Krit Vachya: कर्तृवाच्य किसे कहते है? परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर इस विषय से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को कर्तृवाच्य किसे कहते है? से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों को भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए।
आज यहां हम आपको कर्तृवाच्य के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं, इसलिए यदि आप कर्तृवाच्य के बारे में नहीं जानते हैं, तो इस लेख की मदद से, आप आज इस विषय को बेहतर तरीके से जान पाएंगे।
कर्तृवाच्य किसे कहते है? – Krit Vachya
कर्तृवाच्य किसे कहते हैं?
क्रिया के उस रूप को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो।
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जैसे :-
- राम पुस्तक पढ़ता है।
- मैंने पुस्तक पढ़ी।
- राम रोटी खाता है।
- कविता गाना गायेगी।
- मैंने संजय को पत्र लिखा।
- बच्चों ने मेवे-मिठाइयाँ खाई।
- माता जी ने साड़ी खरीदी।
ऊपर दिए गए वाक्य में राम, मैंने और कविता वाक्य में होने वाले क्रिया को कर रहे है अर्थात् यह सभी करता है और वाक्य में इनकी प्रधानता है।
कर्तृवाच्य के प्रयोग
1. कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
2. कर्तृवाच्य के निषेधात्मक वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य दोनों में बदला जा सकता है।
3. कर्ता के अपने सामर्थ्य या क्षमता को दिखाने के लिए सकरात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है।
इस आर्टिकल में अपने कर्तृवाच्य को पढ़ा। हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।