श्रृगाल और ऊदबिलाव – New Hindi Short Story :
श्रृगाल की पत्नी को एक बार ताजा मछली खाने की इच्छा हुई। उससे मछली लाने का वादा करके श्रृगाल नदी की ओर चला।
रास्तेभर वह सोचता रहा, ‘मैं अपना वायदा कैसे पूरा करूं?’
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तभी उसे दो ऊदबिलाव एक बड़ी मछली घसीटते हुए नजर आए। वह उनके पास गया।
इधर दोनों ऊदबिलाव इस दुविधा में थे कि इतनी बड़ी मछली को वह कैसे बांटें? काफी देर तक दोनों में बहस होती रही।
उधर श्रृगाल उनके और करीब आया और पूछा, ‘क्या बात है दोस्तों?’
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‘मित्र, हमने मिलकर यह मछली पकड़ी है। अब दुविधा यह है कि इसका बंटवारा कैसे करें? क्या तुम हमारी मदद कर सकते हो?’
‘क्यों नहीं। बंटवारा करना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।’
तब श्रृंगाल ने मछली का सिर और पूंछ काट डाली, ‘सिर तुम लो और पूंछ तुम लो।’
दोनों ऊदबिलाव सोचने लगे कि कितना निष्पक्ष है यह। अब देखते हैं कि शेष हिस्से का बंटवारा कैसे करता है?
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‘और यह शेष भाग मेरा मेहनताना है। उनके देखते-ही-देखते वह मछली का बड़ा हिस्सा लेकर वहां से चंपत हो गया।
छोनों ऊदबिलाव सिर पर हाथ रखकर बैठ गए।
‘हमारी स्वादिष्ट मछली हाथ ने निकल गई। पहला ऊदबिलाव बोला।
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‘काश! हम झगड़ते नही तो मछली का एक बड़ा हिस्सा न गंवाना पड़ता।’
सीख ( Moral ) :-
” आपसी फूट से अपनी ही हानि होती है। “