Lenj Ka Niyam Kise Kahate Hain: हेलो दोस्तों इस आर्टिकल में हम lenj ka niyam kya hai के बारे में पढ़ेंगे | यह प्रश्न class 10th, 11th, 12th की परीक्षाओ में बहुत ज्यादा पूछा जाता है, आइये विस्तार से पढ़ते है |
Lenj Ka Niyam
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम में हमने यह तो पढ़ लिया है की कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति करने से कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिससे विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है , इसके साथ ही हमने सूत्र भी ज्ञात कर लिया था जिससे हम इसके मान की गणना भी कर सकते है।
लेकिन इस विद्युत धारा की दिशा के बारे में फैराडे ने कुछ नहीं बताया। अत: लेन्ज ने प्रेरित विद्युत वाहक बल से उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा बताने के लिए एक नियम दिया जिसे लेंज का नियम कहते है। इस नियम का उपयोग करके हम फैराडे के प्रयोग में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा की दिशा बता सकते है या ज्ञात कर सकते है। लेंज ने बताया की ” विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना में किसी परिपथ में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल या विद्युत धारा की दिशा इस प्रकार होती है की यह उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण यह उत्पन्न हो रही है “
अत: फैराडे तथा लेंज के नियम से:
उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल
E = -dϴ/dt
मान लीजिये कुण्डली में फेरो की संख्या N है तो
E = -N dϴ/dt
लेंज नियम:
लेंज के नियम की पुष्टि फैराडे द्वारा किये गए प्रयोगों के आधार पर की जा सकती है जब कुण्डली के पास चुम्बक का उत्तरी ध्रुव लाया जाता है तो उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है की चुम्बक के पास वाला सिरा कुण्डली का उत्तरी ध्रुव बने ताकि कुण्डली चुम्बक का विरोध कर सके।
जब चुम्बक को दूर लेके जाए तो चुम्बक के पास वाला कुण्डली का ध्रुव दक्षिणी ध्रुव की तरह व्यवहार करता है ताकि कुण्डली चुम्बक उसको दूर लेकर जाने के विरोध कर सके।

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