Ohm Ka Niyam

Ohm Ka Niyam – ओम का नियम, परिभाषा, सूत्र, सत्यापन, उपयोग

हेलो दोस्तों इस आर्टिकल में हम om ka niyam kya hai के बारे में पढ़ेंगे | यह प्रश्न class 10th, 11th, 12th की परीक्षाओ में बहुत ज्यादा पूछा जाता है, आइये विस्तार से पढ़ते है |

OHM Ka Niyamओम का नियम क्या है?

यदि भौतिक अवस्थायें जैसे की ताप, लंबाई इत्यादि स्थिर हो, तब किसी विधुत परिपथ में प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर(वोल्टेज) उस प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली धारा  के समानुपाती होता है।

यदि लगाया गया विभवान्तर V मान लेते है और बहने वाली धारा I मान लेते है तब ओम के नियम से दोनों में सम्बन्ध-                                           
V ∝ I
                                          V=RI
यहाँ पर R एक Constant है जिसे Resistance यानि प्रतिरोध कहते है इस  Ω से दर्शाते है|                                            
R=V/I   वोल्टेज या विभवांतर v का मान बढ़ाने पर धारा का मान भी बढ़ता है    

ओम के नियम का सूत्र – om ke niyam ka sutra kya hai:

ओम के नियम का सूत्र                                   V=IR

या, V=I×R

इस सूत्र(Formula) के द्वारा आप वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध का मान निकाल सकते हैं।

 यहाँ  पर – 

V = विभान्तर(Voltage), इकाई Volt(V) हैं
I = धारा(Current), इकाई Ampere(A) हैं
R = प्रतिरोध(Resistance), इकाई Ohm(Ω) हैं

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यदि आपको विभान्तर यानि Voltage का मान पता करना है तो

                                     V=I×R

यदि आपको धारा यानि Current का मान पता करना है तो

                                     I=V/R

यदि आपको प्रतिरोध यानि Resistance का मान पता करना है तो

                                    R=V/I

ओम के नियम का सत्यापन – Verification of Ohm’s Law in Hindi

इस सिद्धांत से यह पता चलता है कि किसी कंडक्टर का रेजिस्टेंस स्थिर (कांस्टेंट) रहता है। यानी यदि वोल्टेज को दुगुना कर दिया जाए, तो कंडक्टर से करंट भी दुगुना हो जाएगा। परंतु रेजिस्टेंस वही रहेगा।

ध्यान रहे कि यह सारी बातें तभी तक वैध हैं, जब तक कंडक्टर का तापमान स्थिर है। यदि तापमान बढ़ा, तो रेजिस्टेंस भी बढ़ जाएगा।

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ओम के नियम का त्रिकोण – Ohm’s Law Triangle in Hindi

सिद्धांत का सूत्र (formula) यदि याद ना रहे, तो एक त्रिकोण का प्रयोग किया जा सकता है। इस त्रिकोण को ओहम के सिद्धांत का त्रिकोण भी कहते हैं।

जो भी अज्ञात वस्तु का मूल्य जानना हो, उसे छुपा लें। फिर जो रह जाएगा, वही उस अज्ञात वस्तु का सूत्र होगा। यदि दोनों एक सीध में हैं, तो उनका गुणा (multiplication) किया जाएगा तथा यदि वे ऊपर नीचे हैं, तो उन्हें विभाजित किया जाएगा।

जैसे अगर ‘V’ पता करना हो, तो उसे ढक लें। अब I और R एक सीध में हैं, इसलिए उनका गुणा कर दिया जाएगा। इसी तरह I पता करने हेतु उसे ढकिए, अब V और R ऊपर नीचे है, इसलिए V को R से विभाजित करें।

रैखिक ग्राफ – Linear graph in Hindi

यदि V v/s I का ग्राफ बनाया जाए, तो वो कुछ ऐसा दिखेगा –

ग्राफ पर दो रेखाओं को देखा जा सकता है। जिस रेखा में अधिक वोल्टेज प्राप्त करने के लिए कम करंट की आवश्यकता हो, वो अधिक रेजिस्टेंस दर्शाता है। इसी तरह काम रेजिस्टेंस वाले हिस्से के लिए उसी करंट पर पहले वाले कि तुलना में कम वोल्टेज उत्पन्न होगा।

ओम के नियम के उपयोग – Uses of ohm’s law in hindi

यह सिद्धांत सरल सर्किट्स को सुलझाने में अत्यंत उपयोगी है। पूर्ण सर्किट वह होता जो एक बंद लूप बनाता है। यदि सर्किट में कोई वोल्टेज स्रोत है और कोई ऐसा अंग जो करंट का उपभोग करे, तो उस लूप के सभी वोल्टेज का कुल शून्य ( 0 ) होगा।

ओम के नियम की असफलता – What are the failures of Ohm’s law in Hindi

ओम ने अपने नियम में जो समीकरण दिया V = IR , यह प्रकृति का मूल नियम नहीं है अर्थात प्रकृति में यह हर जगह सही साबित नहीं होता है कई स्थितियों में यह समीकरण असफल हो जाती है जो ओम के नियम की असफलता है।  

1. धारा में परिवर्तन सिर्फ विभवांतर पर ही निर्भर नहीं करता , विभवान्तर के चिन्ह पर भी निर्भर करता है , जब p-n संधि पर विभवांतर लगाया जाता है तो धारा का मान विभवांतर के साथ चिन्ह (अभिनीति) पर भी निर्भर करता है , अभिनीति (चिन्ह) बदलने पर धारा की दिशा बदल जाती है यहाँ ओम का नियम काम नहीं करता।  

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2. जब धात्विक चालक के सिरों पर विभवांतर आरोपित किया जाता है तो धारा में परिवर्तन अरैखिक भी आ सकता है।  

3. जब थाइरिस्टर के के लिए V-I ग्राफ खींचते है तो वह भी रैखिक प्राप्त नहीं होता।

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