UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 9 काँटों में राह बनाते हैं

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UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 9 काँटों में राह बनाते हैं

काँटों में राह बनाते हैं शब्दार्थ

विपत्ति = मुसीबत
शूल = काँटा
सूरमा = बहादुर, शूरवीर
मग = मार्ग/राह
प्रखर = तीव्र/तेज
विघ्नों = बाधाओं
वर्तिका = दीपक की बाती
विचलित = अपने मार्ग या स्थान से हटना

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘काँटों में राह बनाते हैं’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रसंग – इस कविता में कवि कहता है कि जो लोग बहादुर होते हैं, वे मुसीबत और समस्याओं से नहीं घबराते।

सच है ………………………………………… राह बनाते हैं।

भावार्थ – कवि दिनकर जी कहते हैं कि मुसीबत जब आती है; तब कमजोर व्यक्ति (कायर) उससे घबरा जाते हैं, लेकिन वीर पुरुष (बहादुर लोग) अपने मार्ग से नहीं हटते। वे जरा सी देर के लिए भी अपना धैर्य नहीं छोड़ते। वे विघ्नों, परेशानियों को धैर्य से अपनाकर उनका सामना करते हुए समाधान ढूँढ़ते हैं। वे काँटों में रास्ता बना लेते हैं, अर्थात् समस्याओं को ठीक प्रकार हल कर लेते हैं। है

कौन ………………………….………….. बन जाता है।

भावार्थ – कवि कहता है कि कोई भी मुसीबत (कठिनाई) ऐसी नहीं है, जो बहादुर आदमी का रास्ता रोक सके। जब पुरुषार्थी मनुष्य उत्साह से आगे बढ़ता है; तब पहाड़ भी हिल जाता है। मनुष्य जब अपनी कार्य क्षमता प्रदर्शित करता है; तब कठिन काम आसान हो जाते हैं; जैसे- बर्फ (पत्थर) पिघलकर पानी का रूप ले लेती है।

गुण बड़े ……………………..………….. वह पाता है।

भावार्थ – कवि कहता है कि मानव में अनेक गुण ठीक उसी प्रकार छिपे हुए रहते हैं, जैसे मेंहदी में लालिमा और दीपक की बाती में प्रकाश। जो व्यक्ति यह बाती नहीं जलाता, उसे कभी प्रकाश नहीं मिलता। आशय यह है कि जो पुरुषार्थ नहीं करता, उसे कुछ भी नहीं मिलता।

काँटों में राह बनाते हैं अभ्यास प्रश्न

शब्दों का

प्रश्न १.
उत्तर दो
(क) विपत्ति आने पर बहादुर लोग क्या करते हैं?
उत्तर:
विपत्ति आने पर बहादुर लोग नहीं घबराते। वे विपत्ति का धैर्य से मुकाबला करते हैं। वे काँटों में रास्ता बनाते हैं और परिश्रम करके उपलब्धि प्राप्त करते हैं।

(ख) पत्थर पानी कैसे बन जाता है?
उत्तर:
बर्फ पिघलकर पानी बन जाता है। बर्फ पत्थर की तरह कठोर होती है।

(ग) मनुष्यों में गुण किस प्रकार छिपे रहते हैं?
उत्तर:
मनुष्यों में गुण दीये में बाती और मेंहदी में लालिमा की तरह छिपे रहते हैं।

(घ) रोशनी किसे प्राप्त नहीं होती?
उत्तर:
जो दीपक नहीं जलाता, उसे रोशनी प्राप्त नहीं होती।

प्रश्न २.
स्तम्भ ‘क’ में दिए कथनों के अर्थ स्तम्भ ‘ख’ से ढूँढ़कर अभ्यास पुस्तिका में लिखो। (सही अर्थ लिखकर)
स्तम्भ ‘क’ – स्तम्भ ‘ख’
दहलाना – काँप उठना (कॅपाना)
धीरज खोना – धैर्य का नष्ट हो जाना
गले लगाना – अपना लेना
खम ठोंकना – ताल ठोंकना
पाँव उखड़ना – हिल जाना

प्रश्न ३.
कविता की कौन-सी पंक्तियाँ तुम्हें सबसे अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर:
कविता की अंतिम पंक्तियाँ सबसे अच्छी लगी; क्योंकि इनमें जीवनमूल्य, आदर्श और अनुभूत सच्चाई छिपी है। .

प्रश्न ४.
पंक्तियों को पूरा करो- (पूरा करके)
(क) सच है विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है।
(ख) गुण बड़े एक से एक प्रखर हैं छिपे मानवों के भीतर।
(ग) मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।

प्रश्न ५.
नीचे लिखे शब्दों में से समानार्थी शब्द छाँटकर अलग-अलग लिखो- (लिखकर)
विपत्ति – संकट
राह – मग
वर्तिका – बाती
पत्थर – पाषाण
काँटा – शूल ।
मानव – आदमी
प्रकाश – उजियाला 

प्रश्न ६.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो
(क) ‘विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं।
भाव:
बाधाओं का सामना करते हैं और समस्याओं का समाधान ढूँढ़ते हैं।

(ख) ‘है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में’
भाव:
कोई भी बाधा ऐसी नहीं, जो आदमी का रास्ता रोक सके। आदमी किसी भी समस्या को पुरुषार्थ से दूर कर देता है।

(ग) ‘बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है’
भाव:
जो दीपक की बाती नहीं जलाता, उसे प्रकाश नहीं मिलता। आशय है कि जो पुरुषार्थ नहीं करता, उसे जीवन में उपलब्धि नहीं मिलती।

(घ) ‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’
भाव:
जब मनुष्य पुरुषार्थ (परिश्रम) करता है। तब पत्थर भी पानी बन जाता है (कठोर बर्फ पिघल कर पानी बन जाती है) अर्थात् कठिन-से-कठिन कार्य भी आसान हो जाता है।

तुम्हारी कलम से
नोट – विद्यार्थियों की सहायता के लिए उदाहरण
सूरज के संग आती धूप, मंद-मंद मुसकाती धूप।
जाड़े में मनभाती धूप, छिपती और लजाती धूप।
सुन्दर फूल खिलाती धूप, पेड़ों को सहलाती धूप।
कपड़े रोज सुखाती धूप, सबको गले लगाती धूप।

अब करने की बारी
नोट – उपप्रश्न १ और २ विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न  ३.
कविता में प्रयुक्त मुहावरों की सूची बनाओ-(सूची बनाकर)
उत्तर:
मुहावरे- विघ्नों को गले लगाना, काँटों में राह बनाना, खम ठोंकना, पाँव उखड़ना, पत्थर का पानी बनना।

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