Class12 Chemistry Notes

ठोसों में चुंबकीय गुण _ अनुचुम्बकत्व _ प्रति चुंबकत्व _ लौह चुंबकत्व

ठोसों में चुंबकीय गुण | अनुचुम्बकत्व | प्रति चुंबकत्व | लौह चुंबकत्व

ठोसों में चुंबकीय गुण – thoso me chumbakiya gun: इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर दो प्रकार से गति करता है। (1) कक्षीय गति (2) चक्रीय गति   जब भी कोई ऋणावेशित कण नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है तो उसके चारो ओर एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन नन्हे (छोटे) …

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चालक , कुचालक तथा अर्धचालक की बैंड सिद्धांत व्याख्या

चालक , कुचालक तथा अर्धचालक की बैंड सिद्धांत व्याख्या

बैंड सिद्धांत किसे कहते है –  Band Siddhant Kya Hai: इस सिद्धान्त के अनुसार जितने परमाणु कक्षक आपस में मिलते है उतने ही अणु कक्षकों का निर्माण होता है।  जब बहुत सारे परमाणु कक्षक आपस में मिलते है तो उतने ही अधिक संख्या में अणु कक्षको का निर्माण होता है। इस अणु कक्षको की ऊर्जाओं …

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ठोसों के विधुतीय गुण

ठोसों के विधुतीय गुण

ठोसों में विधुतीय गुण, इलेक्ट्रॉनों या धन छिद्रों की गति के द्वारा अथवा आयनों की गति के द्वारा होता है। धन छिद्रों या इलेक्ट्रॉनों की गति को इलेक्ट्रॉनिक चालकता (Electrical conductivity) तथा आयनों की गति को आयनिक चालकता (Ionec conductivity) कहते है। आयनों अथवा घनात्मक छिद्रो में चालकता इलेक्ट्रॉनिक दोश के कारण होती है। इलेक्ट्रॉनों …

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ठोसों में अपूर्णताएं या ठोस पदार्थो में दोष त्रुटि _ परिभाषा _ प्रकार

ठोसों में अपूर्णताएं या ठोस पदार्थो में दोष त्रुटि | परिभाषा | प्रकार

आदर्श ठोस किसे कहते है: परम शून्य ताप पर अर्थात 0 (k) केल्विन ताप पर ठोस के अवयवी कण नियमित क्रम में व्यवस्थित रहते है इन्हे आदर्श ठोस कहते है। सामान्य ताप पर ठोस के अवयवी कण नियमित क्रम में नहीं रहते अर्थात ठोस में अपूर्णताऐं या दोष होते है।   ये दो प्रकार के …

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सरल घनीय या आद्य मात्रक कोष्ठिक के लिए संकुलन दक्षता

सरल घनीय या आद्य मात्रक कोष्ठिक के लिए संकुलन दक्षता

इस unit cell में घन के आठों कोनों पर आठ परमाणु होते है।  यह यूनिट सेल एक परमाणु की बनी होती है।     एक सरल घनीय जालक में केवल घन के कोनों पर परमाणु उपस्थित होते हैं। मान लिया कि घन के एक भुजा की लम्बाई =a=a तथा प्रत्येक कण की त्रिज्या rr है। चूँकि घन के किनारों …

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BCC संरचना की संकुलन दक्षता ज्ञात करना

BCC संरचना की संकुलन दक्षता ज्ञात करना

BCC संरचना: इस संरचना की unit cell में घन के आठों कोनों पर आठ परमाणु स्थित होते है तथा घन के केंद्र में एक परमाणु स्थित होता है।  यह unit cell दो परमाणुओं की बनी होती हैं।   कुल परमाणुओं की संख्या = 8 x 1/8 + 1×1 = 2   अतः ΔABC से (AC)2 = (AB)2 + …

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FCC या CCP के लिए संकुलन दक्षता ज्ञात करना

FCC या CCP के लिए संकुलन दक्षता ज्ञात करना

दक्षता किसे कहते है: एक आयाम रहित मात्रा जो कार्य की दक्षता को दर्शाती है। कार्य एक बल है जो कुछ समय के लिए प्रक्रिया को प्रभावित करता है। बल की क्रिया पर ऊर्जा का व्यय होता है। ऊर्जा को बल में निवेशित किया जाता है, बल को काम में लगाया जाता है, कार्य को …

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क्रिस्टलो में निबिड़ संकुलन क्या है

क्रिस्टलो में निबिड़ संकुलन क्या है

निबिड़ संकुलन क्या है: परमाणु अणु आयन को गोलाकार माना जाता है ये इस प्रकार से व्यस्थित रहते है कि इनके मध्य रिक्त स्थान कम से कम हो , इसे निबिड़ संकुलन कहते है।   क्रिस्टलों में निबिड़ संकुलन त्रिविमीय रूप से निम्न प्रकार से होता है। एक विमा में निबिड संकुलन :   इस …

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क्रिस्टल तंत्र _ परिभाषा _ प्रकार

क्रिस्टल तंत्र | परिभाषा | प्रकार

क्रिस्टल तंत्र :   ब्रेवे के अनुसार 14 प्रकार के क्रिस्टल जालक होते है तथा 7 क्रिस्टल तंत्र होते है।    क्रिस्टल तंत्र  अक्षीय लम्बाई  अक्षीय कोण  क्रिस्टल जालक  उदाहरण  1. घनीय  a = b = c  α = β = γ = 90′  आद्य , अन्तः , फलक केंद्रित = 3  NaCl , ZnS …

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क्रिस्टल जालक लक्षण व इकाई कोष्टिका _ प्रकार

क्रिस्टल जालक लक्षण व इकाई कोष्टिका | प्रकार

क्रिस्टल जालक की परिभाषा क्या है – crystal jal kise kahate hain:   कोई भी क्रिस्टल अवयवी कणों से मिलकर बना होता है ये अवयवी कण परमाणु , अणु या आयन तीनों में से कुछ भी हो सकते है , क्रिस्टल में अवयवी कणों (परमाणु , अणु , आयन) की तीनो विमाओं में निश्चित ज्यामिति …

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क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार  _ उदाहरण

क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार  | उदाहरण

क्रिस्टलीय ठोस क्या है? – Kristaliy Thos Kise Kahte Hai: इन ठोसो में अवयवी कणों (परमाणु, अणु और आयन)  की एक निश्चित नियमित ज्यामितीय व्यवस्था होती है, जिसकी बार-बार पुनरावृत्ति होने पर एक निश्चित ज्यामिति वाली त्रिविमीय संरचना का निर्माण होता है। हम कह सकते हैं कि क्रिस्टलीय ठोसो में दीर्घ परास क्रम होता है।  इस तरह क्रिस्टलीय …

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समदैशिकता व विषम दैशिकता ठोस तथा अतिशीतित द्रव

समदैशिकता व विषम दैशिकता ठोस तथा अतिशीतित द्रव | परिभाषा | उदाहरण

सम दैशिकता ठोस किसे कहते है – Samdaishikta Thos Kise kahte hai: ठोसों के भौतिक गुण जैसे अपवर्तनांक विधुत व ऊष्मा की चालकता , यांत्रिक सामर्थ्य आदि के मान किसी ठोस में अलग अलग दिशाओं से ज्ञात करने पर यदि ये मान समान आते है तो इन्हे सम दैशिक ठोस कहते है। और इस गुण को सम दैशिकता कहते …

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