डॉप्लर प्रभाव | व्यतिकरण

डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect in hindi):- यदि प्रकाश स्त्रोत अथवा प्रेक्षक गतिशील है तो प्रेक्षक को स्त्रोत की आवृति एवं तरंगद्र्वध्र्य परिवर्तित प्रेक्षित होते है। इस घटना को डाॅप्लर प्रभाव कहते है।  तरंग दैध्र्य अथवा आवृति मे जितना परिवर्तन होता हैं उसे डाॅप्लर विस्थापन कहते है।

सूत्र

अभिरक्त विस्थापन (Abundant Displacement)  – यदि तारा, ग्रह निहारिका पृथ्वी से दूर जा रही है तो प्रेक्षित प्रकाश की आवृति में कमी और तरंग द्वैध्र्य में वृद्वि हो जाती है यानि की तरंग द्वैध्र्य मे विस्थापन लाल रंग की ओर होता है इसे अभिरक्त विस्थापन कहते है।

नीला विस्थापन  – यदि तारा, ग्रह, निहारिका पृथ्वी के नजदीक आ रही है तो प्रेक्षित प्रकाश की आवृत्ति में वृद्वि और तरंगद्वैध्र्य मे कमी हो जाती है। यानि की तरंगद्धैध्र्य में विस्थापन नीले रंग कीओर होता है। इसे नीला विस्थापन कहते है।

व्यतिकरण (Interruption):-

अध्यारोपण की घटना में किसी बिन्दु पर परिणामी विस्थापन  के अधिकत अथवा न्यूनतम होने की घटना को व्यातिकरण कहते है।

शर्ते:-

1. दोनों स्त्रोत कला समबद्व होने चाहिए।

कला सम्बद्व:- यदि दोनों स्त्रोतों से प्राप्त तरंगो मे कलान्तर समय के साथ नियत रहता है तो स्त्रोत कलासम्बद्व कहलाता है।

2. दोनो तरंगो की तरंगद्वैध्र्य समान होनी चाहिए।

3. व्यतिकरण को स्पष्ट देखने के लिए दोनों तरंगों के आयाम भी समान होने चाहिए।

Remark:

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