक उसके ऊपर से नहीं निकलती है। बहुत से स्थानों पर उससे हटकर टेढ़ी-मेढ़ी इधर-उधर हो जाती है। क्योंकि 180° देशान्तर तो प्रशान्त महासागर के बहुत-से ऐसे द्वीपों के बीच से होकर जाती है जो एक ही राज्य के अधीन हैं अत: यदि अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा भी 180° देशान्तर के ऊपर से ही गुजरती हुई मान ली जाती तो कहीं-कहीं एक ही द्वीप पर एक ही दिन में दो तिथियाँ हो जातीं, जिसके फलस्वरूप बड़ी गड़बड़ी हो सकती थी। इसलिए इस रेखा को 180° देशान्तर रेखा के साथ न रखकर आवश्यकतानुसार टेढ़ा-मेढ़ा बनाया गया है।

तिथि रेखा के चित्र को देखने पर स्पष्ट होता है कि इसका सबसे पहला मोड़ पूर्व की ओर है। साइबेरिया और अलास्का के बीच बेरिंग जलडमरू मध्य में यह 180° देशान्तर से हटकर पूर्व की ओर मुड़ जाती है। इससे थोड़ा दक्षिणी की ओर एल्यूशियन द्वीप समूह को बचाने के लिए इस रेखा को पश्चिम की ओर मुड़ना पड़ता है। इस प्रकार साइबेरिया और अलास्का की तिथियों में अन्तर रहता है। यदि मान लीजिये साइबेरिया में जुलाई की 15 तारीख है तो अलास्का में जुलाई की 14 तारीख ही होती है। 180° देशान्तर रेखा फिजी द्वीप समूह के एक द्वीप के मध्य से होकर निकलती है। इसलिए तिथि रेखा के द्वारा एक ही द्वीप समूह के दो भागों के बीच समय में अन्तर होने के कारण काफी असुविधा हो सकती है। अतः दक्षिण गोलार्द्ध में यह रेखा फिजी व टोगा द्वीपों को बचाते हुए इनके चारों ओर घूमकर जाती है। इन द्वीपों में न्यूजीलैण्ड के समान ही तिथि का अंकन होता है।
Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 3 पृथ्वी का स्वरूप, गतियाँ, स्थिति एवं समय की गणना 4

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