Karma Vachya: कर्मवाच्य किसे कहते है? परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर इस विषय से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को कर्मवाच्य किसे कहते है? से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों को भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए।
आज यहां हम आपको कर्मवाच्य के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं, इसलिए यदि आप कर्मवाच्य के बारे में नहीं जानते हैं, तो इस लेख की मदद से, आप आज इस विषय को बेहतर तरीके से जान पाएंगे।
कर्मवाच्य – Karma Vachya
कर्मवाच्य किसे कहते हैं?
क्रिया के उस रूप को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। कर्मवाच्य में हमेशा सकर्मक क्रिया रहती है।
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जैसे :-
- पुस्तक रवि से पढ़ी जाती है।
- आम श्याम से खाया जाता है।
- रोटी सीता से बनाई जाती हैं।
ऊपर दिए गए वाक्यों में क्रिया कर्ता के अनुसार न बदलकर कर्म के अनुसार बदली हैं।
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता।
जैसे :-
‘मैं दूध पीता हूँ’ के स्थान पर ‘मुझसे दूध पीया जाता है’ लिखना गलत होगा।
निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है की मुझसे दूध नहीं पिया जाता।
कर्मवाच्य का प्रयोग
निम्नलिखित स्थानों पर कर्मवाच्य वाक्यों का प्रयोग होता है।
1. जहां कर्ता का पता ना हो।
जैसे :-
पत्र भेजा गया।
फुटबॉल खेला गया।
2. जब कोई काम अचानक हो गया हो।
जैसे:-
कांच का गिलास टूट गया।
मेरा एक्सीडेंट हो गया।
3. जहां कर्ता को प्रकट नहीं करना हो।
जैसे :-
डाकू का पता लगाया जा रहा है।
घर की सफाई की जा रही है।
4. जहां कर्ता निश्चित नहीं हो।
जैसे :-
अपराधी को कल पेश किया जाए।
रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
5. अशक्यता सूचित करने के लिए।
जैसे :-
अब दूध नहीं पिया जाता।
अब सीढ़ी नहीं चढ़ा जाता।
इस आर्टिकल में अपने कर्मवाच्य को पढ़ा। हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।