पायस या इमल्सन क्या है | परिभाषा | प्रकार | उपयोग

पायस या इमल्सन क्या है | परिभाषा | प्रकार | उपयोग

पायस या इमल्सन क्या होता है: 

वे कोलाइड जिनमे परिक्षिप्त प्रावस्था व परिक्षेपण माध्यम दोनों द्रव होते है उन्हें पायस कहते है |

उदाहरण : दूध

पायस दो अमिश्रणीय द्रवों को मिलाने से बनते है ये पायस अस्थाई होते है वे पदार्थ जो पायस का स्थायित्व बढ़ा देते है उन्हें पायसीकारक कहते है यह परिक्षिप्त प्रावस्था के कणो के चारो ओर रक्षात्मक परत का निर्माण कर लेता है जिससे परिक्षिप्त प्रावस्था के अणु आपस में मिल नहीं पाते।

पायस दो प्रकार के होते है :

1. तेल/जल पायस या O/W पायस :

वे पायस जिसमे परिक्षिप्त प्रावस्था तेल तथा परिक्षेपण माध्यम जल होता है उन्हें O/W पायस कहते है।

उदाहरण : दूध , वैनिशिंग क्रीम।

O/W पायस के लिए गोंद ,स्टार्च , जैलेडिन , प्रोटीन आदि पायसी कर्मक है।

2. W/O , पायस या जल / तेल पायस :

वे पायस जिनमे परिक्षिप्त प्रावस्था जल तथा परिक्षेपण माध्यम तेल होता है उन्हें W/O पायस कहते है।

उदाहरण : मछली का तेल , मक्खन आदि।

W/O पायस के लिए लम्बी श्रंखला वाले एल्कोहॉल पायसी कर्मक है।

पायस के उपयोग:

  • पायसीकरण द्वारा साबुन की  साध्यता से वस्त्र को स्वच्छ किया जाता है।
  • दूध एक पायस है जो हमारे दैनिक आहार का प्रमुख अवयव है।
  • विभिन्न दवाइयाँ रोगों के निदान में काम आता है।
  • झाग पल्वन विधि में सल्फाइड , अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है। इस विधि में पायस का निर्माण होता है।

हमारे चारो ओर कोलाइड के उपयोग :

1. आकाश का नीला रंग :

वायु में मिट्टी के कोलाइडी कण होते है ,ये सूर्य के प्रकाश के दृश्य क्षेत्र से प्रकाश को अवशोषित कर लेते है तथा नीले रंग के प्रकाश को प्रकीर्णित करते है इसलिए आकाश नीला दिखाई देता है।

2.  धुंध /कोहरा :

वायु में धूल के कोलाइडी कण होते है , ओलांक से कम ताप पर वायु में उपस्थित जलवाष्प धूल के कणों पर संघनित हो जाती है ये छोटी छोटी बुँदे वायु में तैरती रहती है जिसे कोहरा या धुंध कहते है।

3. बरसात तथा कृत्रिम बरसात :

बादल एरोसॉल है अर्थात वायु में जल की छोटी छोटी बुँदे परिक्षिप्त रहती है।  जब बादल ठण्डे स्थानों पर जाते है तो छोटी छोटी बुँदे मिलकर बड़ी बूंदो में बदल जाती है तो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी पर गिरती है जिससे बरसात होती है और बरसात कहते है।

नोट :

  • कभी कभी दो विपरीत आवेशित बादल के टकराने से भी बरसात होती है।
  • वायुयान की साध्यता से बादलो पर विपरीत आवेशित सॉल का छिड़काव करने से कृत्रिम बरसात होती है।

4.  डेल्टा का निर्माण :

नदी के जल में मिट्टी के ऋणावेशित कोलाइडी कण होते है जब नदी का जल समुद्र के जल के सम्पर्क में आता है तो समुद्र के जल में उपस्थित धनायनों द्वारा मिट्टी के कोलाइडी कणों का स्कंदन हो जाता है ये कण समुद्र के पैंदे में एकत्रित होते रहते है जिससे एक उभार बन जाता है जिसे डेल्टा कहते है।

5.  रक्त स्राव रोकने में :

रक्त एल्बुमिनाइड है यह ऋणावेशित सॉल है जब कटे हुए स्थान पर फिटकरी (पोटाश एलम ) या FeCl3 का चूर्ण लगाते है तो धनायनों द्वारा रक्त का स्कंदन हो जाता है जिससे रक्त का बहना बंद हो जाता है।

6. मृदा की उपजाऊ क्षमता (उर्वरकता ) बढ़ाने में :

उपजाऊ मृदा में मिट्टी के कोलाइडी आकार के कण होते है इनका पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होने के कारण अधिशोषण की प्रवृति अधिक होती है अर्थात ये नमी तथा उर्वरको को अधिक अधिशोषित करते है जिससे मृदा की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है।

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