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सारांश की परिभाषा:
मूल अवतरण के भावों अथवा विचारों को संक्षेप में लिखने की क्रिया को ‘सारांश’ कहते हैं।
मूल में जो बात विस्तार से कही गयी है, ‘सारांश’ में उतनी ही बात संक्षेप में, सार-रूप में कहनी या लिखनी पड़ती है।
विस्तार और विश्लेषण करने की यहाँ आवश्यकता नहीं। भाषा सरल और सुबोध होनी चाहिए। दूसरी बात यह है कि सारांश मूल अवतरण से छोटा होना चाहिए।
सारांश के उदाहरण:
उद्योग-धंधों में काम करनेवाला मनुष्य जनसाधारण के जीवन और उसके सभी कार्यो पर प्रभाव डालता है और इस प्रकार सबसे अच्छी व्यावहारिक शिक्षा देता है। स्कूल और कॉलेज तो केवल प्रारंभिक शिक्षा देते है, पर कल-कारखानों में काम करनेवाले लोगों से जो शिक्षा मिलती है, वह स्कूल कॉलेज की शिक्षा से कहीं अधिक प्रभावशाली है।
सारांश-
स्कूलों-कॉलेजों में लड़के सैद्धांतिक शिक्षा पाते हैं, पर उद्योगशील मनुष्य अपने कार्यो द्वारा व्यावहारिक शिक्षा देते हैं, व्यावहारिक शिक्षा सैद्धांतिक शिक्षा से अधिक प्रभावशाली होती है।
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सारांश क्या है? Video
FAQs
सारांश की परिभाषा क्या है?
मूल अवतरण के भावों अथवा विचारों को संक्षेप में लिखने की क्रिया को ‘सारांश‘ कहते हैं।
सार लेखन और पल्लवन में क्या अंतर है?
उसका मूल भाव या सार छोटा होता है और संक्षेप में लिखा जा सकता है। इसीलिए, आरेख में सामग्री वाली लकीर लंबी है, सार वाली लकीर सामग्री वाली लकीर की एक तिहाई है। सार–लेखन प्रायः मूल सामग्री का एक-तिहाई होता है। इसी प्रकार से, दूसरे आरेख में सूक्ति वाली लकीर छोटी है।
सारांश कैसे लिखते हैं?
शीर्षक सदैव आकर्षक और रुचिकर होना चाहिए साथ ही उपयुक्त भी हो जिसमें संपूर्ण सामग्री का तथ्य अथवा आशय स्पष्ट होता हो। एक बार शीर्षक पढ़कर पाठक यह अंदाज़ लगा ले कि अनुच्छेद में क्या होगा साथ ही शीर्षक में इतना अधिक आकर्षण हो कि वह पाठक को सामग्री पढ़ने पर मज़बूर कर दे। एक ही अनुच्छेद के एक अथवा कई शीर्षक भी हो सकते हैं।