Savarna Deergha Sandhi in Hindi : हेलो स्टूडेंट्स, आज हम इस आर्टिकल में सवर्ण दीर्घ संधि किसे कहते है? (Swar Sandhi) के बारे में पढ़ेंगे | यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसे हर एक विद्यार्थी को जानना जरूरी है |
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Savarna Deergha Sandhi in Hindi
महर्षि पाणिनि के द्वारा लिखित अष्टाध्यायी इस ग्रन्थ में इस सन्धि को इस सूत्र के द्वारा बताया गया है –
“यदि सन्धिकार्य करते समय पूर्ववर्ण और उत्तरवर्ण, दोनों भी सवर्ण हो, तो दोनों की जगह पर उन दोनों के स्थान पर एक दीर्घ आदेश होता है, जो उन दोनों का सवर्ण हो।”
सवर्ण दीर्घ सन्धि किसे कहते है?
हमे पता है कि उपर्युक्त किताबी व्याख्या बहुतांश नवीन छात्रों को समझने के लिए मुश्किल हो सकती है। हम आप को क्रमशः विस्तार से समझाते हैं। पहले सवर्ण दीर्घ संधि को अच्छे से समझ लेते हैं।
- सूत्रम्- अकः सवर्णे दीर्घः
- संस्कृत परिभाषा- अकः सवर्णेsचि परे दीर्घ एकादेशः स्यात्।
- हिंदी अर्थ- अ,इ,उ,ऋ,लृ (अक् प्रत्याहार) के बाद यदि समान स्वर (अच्) आए तो दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश हो जाता है।
सवर्ण दीर्घ सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
यदि सन्धिकार्य में पूर्ववर्ण अ अथवा आ हो और उत्तरवर्ण भी अ अथवा आ हो, तो दोनों के स्थान पर आ यह आदेश प्राप्त हो जाता है।
- अ/आ = अ/आ – आ
- इ/ई = इ/ई – ई
- उ/ऊ = उ/ऊ – ऊ
- ऋ/ॠ = ऋ/ॠ – ॠ
- ॠ लृ = लृ – लृ
(लृ का दीर्घ रूप नहीं होता है)
अ/आ + अ/आ = आ के उदाहरण
इसे भी पढ़े: सन्धि शब्द किसे कहते है?
- दैत्य + अरि: = दैत्यारि:
- विद्या + आलय: = विद्यालय:
- तुल्य + आस्यम् = तुल्यास्यम्
- मम + अपि = ममापि
- महा + आत्मा = महात्मा
- वेद + अभ्यास: = वेदाभ्यास:
- कमल + आकर: = कमलाकर:
- श्रद्धा + अस्ति = श्रद्धास्ति
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
- परम + अर्थ: = परमार्थ:
- दण्ड + अस्ति = दण्डास्ति
इ/ई + इ/ई = ई के उदाहरण
यदि सन्धिकार्य में पूर्ववर्ण इ अथवा ई हो और उत्तरवर्ण भी इ अथवा ई हो, तो दोनों के स्थान पर ई यह आदेश प्राप्त हो जाता है।
- भूमि + ईश: = भूमीश:
- कवि + इन्द्र: = कवीन्द्र:
- हरि + ईश: = हरीश:
- श्री + ईश: = श्रीश:
- यदि + इच्छा = यदीच्छा
- सती + ईश: = सतीश:
- मुनि + इन्द्र: = मुनीन्द्र:
- नदी +इदानीम् = नदीदानीम्
- महती + इच्छा = महतीच्छा
- दधि +इन्द्र: = दधीन्द्र:
- देवी + ईक्षते = देवीक्षते
- पिबामि + इति = पिबामीति
- गौरी + इदम् = गौरीदम्
उ /ऊ + उ /ऊ = ऊ के उदाहरण
यदि सन्धिकार्य में पूर्ववर्ण उ अथवा ऊ हो और उत्तरवर्ण भी उ अथवा ऊ हो, तो दोनों के स्थान पर ऊ यह आदेश प्राप्त हो जाता है।
- विष्णु + उदय: = विष्दणूय:
- भानु + उदय: = भानूदय:
- वधू + उत्सव: = वधूत्सव:
- तरु + उपेत = तरूपेत
- सु + उक्ति: = सूक्ति:
- विधु +उदय: = विधूदय:
- यवागू + ऊष्मा = यवागूष्मा
- तनु + ऊष्मा = तनूष्मा
ऋ/ ॠ + ऋ/ ॠ = ॠ के उदाहरण
यदि सन्धिकार्य में पूर्ववर्ण ऋ अथवा ॠ हो और उत्तरवर्ण भी ऋ अथवा ॠ हो, तो दोनों के स्थान पर ॠ यह आदेश प्राप्त हो जाता है।
- होतृ + ऋकार: = होतृृृकार:
- पितृ + ऋणम् = पितृृृणम्
- मातृ + ऋणम् = मातृृणम्
- कर्तृ + ऋणम् = कर्तृृणम्
- होतृ + ऋषि: = होतृृषि:
- भर्तृ + ऋद्धि: = भर्तृृद्धि:
- धातृ + ऋकार: = धातृृकार:
Savarna Deergha Sandhi Video
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