Vakrokti Alankar in Hindi: हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते है? (Vakrokti Alankar) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |
अलंकार को काव्य का आभूषण माना गया है। इसके प्रयोग से काव्य में चमत्कार तथा रोचकता उत्पन्न होती है। अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाने का कार्य भी करते हैं।
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Vakrokti Alankar in Hindi
जहां किसी उक्ति में,वक्ता के अभिप्रेम आशय से भिन्न अर्थ की कल्पना की जाए वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है।
(1) कभी किसी शब्द के श्लेष से कई अर्थ होने के कारण दूसरा अर्थ निकाला जाता है।
(2) कभी कहे हुए वाक्य का कष्ट की ध्वनि या अन्य किसी प्रकार से दूसरा अर्थ निकाला जाता है।
पहले प्रकार की उक्ति में श्लेष वक्रोक्ति होती है और दूसरे प्रकार की उक्ति में वाकुवक्रोक्ति।
इसमें चार बातों का होना आवश्यक हैं।
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(क). वक्ता की एक उक्ति।
(ख). उक्ति का अभिप्रेत अर्थ होना चाहिए।
(ग). श्रोता उसका कोई दूसरा अर्थ लगाये।
(घ). श्रोता अपने लगाये अर्थ को प्रकट करे।
वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार
वक्रोक्ति अलंकार के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं।
- काकु अक्रोक्ति अलंकार
- श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
1. काकु वक्रोक्ति अलंकार
जब बोलने वाले व्यक्ति के द्वारा बोले गये शब्दों का उसकी कंठ ध्वनी के कारण सुनने वाला व्यक्ति कुछ और अर्थ निकाले तब वहाँ पर काकु वक्रोक्ति अलंकार होता है।
जैसे :-
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।
कह अंगद सलज्ज जग माहीं। रावण तोहि समान कोउ नाहीं।
कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी।।
2. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
जहाँ पर श्लेष की वजह से बोलने वाले व्यक्ति के द्वारा बोले गए शब्दों का अलग अर्थ निकाला जाये तब वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है।
जैसे :-
को तुम हौ इत आये कहाँ घनस्याम हौ तौ कितहूँ बरसो।
चितचोर कहावत है हम तौ तहां जाहुं जहाँ धन सरसों।।
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