Bahuvrihi Samas: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में बहुव्रीहि समास किसे कहते है (Bahuvrihi Samas) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |
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Bahuvrihi Samas
बहुव्रीहि समास के पदों में जो दो पद मिले हुए है , तो इस दोनों पदों न ही पूर्व पद और न ही उत्तर पद प्रधान होता है , बल्कि Bahuvrihi Samas में दोनों पद यानि की पूर्व पद और उत्तर पद मिलकर किसी तीसरे पद को या तीसरे शब्द को इंगत करते यही या प्रधान बनाते है।
बहुव्रीहि समास की परिभाषा
जिस भी समास के सभी समस्तपदों में यानि की किसी भी दोनों पदों या शब्दो में चाहे वह पूर्व पद वह प्रधान न बल्कि दोनों पद या शब्द पूर्व पद और उत्तर पद दोनों मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हो तो वहा बहुव्रीहि समास होता है।
बहुव्रीहि समास के भेद
1.समानाधिकरण बहुव्रीहि
इसमें जिस का समास होता है, वे साधारणतः कर्ताकारक होते है, किन्तु समस्तपद द्वारा द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वह कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबन्ध, अधिकरण आदि विभक्ति रूपों में भी उक्त हो सकता है |
- जैसे – कलह है प्रिय जिसको वह = कलहप्रिय (कर्म में उक्त)
- जीती गई इन्द्रियाँ जिससे वह = जितेन्द्रिय (करण में उक्त)
- दिया गया है धन जिसके लिए वह = दन्तधन (सम्प्रदान में उक्त)
- पीत है अम्बर जिसका = पीताम्बर (संबन्ध में उक्त)
- चार लड़ियाँ जिसमे वह = चोलड़ी (अधिकरण में उक्त)
2.व्यधिकरण बहुव्रीहि
इसमें भी पहला पद कर्ताकारक का और दूसरा पद संबंध या अधिकरण कारक का होता है |
जैसे – शूल है पाणि में जिसके वह = शूलपाणि
वीणा है पाणि में जिसके वह = वीणापाणि
चन्द्र है शेखर पर जिसके =वह चन्द्रशेखर
- तुल्ययोग या सह बहुव्रीहि
जिसका पहला पद सह (साथ) हो ; लेकिन ‘सह’ के स्थान पर ‘स’ हो |
जैसे- जो बल के साथ है, वह = सबल
जो परिवार के साथ है, वह = सपरिवार
- व्यतिहार बहुव्रीहि
जिससे घात-प्रतिघात सूचित हो|
जैसे- मुक्के-मुक्के से जो लड़ाई हुई = मुक्कामुक्की
लाठी-लाठी से जो लड़ाई हुई = लाठालाठी
बहुव्रीहि समास के अन्य उदाहरण
पंचामृत – पाँच प्रकार का अमृत -दूध, दही, शक्कर, गोमल, एवं गोमूत्र का रसायन विशिष्ट
दुधमुँहा – जिसके मुँह में दूध है -छोटा बालक
दुर्वासा – बुरे वस्त्र पहनने वाला -एक ऋषि विशेष का नाम
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देवराज – देवों का राजा है जो -इन्द्र
धनंजय – वह जो धन (पृथ्वी, भौतिक सपंदा आदि) का जय करता है -अर्जुन
नंदनंदन – वह जो नंद का नंदन (पुत्र) है -कृष्ण
नाकपति – वह जो नाक (स्वर्ग) का पति है -इन्द्र
नीलकण्ठ – नीला है कण्ठ जिनका -शिव
पंचशर – वह जिसके पाँच (पाँच फूलों के) शर हैं -कामदेव
पंचानन – पंच हैं मुख जिसके -शिव
बहुव्रीहि समास-संबंधी महत्वपूर्ण एवं विशेष बातें
- यदि बहुव्रीहि समास के समस्तपद में दूसरा पद ‘धर्म’ या ‘धनु’ हो तो वह अकारांत हो जाता है|
- जैसे – आलोक ही है धनु जिसका वह = आलोकधन्वा
- सकारांत में विकल्प से ‘आ’ और ‘क’ किन्तु इकारान्त, ऊकारांत और ऋकारंत सकारांत पदों के अंत में निश्चित रूप से ‘क’ लग जाता है |
- जैसे – उदार है मन जिसका वह = उदारमनस
- अन्य में है जिसका वह = अन्यमनस्क
- साथ है पत्नी जिसके वह = सपत्नीक
- बहुव्रीहि समास में दो से ज्यादा पद भी होते है |
- इसका विग्रह पदात्मक न होकर वाक्यात्मक होता है | यानी पदों के क्रम को व्यवस्थित किया जाय तो एक सार्थक वाक्य बन जाता है |
- जैसे – लंबा है उदर जिसका वह = लंबोदर वह, जिसका उदर लम्बा है |
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