Table of Contents
सरल आवर्त गति कर रहे कण के लिए बल का नियम :
सरल आवर्त गति कर रहे कण पर लगने वाले प्रत्यानयन बल का मान विस्थापन के समानुपाती तथा विपरीत दिशा में होता है।
F ∝ -y
F = -ky समीकरण-1
न्यूटन के द्वितीय नियम से –
F = ma समीकरण-2
समीकरण-1 व 2 से –
ma = -ky
a/y = -k/m समीकरण-3
चूँकि a = -w2y
a/y = -w2 समीकरण-4
समीकरण-4 व समीकरण-5 से –
+w2 = +k/m
w2 = k/m
w = √k/m
सरल आवृत गति कर रहे कण की गतिज ऊर्जा :
K = mv2/2 समीकरण-1
V = Aw coswt समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
K = m(Aw coswt)/2
चूँकि Cos2wt + sin2wt = 1
Cos2wt = 1 – sin2wt
K = mA2w2/2 + (1 – sin2wt)
K = mw2/2 + (A2 – A2sin2wt)
चूँकि y = Asinwt
Y2 = A2sin2wt
K = mw2(A2 – y2)/2
चूँकि mw2 = K
K = K(A2 – y2)/2
गतिज ऊर्जा का ग्राफीय निरूपण :
K = [mw2/2] A2cos2wt
W = 2π/t
K = [mw2/2] A2cos22πt /t
(i) यदि t = 0
K = [mw2/2] A2cos22π 0/t
K = [mw2/2] A2cos20
K = [mw2/2] A2(1)
K = mw2A2/2
(ii) यदि t = T/4
K = [mw2/2] A2cos22π (T/4)/T
K = [mw2/2] A2cos2π/2
K = [mw2/2] A2 (0)
K = 0
(iii) यदि t = T/2
K = [mw2/2] A2cos22π (T/2)/T
K = [mw2/2] A2cos2π
K = [mw2/2] A2 (-1)
K = mw2A2/2
(iv) यदि t = 3T/4
K = [mw2/2] A2cos22π (3T/4)/T
K = [mw2/2] A2cos2 3π/2
K = [mw2/2] A2 (0)
K = 0
(v) यदि t = T
K = [mw2/2] A2cos22π (T)/T
K = [mw2/2] A2cos2 2π
K = [mw2/2] A2 (1)
K = mw2A2/2
सरल आवृत गति कर रहे कण की स्थितिज ऊर्जा :
U = – √F.dy समीकरण-1
F = -ky (प्रत्यानयन बल) समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
U = K√y.dy
चूँकि √xndx = xn+1/n+1
U = K[y1+1/1+1 ]
U = K y2/2
U = ky2/2 समीकरण-3
चूँकि w2 = K/m
K = mw2 समीकरण-4
समीकरण-4 का मान समीकरण-3 में रखने पर –
U = mw2y2/2 समीकरण-5
चूँकि y = A sinwt
Y2 = A2sin2wt
समीकरण-5 में y2 का मान रखने पर –
U = mw2A2sin2wt/2
सरल आवृत गति कर रहे कण की कुल ऊर्जा:
कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + स्थितिज उर्जा
E = K + U समीकरण-1
SHM कर रहे कण की गतिज ऊर्जा –
K = mw2A2cos2wt/2 समीकरण-2
SHM कर रहे कण की स्थितिज ऊर्जा –
U = mw2A2sin2wt/2 समीकरण-2
समीकरण-2 व समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
E = mw2A2cos2wt/2 + mw2A2sin2wt/2
E = mw2A2/2
कमानी के दौलन (क्षैतिज स्प्रिंग से जुड़े द्रव्यमान के दोलन) :
m द्रव्यमान का एक पिण्ड क्षैतिज स्प्रिंग से जुड़ा हुआ है , प्रारंभ में यह पिण्ड माध्य स्थिति पर है (y = 0)
यदि इस m द्रव्यमान के पिण्ड को y खींचकर छोड़ दिया जाता है तो यह पिण्ड अपनी माध्य स्थिति के आस पास लगातार दोलन करता है।
m द्रव्यमान के पिण्ड पर आरोपित प्रत्यानयन बल –
F = -ky समीकरण-1
न्यूटन के द्वितीय नियम से –
F = ma समीकरण-2
समीकरण-1 व समीकरण-2 से –
ma = -ky
a/y = -K/m समीकरण-3
चूँकि a = -w2y
a/y = -w2 समीकरण-4
समीकरण-3 व 4 से
+W2 = +K/m
W2 = K/m
W = √K/m समीकरण-5
W = 2π/T
T = 2π/w समीकरण-6
T =2π√m/K
चूँकि n = 1/T
n = 1/2π√m/K
n = (1/2π) √K/m
सरल लोलक :
सरल लोलक में भार हिन द्रव्यमान की रस्सी से m द्रव्यमान के पिण्ड को लटकाकर ʘ कोण पर y विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है तो सरल लोलक अपनी माध्य स्थिति के आस पास लगातार सरल आवर्त गति करता है।
T = 2π√l/g
सेकंड लोलक :
सेकिण्ड लोलक का आवर्त काल 2 सेकंड का होता है इसलिए इसे सेकंड लोलक कहते है।
T = 2π√l/g
T = 2
g = 9.8
मान रखकर हल करने पर –
l = 1m
अवमंदित सरल आवर्त गति :
जब कोई लोलक माध्यम में सरल आवर्त गति करता है तो माध्यम में उपस्थित कणों के कारण सरल लोलक के आयाम में लगातार कमी आती रहती है ऐसी गति को अवमंदित सरल आवृत गति कहते है तथा लगने वाले बल को अवमंदित बल कहते है।
प्रणोदित दोलन :
बाह्य बलों की उपस्थिति में चलित वस्तु के दोलन नियत होते है , इस अवस्था को प्रणोदित दोलन कहा जाता है।
अनुनाद :
प्रणोदित दोलन की वह अवस्था जिस पर चालन वस्तु का चलित वस्तु दोनों की आवृति समान हो जाता है अनुनाद कहलाता है।