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Table of Contents
भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Essay On Women’s Role In Modern Society In Hindi)
नारी तुम केवल श्रद्धा हो – Lady You Are Only Reverence
रूपरेखा–
- प्रस्तावना,
- नारी की वास्तविक स्थिति,
- नारी के लिए तीन अभिशाप,
- समाज में नारी का महत्व,
- शिक्षित नारी की भूमिका,
- उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – Bhaarateey Samaaj Mein Naaree Ka Sthaan Nibandh
प्रस्तावना–
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ आदिकाल से हमारा देश नारी–पूजक रहा है। तभी तो नारायण के गवं लक्ष्मी, शंकर के पूर्व भवानी, राम के पूर्व सीता और कृष्ण के पूर्व राधा का नामोच्चार होता है, फिर भी सामाजिक जीवन में भारतीय नारी कभी नर के समकक्ष सम्मान की अधिकारिणी नहीं बन पायी। भारतीय इतिहास के ‘मध्यकाल’ में तो नारी की स्थिति पशु से भी दयनीय हो गई थी।
नारी की वास्तविक स्थिति–नारी की सामाजिक स्थिति पर विचार करें तो आदर्श और यथार्थ में बड़ा अन्तर दृष्टिगत होता है। कविवर मैथिलीशरण गुप्त कहते हैं–
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी।
आँचल में है दूध और आँखों में पानी॥
कवि का यह भाव परुष–
धान समाज में नारी की वास्तविक स्थिति का परिचायक है। सच तो यह है कि समाज का परुष गई गरी की भमिका का विस्तार नहीं चाहता। उसे भय है कि नारी–अभ्युदय से उसका महत्त्व और एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। नारी–जागरण के नाम पर नाटक तो बहुत होते हैं, किन्तु वे नाना प्रकार के पाखण्ड मात्र ही सिद्ध होते हैं। फिर भी आधुनिक भारतीय नारी सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है।
नारी के लिए तीन अभिशाप–
भारतीय नारी की भूमिका बाधित करने वाले तीन अभिशाप हैं–अशिक्षा, वैधव्य और पर्दा। इनमें अशिक्षा ही शेष दो अभिशापों का कारण बनी हई है। आज नगरवासिनी बालिकाएँ ही है। ग्रामीण क्षेत्र में नारी–शिक्षा आज भी एक दुःस्वप्न बनी हुई है।
नारी का महत्त्व–
समाज में नारी दो कुलों का उद्धार करती है। समाज में उसका अपूर्व स्थान है। उसके सहयोग के बिना समाज नहीं चल सकता। नारी को अशिक्षित रखकर राष्ट्र की आधी क्षमता को व्यर्थ किया जा रहा है। शिक्षा नारी में आत्मविश्वास पैदा करती है और बुरे दिनों में उसकी सबसे विश्वसनीय सहायिका बनती है।
शिक्षित नारी की भूमिका–
नारी–शिक्षा का देश में जितना भी प्रचार–प्रसार हुआ है, उसका परिणाम सभी के सामने है। आज नारी जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य करने की क्षमता रखती है। शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, धर्म, समाजसेवा और सेना में भी आज नारी अपनी प्रशंसनीय भूमिका निभा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी आज नारी–चेतना करवटें ले रही है, उनको स्थानीय स्वशासन में 30% भागीदारी का अधिकार मिल गया है। नारी आज सफल व्यवसायी है, प्रबन्धक है, अध्यापक है, वकील है, मन्त्री है, प्रधानमन्त्री है, राज्यपाल है, राष्ट्रपति है, मुख्यमन्त्री है, वैज्ञानिक है तथा साहसिक अन्तरिक्ष अभियानों में पुरुषों से होड़ ले रही है। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
उपसंहार–
भारतीय नारी ने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को प्रमाणित किया है। कुछ महिलाएँ शिक्षित होने का अर्थ कतिपय हास्यास्पद क्रिया–कलापों से जोड़ लेती हैं। उनके अनुसार विशेष वेश–भूषा अपनाना, फैशन–परेडों और किटी–पार्टियों में भाग लेना ही शिक्षा और प्रगतिशीलता की निशानी है।
भारतीय नारी के कुछ महत्त्वपूर्ण दायित्व हैं, उसे अपने विशाल नारी–समाज को आगे बढ़ाना है। देश की ग्रामीण–बहनों को उनके अज्ञान एवं अन्धविश्वासों से मुक्ति दिलानी है। अपनी महान परम्पराओं की पुनः स्थापना करनी है। समाज के निर्माण में नारी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसी को लक्ष्य करके प्रसाद जी ने कहा है– नारी तुम केवल श्रद्धा हो।
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